मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना पीड़ितों के लिए वरदान साबित हो रही

बांका, 30 जून – राज्य सरकार की मुख्यमंत्री बाल हृदय योजना हृदय रोग से पीड़ित बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना के तहत हृदय रोग से पीड़ित बच्चों को पूरी तरह निःशुल्क बेहतर और समुचित स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। समय पर बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के साथ इलाज शुरू होने से उक्त बीमारी से पीड़ित बच्चे बीमारी को मात भी दे रहे हैं। सरकार की इस योजना को अमलीजामा पहना रही है जिले की आरबीएसके टीम।

आरबीएसके टीम स्क्रीनिंग कर चिह्नित करती है: पीड़ित बच्चों को जिले की आरबीएसके टीम स्क्रीनिंग कर चिह्नित करती है और आवश्यकता के अनुसार समुचित इलाज के लिए पटना या अहमदाबाद भेजा जाता है। जिले के धोरैया प्रखंड के ताहिरपुर गांव की संदली भी इस योजना का लाभ लेकर हृदय रोग को मात दी है और अब वह स्वस्थ है। जिले के और भी कई बच्चे इस योजना का लाभ उठाकर स्वस्थ हो चुके हैं। 

स्थाई निजात के लिए समय पर इलाज शुरू कराना जरूरी : टीम के जिला कंसल्टेंट डॉ. अमित ने बताया, हृदय रोग से पीड़ित बच्चों को स्थाई निजात के लिए समय पर इलाज शुरू कराना जरूरी है। अन्यथा, परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने बताया, जिन बच्चों के होठ कटे हैं, उसका तीन सप्ताह से तीन माह के अंदर, जिसके तालु में छेद (सुराग) है, उसका छह से 18 माह एवं जिसके पैर टेढ़े-मेढ़े हैं, उसका दो सप्ताह से दो माह के अंदर शत-प्रतिशत सफल इलाज संभव है।

इसलिए, जो उक्त बीमारी से पीड़ित बच्चे हैं, उसका अभिभावक अपने बच्चों का आरबीएसके टीम के सहयोग से समय पर मुफ्त इलाज शुरू करा सकते हैं। वहीं, उन्होंने बताया, जन्म से ही हृदय रोग से पीड़ित बच्चे को सांस लेने में परेशानी होती है। हमेशा सर्दी-खांसी रहती है। चेहरे, हाथ, होंठ नीला पड़ने लगता है। इस कारण गंभीर होने पर बच्चों के दिल में छेद हो जाता है।

स्क्रीनिंग से लेकर आने-जाने का खर्च सरकार करती है वहनः बच्चों में होने वाले जन्मजात रोगों में हृदय में छेद होना एक गंभीर समस्या है। उक्त बीमारी से पीड़ित बच्चे का बाल हृदय योजना के तहत सरकार द्वारा पूरी निःशुल्क इलाज कराया जाता है। यही नहीं, पीड़ित बच्चे और उसके अभिभावक के इलाज के लिए आने-जाने का खर्च भी सरकार ही वहन करती है।

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