– पोषण अभियान को सुदृढ़ करने के लिए निरंतर प्रयासरत है लखनपुर की आंगनबाड़ी सेविका
जमुई-
स्वस्थ जीवन की बुनियाद में पोषण के अहम् योगदान को विज्ञान द्वारा सिद्ध किया जा जुका है |
इसी की एक मिसाल की तौर पर लखनपुर वार्ड संख्या 04 की आंगनबाड़ी सेविका कल्पना कुमारी को देखा जाता है ।वह विगत 13 वर्षों से उक्त केंद्र पर सेवारत हैं | इनकी पढाई इंटरमीडिएट तक हुई है और आंगनबाड़ी से जुड़ने का अवसर मिला | उन्होने प्रारंभिक प्रशिक्षण के दौरान समेकित बाल विकास परियोजना के तहत छः सेवाओं में पोषण की महत्ता को भालिभांति समझ लिया था | इसमें शिशु को माता द्वारा छः महीने तक केवल स्तनपान के महत्व को अपने कार्यक्षेत्र की लक्षित समूह वर्ग में समझाने का हरेक प्रयत्न किया। उनकी प्रतिदिन की हर संभव कोशिशों ने कई बच्चों को कुपोषण से बचाने में सफलता दिलायी है |
कल्पना कुमारी इसको लेकर अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताती हैं कि केवल स्तनपान के महत्व को मैंने अपने ऊपर स्वयं भी अपनाया। परिणाम के तौर पर पाया कि मेरे 3 बच्चों में से कोई भी कभी कुपोषण की श्रेणी में नहीं आया | मैं गृहभ्रमण की कार्ययोजना में इन मुद्दों को अवश्य शामिल करती हूँ | इसके साथ व्यक्तिगत स्वच्छता को अनिवार्य रूप से बताती हूँ |
बृध्ही आकलन कार्ड द्वारा तुलनात्मक चर्चा :
इसी गाँव की 26 वर्षीय मुन्नी देवी, जिनका तीसरा संतान डेढ़ वर्ष का है, कहती हैं मैंने सेविका दीदी के खानपान की सलाह को पूरी तरह तो अपनाया ही है वहीं शिशु जन्म के छः माह तक केवल स्तनपान अपने तीनों संतानों को कराया है | जब-जब मासिक तौर पर हमारे बच्चों के बृध्ही आकलन के लिए कार्ड भरा जाता था जिसमें मेरे बच्चे के हमेशा हरी लाइन रहने की वजह से मुझे शाबासी तो मिलती ही रही है वहीं मेरा उदाहरण देकर सभी मौजूद माताओं को समझाने का कार्य करती थीं | ये मैं जरूर कहूँगी कि इनके बताये बातों से मेरे बच्चे कमजोरी के कारण डाक्टरी इलाज से बचे रहे। इसमें कल्पना दीदी की भूमिका ही रही वर्ना रुढ़िवादी महिला की तरह मैं भी परेशान रहती और ईश्वर को कोसती रहती |
इनके कार्यों की सराहना करते हुए महिला पर्यवेक्षिका संगीता कुमारी कहती हैं कि कल्पना के प्रयासों से हमारे क्षेत्र के शिशुओं और माताओं के बेहतर स्वास्थ्य की स्थिति निरंतर अच्छा रहने से सेविकाओं का एक्सपोज़र कराने में सहूलियत होती है |