- खगड़िया के संसारपुर गाँव के ऑंगनबाड़ी केंद्र 159 पर शिविर आयोजित
- फाइलेरिया से बचाव को लोगों को दी गई आवश्यक और जरूरी जानकारी
खगड़िया, 18 अक्टूबर
वेक्टर जनित गंभीर रोगों में शामिल फाइलेरिया संक्रमित मरीजों को नियमित रूप से आवश्यक
उपचार की जरूरत होती है। इसके लिए उन्हें आवश्यक दवाइयों के साथ संक्रमित अंग का पूरा ध्यान
रखना होता है। अच्छी तरह से ध्यान रखने पर फाइलेरिया संक्रमण को गंभीर होने से रोक जा सकता
है। मंगलवार को खगड़िया प्रखंड के संसारपुर गाँव में संचालित ऑंगनबाड़ी केंद्र संख्या 159 पर
फाइलेरिया उन्मूलन के तहत जागरूकता सह एमएमडीपी किट वितरण शिविर का आयोजन किया
गया। जिसमें मौजूद कुल 16 मरीजों को बारी-बारी से एमएमडीपी किट उपलब्ध करायी गयी ।
साथ ही प्रदत्त किट के सही इस्तेमाल समेत फाइलेरिया से बचाव समेत इसके कारण, लक्षण एवं उपचार की
विस्तृत जानकारी दी गई। इसके अलावा लक्षण दिखते ही तुरंत जाँच कराने और जाँच के पश्चात चिकित्सा
परामर्श का पालन करने समेत अन्य आवश्यक जानकारी दी गई। ताकि संबंधित मरीज शुरुआती दौर
में ही जाँच करा सके और ससमय इलाज शुरू हो सके। इस मौके पर भीडीसीओ मो. शहनवाज
आलम, सीफार से एसपीसी अरूणेंदु झा, जिला समन्वयक स्मृति सिंह, प्रखंड समन्वयक दीपक कुमार
आदि मौजूद थे।
- किट वितरण के साथ मरीजों को आवश्यक चिकित्सा परामर्श भी दिया गया :
भीडीसीओ मो. शहनवाज आलम ने बताया, आयोजित शिविर में मौजूद सभी मरीजों के बीच
एमएमडीपी किट के साथ-साथ फाइलेरिया से बचाव से संबंधित आवश्यक और जरूरी जानकारी भी दी गई। जिसमें संक्रमित मरीजों को किन-किन बातों का ख्याल रखते हुए इलाज कराना है। फाइलेरिया
से बचाव के लिए क्या-क्या सावधानी बरतनी है। इसके कारण और लक्षण समेत अन्य जरूरी जानकारी दी गई। इसके अलावा प्रदत्त किट के उचित इस्तेमाल की भी जानकारी दी गई। वहीं, उन्होंने बताया, फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है, जो क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसका कोई
पर्याप्त इलाज संभव नहीं है। लेकिन, इसे शुरुआत में ही पहचान करते हुए रोका जा सकता है। इसके
लिए संक्रमित व्यक्ति को फाइलेरिया ग्रसित अंगों को पूरी तरह स्वच्छ पानी से साफ करना चाहिए।
साथ ही सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा का नियमित सेवन
करना चाहिए। वहीं, उन्होंने कहा, फाइलेरिया मुख्यतः मनुष्य के शरीर के चार अंगों को प्रभावित करता
है। जिसमें पैर, हाथ, हाइड्रोसील एवं महिलाओं का स्तन शामिल है। हाइड्रोसील के अलावा फाइलेरिया
संक्रमित अन्य अंगों को ऑपरेशन द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता है। संक्रमित व्यक्ति को समान्य
उपचार के लिए किट उपलब्ध कराई जाती है, जबकि हाइड्रोसील फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को मुफ्त
ऑपरेशन की सुविधा मुहैया कराई जाती है। - फाइलेरिया से प्रभावित अंग की विशेष देखभाल और साफ-सफाई जरूरी :
सीफार के स्टेट कसंल्टेंट अरूणेन्दु झा ने बताया, फाइलेरिया से प्रभावित अंग की विशेष देखभाल और
साफ-सफाई का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। फाइलेरिया संक्रमित होने पर व्यक्ति को हर महीने एक-
एक सप्ताह तक तेज बुखार, पैरों में दर्द, जलन, के साथ बेचैनी होने लगती है। एक्यूट अटैक के समय
मरीज को पैर को साधारण पानी में डुबाकर रखना चाहिए या भीगे हुए धोती या साड़ी को पैर में
अच्छी तरह लपेटना चाहिए। - फाइलेरिया क्या है ?
- फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है।
- किसी भी उम्र के व्यक्ति फाइलेरिया से संक्रमित हो सकता है।
- फाइलेरिया के लक्षण हाथ और पैर में सूजन (हाँथीपाँव) व हाइड्रोसील (अण्डकोष में सूजन) है।
- किसी भी व्यक्ति को संक्रमण के पश्चात बीमारी होने में 05 से 15 वर्ष लग सकते हैं।
- फाइलेरिया से बचाव के उपाय :
- सोने के समय मच्छरदानी का निश्चित रूप से प्रयोग करें।
- घर के आसपास गंदा पानी जमा नहीं होने दें।
- अल्बेंडाजोल व डीईसी दवा का निश्चित रूप से सेवन करें।
- साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें।