हर क्षेत्र में महिलाएं लहरा रही हैं कामयाबी का परचम, बढ़ा रही है समाज का मान : जिलाधिकारी

  – अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस • कलेक्ट्रेट परिसर से निकाली गई बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जागरूकता रथ – जिलाधिकारी ने हरी झंडी दिखाकर रथ को किया रवाना, बेहतर कार्य करने वाली महिलाओं को किया गया सम्मानित

  खगड़िया, 08 मार्च- मंगलवार को कलेक्ट्रेट परिसर में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर महिलाओं के सम्मान में एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें कोविड, स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाली जिले की महिला डाॅक्टर, एएनएम, ऑगनबाड़ी सेविका और आशा कार्यकर्ताओं समेत अन्य कर्मियों को प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसके बाद कलेक्ट्रेट परिसर से बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जागरूकता रथ निकाली गयी, जिसे जिलाधिकारी डाॅ आलोक रंजन घोष ने हरी झंडी दिखाकर कलेक्ट्रेट परिसर से रवाना किया। जिसके माध्यम से सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक किया जाएगा। इससे पूर्व इस अवसर पर जिलाधिकारी ने कहा कि हर क्षेत्र में महिलाएं कामयाबी और सफलता की परचम लहरा रही हैं,जो सामुदायिक स्तर पर सकारात्मक बदलाव का परिणाम है। किन्तु, अभी और बदलाव की जरूरत है। इसलिए, मैं तमाम जिले वासियों से अपील करता हूँ कि बेटों की तरह बेटियों को भी आगे बढ़ाने के लिए सकारात्मक सहयोग करें। इस मौके पर आईसीडीएस की जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सुनीता कुमारी, जिला समन्वयक अंबुज कुमार, केयर इंडिया के डीटीएल अभिनंदन आनंद आदि मौजूद थे।  – हम किसी से कम नहीं दावे को मेहनत के बल पर सार्थक रूप दे रही महिलाएं : इस अवसर पर आईसीडीएस की जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सुनीता कुमारी ने कहा, बदलते दौर में सामाजिक कुरीतियों को मात मिली है। जिसका जीता जागता उदाहरण यह है कि आज हर क्षेत्र में बेटों से बेटियाँ आगे निकल रही और हम किसी से कम नहीं के दावे को अपने मेहनत के बल पर सार्थक रूप दे रही हैं। सिर्फ, बेटियों को थोड़ी सी सपोर्ट मिल जाए तो बड़ी उड़ान निश्चित है। इसलिए, इस बदलते दौर में हर किसी को बेटे-बेटियाँ में फर्क वाली कुप्रथाओं को भूलने और सहयोग करने की जरूरत है।  – बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ नारे को सार्थक रूप देने के लिए सकारात्मक सोच जरूरी : आईसीडीएस के जिला समन्वयक अंबुज कुमार ने कहा, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ को नारे को सार्थक रूप देने के लिए हर किसी को बेटे की तरह बेटियों के प्रति सकारात्मक सोच को स्थापित करने और बेटियों के प्रति पुराने ख्यालातों से बाहर आकर सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने की जरूरत है। हालाँकि, बीते जमाने की तरह सामाजिक स्तर पर बहुत बदलाव हुआ भी है, किन्तु अभी और सकारात्मक बदलाव की जरूरत है। जैसे-जैसे लोगों की मानसिकता बदल रही है वैसे-वैसे बेटियाँ आगे बढ़ रही हैं। हर क्षेत्र में बेटियाँ कामयाबी की मिसाल पेश कर नई कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। अब वो दिन दूर नहीं, जब हर क्षेत्र के शीर्ष कमान की जिम्मेदारी बेटियों के हाथ होगी।

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