सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध है टीबी बीमारी की जाँच और समुचित इलाज

  • जिले के सदर अस्पताल, बड़हिया रेफरल अस्पताल एवं सूर्यगढ़ा सीएचसी में ट्रूनेट मशीन से हो रही है जाँच
  • लक्षण दिखते ही तुरंत कराएं जाँच…क्योंकि, अब टीबी लाइलाज नहीं, पर समय पर इलाज शुरू कराना जरूरी

लखीसराय, 05 अक्टूबर –

टीबी एक संक्रामक बीमारी जरूर है, पर अब यह लाइलाज नहीं है। किन्तु, इससे बचाव एवं स्थाई निजात के लिए समय पर जाँच एवं समुचित इलाज कराना जरूरी है। इसलिए, लक्षण दिखते ही तुरंत स्वास्थ्य संस्थान में जाएँ और वहाँ जाँच कराएं। जाँचोपरांत चिकित्सा परामर्श का पालन करें। यही इस बीमारी से स्थाई निजात और बचाव का सबसे कारगर उपाय है। वहीं, लोगों को जाँच कराने में किसी प्रकार की असुविधा और अनावश्यक परेशानी नहीं हो, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग भी काफी सजग और गंभीर है। साथ ही लोगों की सुविधा के मद्देनजर स्थानीय स्तर पर भी समुचित जाँच एवं इलाज की व्यवस्था की गई। ताकि लोगों को जाँच कराने में ना ही किसी प्रकार की असुविधा हो और नहीं लंबी दूरी का सफर करने की परेशानी उठानी पड़े। मसलन, सभी लोग सुविधाजनक तरीके से अपनी जाँच करवा सकें । वहीं, संचारी रोग पदाधिकारी डॉ पीसी वर्मा ने बताया, जिले के सदर अस्पताल, बड़हिया रेफरल अस्पताल एवं सूर्यगढ़ा सीएचसी में संभावित मरीजों की ट्रूनेट मशीन से जाँच की जा रही है। साथ ही जाँच में पीड़ित पाए जाने पर समुचित इलाज की भी सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। जाँच से लेकर इलाज तक की सभी सुविधाएं पूरी तरह निःशुल्क हैं ।

  • टीबी संक्रमित मरीजों को प्रोत्साहन राशि का भी दिया जाता है लाभ :
    संचारी रोग पदाधिकारी डॉ पीसी वर्मा ने बताया, टीबी संक्रमित मरीजों को निःशुल्क जाँच और इलाज के साथ-साथ सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि भी देने की व्यवस्था की गई है। प्रोत्साहन राशि संबंधित मरीजों को उनके खाते के माध्यम से दी जाती है। ताकि मरीजों को उचित एवं प्रोटीन युक्त आहार का सेवन करने में मदद मिल सके। वहीं, उन्होंने बताया, किसी भी व्यक्ति को लक्षण महसूस होने पर तुरंत जाँच करानी चाहिए। क्योंकि, किसी भी बीमारी की शुरुआती दौर में जानकारी मिलती है तो उससे आसानी के साथ जल्द ही निजात भी मिलती है।
  • बचाव के उपाय :
    1- 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करें ।
  • मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर करें।
  • मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां नहीं थूकें।
  • पौष्टिक खाना खाएं, व्यायाम व योग करें ।
  • बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।
  • भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें।
  • ये हैं टीबी के लक्षण :
  • भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना।
  • बेचैनी एवं सुस्ती रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट व रात में पसीना आना।
  • हलका बुखार रहना।
  • खांसी एवं खांसी में बलगम तथा बलगम में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना।
  • गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना।
  • गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि।
  • महिलाओं को बुखार के साथ गर्दन जकड़ना, आंखें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं।
  • पेट की टीबी में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं।
  • टीबी न्यूमोनिया के लक्षण में तेज बुखार, खांसी व छाती में दर्द होता है।
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