-दवा खाने के दौरान होने वाली परेशानियों का बताया गया समाधान-गोराडीह पीएचसी में टीबी केयर एंड सपोर्ट ग्रुप की बैठक आयोजित
भागलपुर, 27 अप्रैल- गोराडीह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में बुधवार को टीबी केयर एंड सपोर्ट ग्रुप की बैठक हुई। बैठक में टीबी मरीज, उनकी देखभाल करने वाले, टीबी चैंपियन और स्वास्थ्यकर्मी शामिल थे। इस दौरान मरीजों को दवा खाने के दौरान क्या-क्या परेशानी होती है, उसका समाधान डॉ फिरोज ने बताया। इस दौरान सभी टीबी मरीजों को नियमित रूप से खाने की सलाह दी गई और और सही पोषण पर चर्चा की गई। बैठक का आयोजन कर्नाटका हेल्थ प्रमोशन सोसाइटी (केएचपीटी) द्वारा किया गया। बैठक में केएचपीटी के दीपक कुमार भी शामिल हुए। आयोजन में स्वास्थ्य विभाग द्वारा सहयोग किया गया। डॉ. फिरोज ने कहा कि टीबी मरीजों से समाज के लोगों को किसी तरह का भेदभाव नहीं करनी चाहिए। लोगों को टीबी मरीजों के इलाज में सहयोग करना चाहिए। अगर हमलोग इलाज में सहयोग करेंगे तो जल्द-से-जल्द समाज टीबी से मुक्त होगा। इसलिए मरीजों के इलाज के लिए लोगों को आगे आना चाहिए। जागरूक लोगों को टीबी मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं के बारे में बात करनी चाहिए। मानसिक तौर पर मरीजों का सहयोग करना चाहिए। उन्होंने टीबी मरीजों से कहा कि यह एक संचारी रोग है, जो एक से दूसरे व्यक्ति में ड्रॉपलेट के जरिये आसानी से फैलता है। इसलिए टीबी के लक्षण दिखे तो तत्काल जांच कराएं। जांच में अगर पुष्टि हो जाती है तो दवा का सेवन शुरू कर दें। टीबी का इलाज सरकार की तरफ से बिल्कुल ही मुफ्त है और यह सभी तरह के सरकारी अस्पताल में होता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भी इसके समुचित इलाज की व्यवस्था है। यदि किसी को दो सप्ताह तक लगातार खांसी हो या फिर खांसी में खून आने लगे, बुखार और कफ आने की शिकायत हो तो तत्काल जांच कराएं। जिनके घर में मधुमेह के मरीज, वे रहें सावधानः बैठक के दौरान डॉ. फिरोज ने कहा कि आजकल अधिकतर घरों में मधुमेह के मरीज देखे जा रहे हैं। इस वजह से लोग संतुलित आहार लेते हैं। लोग पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक आहार नहीं ले पाते हैं। इससे भी लोग टीबी की बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं। इसलिए अगर किसी के घर में मधुमेह के मरीज हों तो डॉक्टर से पूछकर अपना आहार तालिका बनाएं, ताकि कुपोषण का शिकार होने से बचें और टीबी जैसी बीमारी से बचाव हो सके।बच्चों के पोषण पर दें ध्यानः डॉ. फिरोज ने बताया कि टीबी को लेकर बच्चों को काफी सतर्क रहने की जरूरत है। बच्चे के पोषण में अगर कमी हो जाए तो उसे आसानी से टीबी अपनी चपेट में ले लेता है। इसलिए कम बच्चे ही अच्छे होते हैं। अगर आपके कम बच्चे होंगे तो उसका सही से ध्यान रख पाएंगे। उसके पोषण के प्रति जागरूक रहेंगे और वह टीबी समेत दूसरी बीमारियों से बचा रहेगा। ये हैं टीबी के लक्षण1. दो हफ़्ते या अधिक खांसी आना- पहले सूखी खांसी तथा बाद में बलगम के साथ खून का आना।2. रात में पसीना आना-चाहे मौसम ठंढे का क्यों न हो।3. लगातार बुखार रहना4.थकावट होना5.वजन घटना6.सांस लेने में परेशानी होना बचाव के तरीके1. जांच के बाद टीबी रोग की पुष्टि होने पर दवा का पूरा कोर्स लें।2. मास्क पहनें तथा खांसने या छींकने पर मुंह को पेपर नैपकीन से कवर करें।3.मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें।4.मरीज हवादार और अच्छी रौशनी वाले कमरे में रहें। एसी से परहेज करें।5. पौष्टिक खाना खाएं। योगाभ्यास करें।6. बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तम्बाकू, शराब आदि से परहेज करें।7. भीड़भाड़ वाली गंदी जगहों पर जानें से बचें।