टीबी उन्मूलन • जिले में खोजी अभियान के तहत की जा रही है मरीजों की पहचान

– आशा कार्यकर्ता के सहयोग से घर-घर की जा रही है मरीजों की खोज, दिए  जा रहे  जरूरी चिकित्सा परामर्श 

– संक्रमित मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत दी जाती है प्रोत्साहन राशि 

लखीसराय- 

टीबी उन्मूलन को लेकर सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग काफी गंभीर है।  टीबी मुक्त समाज निर्माण को लेकर लगातार आवश्यक और जरूरी पहल भी की जा रही है। इसी कड़ी में जिले में टीबी मरीजों की पहचान के लिए  खोजी अभियान चल रहा है। जिसके तहत आशा कार्यकर्ताओं द्वारा घर-घर दस्तक देकर टीबी मरीजों की  खोज की जा रही है।  वहीं लक्षण वाले  व्यक्ति को स्थानीय स्वास्थ्य संस्थानों में जाँच कराने के लिए प्रेरित भी किया  जा  रहा  है। ताकि बीमारी की शुरुआती दौर में पहचान हो सके और संबंधित मरीज आसानी के साथ बीमारी को मात दे सके। इसके अलावा इस बीमारी से बचाव के लिए आवश्यक और जरूरी जानकारी के साथ-साथ इसके कारण, लक्षण और उपचार की भी जानकारी दी जा रही है। दरअसल, टीबी अब लाइलाज नहीं है, पर समय पर जाँच और इलाज शुरू कराना जरूरी है। यही इस बीमारी से स्थाई निजात का सबसे बेहतर और कारगर उपाय है। जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में टीबी बीमारी की जाँच से लेकर समुचित इलाज तक सुविधा उपलब्ध है। 

– टीबी संक्रमित मरीजों को निश्चय पोषण योजना के तहत दी जाती है प्रोत्साहन राशि : 

संचारी रोग पदाधिकारी डाॅ श्रीनिवास शर्मा ने बताया, टीबी मुक्त समाज निर्माण को लेकर जिले में लगातार पहल की जा रही है। वर्तमान में खोजी अभियान के तहत ना सिर्फ मरीजों की पहचान की जा रही है। बल्कि, उन्हें समुचित जाँच और इलाज के लिए प्रेरित कर सरकारी स्वास्थ्य संस्थान भी भेजा जा रहा है। जहाँ सुविधाजनक तरीके से मरीजों को जाँच और इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। ताकि मरीजों को किसी प्रकार की कोई असुविधा नहीं हो और सभी मरीज सुलभ तरीके से उपलब्ध सुविधाओं का लाभ प्राप्त कर सके। वहीं, उन्होंने बताया, टीबी संक्रमित मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान छः माह तक 500 रुपये प्रत्येक माह आर्थिक सहायता के रूप में प्रोत्साहन राशि भी देने का प्रावधान है, जो मरीजों को बैंक खाता में दिया जाता  है। 

– लक्षण दिखते ही कराएं जाँच, सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में उपलब्ध है समुचित जाँच और इलाज की सुविधा : 

टीबी अब लाइलाज नहीं है, पर समय पर जाँच और इलाज शुरू कराना जरूरी है। इसलिए, लक्षण दिखते ही संबंधित मरीजों को तुरंत स्थानीय स्वास्थ्य संस्थानों में जाँच करानी चाहिए और चिकित्सा परामर्श पालन करना चाहिए। पीएचसी सहित जिले के सभी स्वास्थ्य स्थानों में समुचित जाँच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है। ताकि लोगों को जाँच कराने में ना ही किसी प्रकार की असुविधा हो और ना ही लंबी दूरी का सफर करने की परेशानी उठानी पड़े। मसलन, सभी लोग सुविधाजनक तरीके से अपनी  जाँच करवा सकें  और आसानी के साथ बीमारी को मात दे सकें । इसके अलावा जाँच में संक्रमित पाए जाने पर समुचित इलाज की भी सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। जाँच से लेकर इलाज तक की सभी सुविधाएं पूरी तरह निःशुल्क हैं । 

– बचाव के उपाय :

1- 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करें ।

– मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर करें।

– मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूकें और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां नहीं थूकें।

– पौष्टिक खाना खाएं, व्यायाम व योग करें ।

– बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।

– भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें।

– ये हैं टीबी के लक्षण : 

– भूख न लगना, कम लगना तथा वजन अचानक कम हो जाना।

– बेचैनी एवं सुस्ती रहना, सीने में दर्द का एहसास होना, थकावट व रात में पसीना आना।

– हलका बुखार रहना।

– खांसी एवं खांसी में बलगम तथा बलगम में खून आना। कभी-कभी जोर से अचानक खांसी में खून आ जाना।

– गर्दन की लिम्फ ग्रंथियों में सूजन आ जाना तथा वहीं फोड़ा होना।

– गहरी सांस लेने में सीने में दर्द होना, कमर की हड्डी पर सूजन, घुटने में दर्द, घुटने मोड़ने में परेशानी आदि।

– बुखार के साथ गर्दन जकड़ना, आंखें ऊपर को चढ़ना या बेहोशी आना ट्यूबरकुलस मेनिन्जाइटिस के लक्षण हैं।

– पेट की टीबी में पेट दर्द, अतिसार या दस्त, पेट फूलना आदि होते हैं।

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