पुणे : “अनुसंधान यह निरंतर चलनेवाली प्रक्रिया है. उन्नत तकनीक के साथ, भविष्य के अनुसंधान पूरी तरह से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर केंद्रित रहेगा. छात्रों को अप-टू-डेट तकनीक हासिल करनी चाहिए. हानिकारक परीक्षा विधियों को समाप्त करके छात्रों का विभिन्न तरीकों से मूल्यांकन करने की आवश्यकता है. इससे अनुसंधान, नवाचार और उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा,” यह विचार अखिल भारतीय तंत्र शिक्षण परिषद के (एआयसीटीई) इन्स्टिट्यूशनल रिसर्च के सलाहकार डॉ. नीरज सक्सेना ने व्यक्त किये.
पुणेस्थित सूर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट और नईदिल्ली के सेंटर फॉर एजुकेशन ग्रोथ एंड रिसर्च (सीईजीआर) ने संयुक्त रूप से ‘मान्यता और गुणवत्ता सुधार में प्रभावी अनुसंधान के महत्व’ पर एक वेबिनार का आयोजन किया. इस वेबिनार में नीरज सक्सेना बोल रहे थे. उद्योग-अकादमी समन्वय, युवाओं को अनुसंधान करने और नवाचारों से निर्मिति करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ‘आइडिया लैब’ चालू किया जा रहा है, ऐसा भी सक्सेना ने बताया.
इस वक्त सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठ के इंटर्नल क्वालिटी ऍश्युरन्स सेल के संचालिका प्रा. डॉ. सुप्रिया पाटील, गुरु जांभेश्वर युनिव्हर्सिटी ऑफ सायन्स अँड टेक्नॉलॉजी के कुलगुरू प्रा. डॉ. तानकेश्वर कुमार, हिमगिरी झी युनिव्हर्सिटी के कुलगुरू प्रा. डॉ. राकेश रंजन, सूर्यदत्ता ग्रुप ऑफ इन्स्टिट्यूट के संस्थापक अध्यक्ष और सीईजीआर’ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रा. डॉ. संजय चोरडिया, ‘सीईजीआर’ के संचालक रविश रोशन, एमरल्ड पब्लिशिंग इंडिया के व्यवस्थापकीय संचालक सुंदर राधाकृष्णन, ‘सूर्यदत्ता’ के समूह संचालक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रा. डॉ. शैलेश कासंडे, कार्यकारी संचालक प्रा. सुनील धाडीवाल आदी उपस्थित थे.
प्रा. डॉ. नीरज सक्सेना ने कहा, “अक्सर अनुसंधान शोधपत्रों और पेटेंट तक ही सीमित रहता है. उद्योग और शिक्षा जगत के बीच समन्वय बढ़ाया जाना चाहिए. इससे गुणवत्तापूर्ण अनुसंधान होगा. अनुसंधान जितना अच्छा होगा उतनीही अच्छी उसकी उपयुक्तता होगी. समुदाय उन्मुख अनुसंधान, नवाचार और उत्पादन यही चीजे शैक्षिक संस्थान की गुणवत्ता और मान्यता को बढ़ाने के लिए उपयुक्त होती है.”
प्रा. डॉ. सुप्रिया पाटीलने कहा, “ऑक्सफर्ड ऑफ ईस्ट ऐसी पहचाने जाने वाले सावित्रीबाई फुले पुणे विद्यापीठ हमेशा अनुसंधान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को पसंद करता है. सभी संबद्ध कॉलेजों के छात्रों को शोध करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ‘अविष्कार’ जैसी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं. अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में के छात्रों के कौशल और नवाचार इससे सामने आते हैं. ‘अविष्कार’ सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं है, यह नवाचार, अनुसंधान के लिए एक मंच है. छात्रों को ‘एस्पायर’, रिसर्च पार्क, इनक्यूबेशन सेंटर, साइंस पार्क आदि गतिविधियों के माध्यम से अनुसंधान और नवाचार करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.”
प्रा. डॉ. संजय चोरडिया ने कहा, “व्यापक और मूल्य आधारित शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए. अनुसंधान सतत चलने वाली प्रक्रिया है. छात्रों में शोध क्षमता विकसित करने के लिए स्कूल और कॉलेज स्तर पर अनुसंधान को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. यदि समुदाय उन्मुख अनुसंधान की चाह छात्रों को लगी तो, शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद होगी. अनुभवात्मक शिक्षा और अनुसंधान यही गुणवत्ता वृद्धि के पहलू हैं. छात्रों में सामाजिक जागरूकता और देशभक्ति का भाव पैदा होना चाहिए। उपयोजित अनुसंधान के लिए संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं के संचालन पर जोर दिया जाना चाहिए.”
प्रा. डॉ. तानकेश्वर कुमार, प्रा. डॉ. राकेश रंजन, सुंदर राधाकृष्णन इन्होने भी अपने विचार भी व्यक्त किए. रवीश रोशन ने संचालन किया और धन्यवाद दिया . प्रा. डॉ. संजय चोरडिया ने स्वागत-प्रास्ताविक एवं वेबिनार को मॉडरेट किया. सभी अनुसन्धान कर्ताओं के लिए यह वेबिनार उपयुक्त था. जिन्होंने यह वेबिनार मिस किया है और दोबारा देखना चाहते है, वे https://www.facebook.com/SuryadattaGroupofInstitutes/ इस लिंक पर जा के देख सकते है, ऐसा भी डॉ. चोरडिया ने कहा