चीनी सीमा पर छिपे हथियारों का पता लगाएगा भारत का ‘स्वाति’ राडार

भारतीय सेना जल्द ही चीनी सीमा पर एक रडार लगाने वाली है जो पहाड़ों, घाटियों और जंगलों में छिपे हथियारों का पता लगाएगी। सेना ने पहले इस तरह के राडार को सीमा पर तैनात किया है, लेकिन अब एक उन्नत पर्वत संस्करण को तैनात किया जाएगा।

यह रडार दुश्मन के तोपखाने, रॉकेट या मोर्टार का पता लगाने के लिए बनाया गया है। स्वाति ने DRDO, BEL और LRDE को एक साथ विकसित किया है। जिसकी 8 इकाइयां गठित कर पूरे देश की सीमाओं पर तैनात कर दी गई हैं। स्वाति एमके-1 2018 फिलहाल तैनात है।

इस रडार की क्षमता 8 से 20 किमी है। दूर से आ रही तोपखाने को ‘पहचान’ सकते हैं। यह अपनी दिशा और गति के साथ-साथ 5 से 20 किमी. दूर से रॉकेट या मिसाइल भी पकड़ता है। साथ ही 5-20 किमी दूर से आने वाले गोले को भी पकड़ता है।

वर्ष 2009 में, भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका से AN / TPQ-37 फायर फाइंडर रडार का आदेश दिया। ऐसे 12 राडार की डिलीवरी 2006 में पूरी हुई। इसके आधार पर, भारतीय वैज्ञानिकों और तकनीशियनों ने स्वदेशी ‘स्वाति’ रडार बनाना शुरू किया।

भारत में, स्वाति WLR रडार आर्मेनिया को बेच दिया गया है और सेना द्वारा इसका उपयोग किया जा रहा है। ‘स्वाति’ 3 हथियारों के एक साथ आने की भी जानकारी इसकी रेंज 30 किमी है।देती है, चाहे वह ऊंचाई से आ रहा हो या नीचे से आ रहा हो।

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