सर्दियों के मौसम में शिशुओं को निमोनिया से बचाने को लें हमेशा रहें सतर्क

  • इन दिनों विभिन्न बीमारियों के संक्रमण से बच्चों की सुरक्षा आवश्यक
  • पांच साल से कम उम्र के बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए लगवाएं पीसीवी के टीके

मुंगेर, 25 नवम्बर-

निमोनिया सर्दियों के मौसम में बच्चों के छींकने या खांसने से फ़ैलने वाला संक्रामक बीमारी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के शोध के अनुसार निमोनिया से ग्रसित होने का खतरा 5 साल से कम उम्र के बच्चों को सबसे ज्यादा है। दुनिया भर में होने वाली बच्चों की मौतों में 15 प्रतिशत केवल निमोनिया की वजह से होते हैं। यह रोग शिशुओं की मृत्यु के 10 प्रमुख कारणों में से एक है। जिसका कारण कुपोषण और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता भी है। निमोनिया से बच्चों के ग्रसित होने की संभावना सर्दियों के मौसम में अधिक होती है। विगत एक महीने से बच्चों में निमोनिया से संक्रमण के आंकड़ों में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है।

क्या है निमोनिया और कैसे करें शिशुओं का बचाव :
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. राजेश कुमार रौशन ने बताया यह रोग बैक्टीरिया, वायरस या फंगस से फेफड़ों में संक्रमण से होता है। इसमें एक या दोनों फेफड़ों के वायु के थैलों में द्रव या मवाद भरकर उसमें सूजन पैदा हो जाती है जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है। बच्चों को सर्दी में निमोनिया होने का खतरा सबसे अधिक होता है जो जानलेवा भी हो सकता है। सुखद बात यह है की इस गंभीर रोग को नियमित टीकाकरण द्वारा पूरी तरह रोका जा सकता है। इसलिए अपने बच्चों को सम्पूर्ण टीकाकरण के अंतर्गत सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर निः शुल्क उपलब्ध पीसीवी का टीका जरूर लगवाएं। पीसीवी या न्यूमोकॉकल कॉन्जुगगेट वैक्सीकन का टीका शिशु को दो माह, चार माह, छह माह, 12 माह और 15 माह पर लगाने होते हैं। यह टीका ना सिर्फ निमोनिया बल्कि सेप्टिसीमिया, मैनिंगजाइटिस या दिमागी बुखार आदि से भी शिशुओं को बचाता है।

रोग के लक्षण को पहचान कर हो जाएँ सतर्क :
उन्होंने बताया कि अभी कोरोना का खतरा पूरी तरह से टला नहीं है। ऊपर से सर्दियों के आगमन से आपके शिशुओं को कई तरह के संक्रामक रोग हो सकते हैं। यदि शिशु में कंपकपी के साथ बुखार हो, सीने में दर्द या बेचैनी, उल्टी, दस्त सांस लेने में दिक्कत, गाढ़े भूरे बलगम के साथ तीव्र खांसी या खांसी में खून, भूख न लगना, कमजोरी, होठों में नीलापन जैसे कोई भी लक्षण दिखे तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। ये निमोनिया के संकेत हैं जिसमें जरा सी भी लापरवाही आपके शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है।

पोषण और सफाई पर दें ध्यान :
डॉ. राजेश कुमार रौशन ने बताया कि निमोनिया एक संक्रामक रोग है इसलिए भीड़-भाड़ और धूल-मिट्टी वाले स्थानों से बच्चों को दूर रखें। जरूरत पड़ने पर मास्क और हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करवाएँ। समय- समय पर बच्चे के हाथ धुलवायेँ। उन्हें प्रदूषण से बचाएं ताकि सांस संबंधी समस्या न रहें। मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता से इस बीमारी से लड़ना आसान होता है। इसलिए 6 माह तक के शिशुओं को पूर्ण रूप से स्तनपान और उससे बड़े शिशुओं को स्तनपान के साथ- साथ ऊपरी आहार के रूप में संतुलित पोषण दें।

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