अमेरिका और चीन के बढ़ते तनाव के बीच एक बार फिर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों के मध्य विवाद और गहरा गया है। दरअसल, अमेरिकी नौसेना के सबसे शक्तिशाली हथियारों में से एक यूएसएस पनडुब्बी के गुआम द्वीप के एक दुर्लभ बंदरगाह पर अचानक आवक से यहां हलचल बढ़ गई है। इस पनडुब्बी की दस्तक से चीन और उत्तर कोरिया सकते में हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर अमेरिका ने गुआम द्वीप पर अपनी पनडुब्बी क्यों भेजी? इससे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जंग की स्थिति क्यों उत्पन्न हो गई है? अमेरिका के इस कदम से चीन और उत्तर कोरिया को क्यों एतराज है? इस तमाम सवालों पर क्या है विशेषज्ञ की राय।
प्रो. हर्ष वी पंत का कहना है कि अमेरिकी नौसेना ने अपनी सबसे शक्तिशाली पनडुब्बी को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उतार कर उसने उत्तर कोरिया और चीन को सख्त संदेश दिया है। बाइडन प्रशासन के इस कदम से यह साफ है कि हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते दखल और हस्तक्षेप पर वह अपनी आंखें नहीं बंद कर सकता है। इसके साथ अमेरिकी प्रशासन ने यह भी संदेश दिया है कि वह अपने मित्र राष्ट्रों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। वह मित्र राष्ट्रों के हितों की अनदेखी नहीं कर सकता। बता दें कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के दखल से जापान एवं अन्य देशों की चिंता बढ़ रही है।
अमेरिकी नौसेना ने सबसे शक्तिशाली पनडुब्बी को गुआम द्वीप पर उतार कर यह संकेत दिया है कि चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो अमेरिकी सेना जंग के लिए भी तैयार है। यह अमेरिकी प्रशासन को चीन की खुली धमकी का जवाब है। बाइडन प्रशासन ने यह दिखा दिया है कि चीन की किसी भी हरकत के जवाब के लिए उसकी नौसेना पूरी तरह से तैयार और सक्षम है। उन्होंने कहा कि यह हमले की नहीं हमले के पूर्व की चेतावनी है। यह इशारा है कि मान जाओ नहीं तो युद्ध के लिए तैयार रहो।
बाइडन प्रशासन ने इसके जरिए अपने मित्र राष्ट्रों को भी यह संदेश दिया है कि वह किसी भी हाल में अपने मित्र देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। बाइडन प्रशासन ने हिंद प्रशांत क्षेत्र से संबद्ध राष्ट्रों को यह संदेश दिया है कि अमेरिका उनके साथ पूरी तरह खड़ा है। क्वाड के गठन के बाद बाइडन प्रशासन का यह कदम काफी अहम माना जा रहा है। बाइडन प्रशासन हिंद प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय अस्थिरता के प्रति पूरी तरह से सजग और सतर्क है।
ओहियो-क्लास की परमाणु शक्तिवाली पनडुब्बी 20 ट्राइडेंट बैलिस्टिक मिसाइल और दर्जनों परमाणु हथियार के साथ प्रशांत द्वीप क्षेत्र में यूएस नेवी के बेस पर पहुंची। इस सबमरीन को ‘बूमर’ भी कहा जाता है। 2016 के बाद से इस पनडुब्बी की गुआम की पहली यात्रा है। अमेरिका नौसेना ने एक बयान में कहा कि पनडुब्बी की बंदरगाह यात्रा अमेरिका और क्षेत्र में सहयोगियों के बीच आपसी सहयोग को मजबूत करती है। यह अमेरिकी क्षमता, तत्परता और लचीलेपन का प्रदर्शन है। यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता के लिए निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
अमेरिकी नौसेना के बेड़े में शामिल 14 बूमर्स की गतिविधियों को आमतौर पर गुप्त रखा जाता है। परमाणु ऊर्जा का मतलब है कि ये पनडुब्बी एक बार में महीनों तक पानी में डूबे रह सकती है। पानी के भीतर इनकी क्षमता सिर्फ 150 से अधिक नाविकों के दल की आवश्यक सामग्री की सप्लाई पर निर्भर करती है। नौसेना का कहना है कि ओहियो-क्लास की पनडुब्बियां रखरखाव और पुनःपूर्ति के लिए बंदरगाह पर लगभग एक महीना बिताने के बाद पानी के भीतर औसतन 77 दिन तक रह सकती हैं।