सहजन का पेड़ जड़ से लेकर फूल-पत्तियों तक स्वास्थ का खजाना है।
इसे सहजना, सुजना, सेंजन और मुनगा आदि नामों से भी जाना जाता है। इसका वानस्पतिक नाम “मोरिंगा ओलिफेरा” है।
सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में है। सहजन में दूध की तुलना में ४ गुना कैल्शियम और दोगुना प्रोटीन पाया जाता है।
इसके ताजे फूल से हर्बल टॉनिक बनाया जाता है। इसकी पत्ति में शरीर को रोगमुक्त रखने के कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। भारत में विशेषकर दक्षिण भारत में इसका उपयोग विभिन्न व्यंजनो में खूब किया जाता है। इसका तेल भी निकाला जाता है और इसकी छाल पत्ती गोंद, जड़ आदि से आयुर्वेदिक दवाएं बनाई जाती हैं। भारत के प्राचीन आयुर्वेद में 300 रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है।
१) सहजन की फली वात व उदरशूल में के फूल उदर रोगों व कफ रोगों में इसकी पत्ती नेत्ररोग, मोच, शियाटिका ,गठिया आदि में उपयोगी है।
२) सहजन की जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग साईटिका ,गठिया,,यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर होता है।
३) सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर, वात रोधक, रुचिकारक, वेदनाशक, पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है
४) सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात व कफ रोग शांत हो जाते है, इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से पक्षाघात,वायु विकार, गठिया, शियाटिका में शीघ्र लाभ पहुंचता है। साईंटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है
५) सहजन में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आयरन , मैग्नीशियम और सीलियम होता है।
६) सहजन की जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हींग डालकर पीने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है।
७) सहजन फली का रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।
८) सहजन की छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है।
९) सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर छोटे छोटे कण बनकर निकल जाती है।
१०) सहजन को 72 प्रकार के वायु विकारों तथा अस्सी प्रकार के दर्द का शमन करने वाला बताया गया है।
११) सहजन के पत्तों का रस बच्चों के पेट के कीड़े निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है।
१२) सहजन की सब्जी खाने से पुराने गठिया एवं जोड़ों के दर्द व् वायु संचय, वात रोगों में लाभ होता है।
१३) सहजन की पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है।
१४) सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है।
१५) सहजन के कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है।
१६) सहजन की जड़ का काढे को सेंधा नमक और हींग के साथ पीने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है।
१७) सहजन की पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सूजन ठीक होते है।
१८) सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शरीर के कई रोगों से लड़ता है खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी।
१९) सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है।
२०) सहजन के पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे तो सर दर्द दूर हो जाता है।
२१) सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों का तेल मिलकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है।
२२) सहजन का सूप पीने से शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा।
२३) सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया आता जा रहा है। इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी होती है।
२४) सहजन का रस (जूस) गर्भवती महिला को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को कष्ट कम होती है। बच्चा स्वस्थ होता है।
२५) सहजन के बीजों का तेल नवजात शिशुओं की मालिश के लिए प्रयोग किया जाता है। सत्व के जरिए त्वचा की गहराई में छिपे विषैले तत्व बाहर निकाले जा सकते हैं। त्वचा साफ करने के लिए सहजन के बीजों का सत्व कॉस्मेटिक उद्योगों में बेहद लोकप्रिय है।
२६) सहजन के बीजों का पेस्ट त्वचा के रंग और टोन को साफ रखने में मदद करता है। मृत त्वचा के पुनर्जीवन के लिए इससे बेहतर कोई रसायन नहीं है। धूम्रपान के धुएँ और भारी धातुओं के विषैले प्रभावों को दूर करने में सहजन के बीजों के सत्व का प्रयोग सफल साबित हुआ है।
ऐसे बहुत से अनेको कारण है जिसके लिए सहजन को रोगमुक्त जीवन हेतु अमृत सामान माना गया है।