कैशलेश स्वास्थ बीमा योजना में बेसिक शिक्षकों के साथ नीतिगत सौतेला व्यवहार

मनोज त्रिपाठी, विशेष संवाददाता, उत्तरप्रदेश

लखनऊ। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों के शिक्षकों, शिक्षामित्रों ,अनुदेशको व कर्मचारियों के लिए भी उत्तर प्रदेश के अन्य सरकारी कर्मचारियों की तरह जीरो बैलेंस सामूहिक बीमा योजना लागू की जानी चाहिए।
जैसा की सर्वविदित हैं, परिषदीय वा माध्यामिक स्कूलों के शिक्षकों, शिक्षामित्रों अनुदेशकों व अन्य कर्मचारियों को प्राइवेट बीमा कंपनी की निविदा के आधार पर प्रस्तावित बीमा प्रीमियम की राशि जो वो तय करेंगे उसी के आधार पर प्रीमियम देकर बीमा कराना होगा।

प्रीमियम की जो धनराशि चुनेंगे उसी के आधार पर निश्चित होगा की परिवार के दो सदस्य दो बच्चे और माता पिता जिसको आप नामित करेंगे उसका बीमा सुनिश्चित होगा और उसकी किस्त आपकों देनी होगी।

बीमा धारकों का कार्ड बनेगा जिससे पूरी प्रदेश में किसी भी अस्पताल में इलाज कराया जा सकता है।बीमा का हल साल नवीनीकरण होगा यानी कि यह फिक्स नहीं है।
उत्तर प्रदेश के राज्य कर्मचारियों की बात की जाए या प्राइवेट संस्थाओं में काम करने वाले कर्मचारियों की सभी को कर्मचारी होने के आधार पर कंपनी द्वारा या सरकार द्वारा बीमा की सुविधा प्रदान की जाती है।

यदि नौकरी के दौरान किसी प्रकार की दुर्घटना होती है या किसी गंभीर बीमारी से कर्मचारी ग्रसित होता है तो उसका इलाज सरकार कैशलेस चिकित्सा पद्धति के द्वारा कराती है। इसमें कर्मचारियों का एक कार्ड बनता है जिस कार्ड के आधार पर वह अपना इलाज किसी भी अस्पताल में में करा सकता है।
यदि यदि पूरे प्रदेश में कैशलेस चिकित्सा पद्धति बिना कर्मचारियों के बीमा दिए लागू की जा सकती है तो सिर्फ बेसिक शिक्षकों के साथ दोहरा व्यवहार क्यों क्यों???
प्रदेश भर के सभी शिक्षकों की मांग है कि उन्हें कैशलेस इलाज की सुविधा सरकार के संरक्षण में दी जाए और प्रीमियम वसूलने के दुष्चक्र से उन्हें मुक्त किया जाए। शिक्षक संगठन इस दोहरी नीति का विरोध कर रहे हैं।

पिछले दिनों प्रकाशित की गई यह निविदा जिसमें तीन, पांच, सात व दस लाख रुपए की बीमा दरें मांगी गई है का विरोध कर रहे है।
इसके पहले भी शिक्षा परिषद के कर्मचारी 87 रूपए सामूहिक बीमा कटवा रहा है जिसकी कटौती तो हो रही है पर वह पैसा कहां जा रहा है इसका हिसाब देने से सरकारऔर विभाग दोनों कतरा रहे है।

शिक्षक मानसिक और शारीरिक रूप से निश्चिंत होकर अपना पूरा ध्यान पठन-पाठन और शैक्षिक गुणवत्ता में लगा सकें इसके लिए आवश्यक है कि उन्हें सरकारी संरक्षण मिले और निशुल्क कैशलेस चिकित्सा सुविधा दी जाए।
यह जानकारी रीना त्रिपाठी, अध्यक्ष-उत्तर प्रदेश महिला प्रकोष्ठ -सर्वजन हिताय संरक्षण समिति, उत्तर प्रदेश द्वारा दी गई।

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