डेंगू से बचाव के लिए सतर्कता और सावधानी जरूरी, रहें सतर्क और सावधान 

 – गर्भवती महिला में डेंगू के संक्रमण से होती है गर्भपात की संभावना, भ्रूण को करता है प्रभावित, समय से पूर्व बच्चे का हो सकता है जन्म – डेंगू पीड़ित मरीजों के प्लेट्लेट्स में तेजी के साथ होती है कमी, जान पर हो सकता है खतरा

लखीसराय, 19 अक्टूबर।

पूरे प्रदेश में डेंगू संक्रमण के  मामले सामने आ रहे हैं। जिसपर रोकथाम सुनिश्चित करने को लेकर सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा  लगातार हर संभव प्रयास किये  जा रहे हैं। साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार भी  किया जा रहा है। किन्तु, इससे बचाव के लिए सतर्कता और सावधानी सबसे बेहतर और कारगर उपाय है। इसलिए, हर व्यक्ति को सतर्क और सावधान रहने की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा भी लगातार लोगों को जागरूक किया जा रहा है । क्योंकि कहा जाता है कि  सतर्कता ही किसी भी दुर्घटना से बचने का सबसे कारगर रास्ता है ।

आसपास की साफ-सफाई का रखें ख्याल: सिविल सर्जन डॉ. देवेन्द्र कुमार चौधरी ने बताया, डेंगू से बचाव के लिए सामुदायिक स्तर पर लोगों को इसके कारण, लक्षण, बचाव एवं उपचार की जानकारी देकर जागरूक किया जा रहा है। मच्छर जनित रोगों को लेकर बहुत अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। अपने घर व आसपास की साफ-सफाई का ख्याल रखें। तेज बुखार की स्थिति को नजरअंदाज नहीं करें। मच्छर जनित रोग, जैसे – मलेरिया व डेंगू आदि में ठंड के साथ तेज बुखार आने के साथ मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द भी रहता है। डेंगू के कारण खून में मौजूद प्लेटलेट्स की संख्या तेजी से कम होने लगती है। शरीर पर चकते या दाने उभर आते हैं। मच्छरों से बचने के लिए रात में सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल अवश्य करें। अपने आसपास पनपने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए प्राथमिक स्तर पर घरेलू उपाय भी अपनायें। गर्भवती महिलाओं व नवजात शिशुओं की विशेष सुरक्षा व ध्यान रखने की जरूरत पर बल दें।  

गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक है डेंगू व मलेरिया : सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के मुताबिक गर्भवती महिलाओं में डेंगू व मलेरिया होना जच्चा-बच्चा दोनों के लिए खतरनाक है। मलेरिया परजीवी या डेंगू वायरस गर्भवती महिला के भ्रूण तक पहुंच कर उसे गंभीर रूप से प्रभावित करता है। इसके कारण गर्भपात, समय से पूर्व शिशु का जन्म, जन्म के समय कम वजन, जन्मजात संक्रमण या प्रसव के दौरान जच्चा-बच्चा की मौत भी हो सकती है। गर्भवती महिलाओं की  कमजोर इम्युनिटी यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता होने के कारण मच्छर जनित रोगों के होने वाले प्रभाव सामान्य महिलाओं की तुलना में तीन गुना अधिक होता है।

सीडीसी ने गर्भवती महिलाओं को सलाह दी है कि वे मच्छरों के प्रकोप वाली जगहों पर जाने से बचें। अपने रहने वाले जगहों को साफ सुथरा रखें। रोग के लक्षण मिलने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें। गर्भवस्था के दौरान गर्भवती महिलाएं पूरी बाजू और पैरों को  ढकने  वाले कपड़े पहनें व शरीर पर  क्रीम का इस्तेमाल करें।  

डेंगू जाँच के लिए जिले को मिली  500 रेपिड ऐंटीजन किट : वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी  गौतम प्रसाद ने बताया, डेंगू जाँच के लिए राज्य से जिले  को 500 रेपिड ऐंटीजन किट मिली  है। जिसे शीघ्र ही जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों को उपलब्ध करा दी जाएगी। वहीं, उन्होंने बताया, जाँच के दौरान डेंगू के लक्षण वाले  व्यक्ति के लिए तत्काल पीएचसी स्तर पर भी दवाई उपलब्ध कराई जाएगी। जाँच में पुष्टि होने के बाद संबंधित मरीजों को समुचित इलाज के लिए सदर अस्पताल भेजा जाएगा। सदर अस्पताल में अति गंभीर स्थिति होने पर आवश्यकतानुसार संबंधित मरीजों को समुचित इलाज के लिए मेडिकल कालेज भेजा जाएगा। वहीं, उन्होंने बताया, जिस गाँव या क्षेत्र में डेंगू के मरीज मिले हैं, उस क्षेत्र में शीघ्र ही फागिंग करायी  जाएगी। आगे भी जहाँ भी मरीज मिलेगा, वहाँ फागिंग करायी  जाएगी।  

इन जरूरी बातों का भी रखें ध्यान : – कई बार लोग मच्छरदानी न लगाकर गर्भवती महिलाओं या नवजात शिशु के रहने वाले कमरे में धुआँ , मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती आदि का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इससे सांस में काफी मात्रा में कार्बन जाता है। धुआँ करना सांस के लिए खतरनाक है।  

मच्छर अंधेरी व नमी वाली जगहों पर अधिक होते हैं। मच्छरों के प्रजनन रोकने के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल किया जा सकता है। कमरों में कीटनाशक का छिड़काव कर कमरे को बंद कर बाहर निकल जाएँ। घर में कूलर आदि का पानी बदल दें। कमरे को अधिक से अधिक सूखा रखें।

SHARE