मोरबी पुल की 5 दिन पहले ही मरम्मत पूरी करने के बाद इसे आवागमन के लिए खोला गया था। ज्ञात हो कि गुजरात के मोरबी में रविवार शाम को मच्छु नदी पर बना केबल ब्रिज अचानक टूट गया। इस हादसे में अब तक 141 लोगों ने अपनी जान गवा चुके है। वहीं अभी भी कुछ लोग लापता बताए जा रहे है। 70 घायलों का इलाज चल रहा है। अब तक 170 से ज्यादा लोगों को रेस्क्यू किया गया है। लोगों को बचाने के लिए रातभर राहत-बचाव का काम जारी रहा।
इस हादसे के बाद ब्रिज मैनेजमेंट कंपनी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया है। बताया जा रहा है कि इस ब्रिज पर क्षमता से अधिक लोगों के पहुंचने की वजह से पुल टूट गया। आरोप लगाए जा रहे है कि टिकट से कमाई के चलते अधिक लोगों को ब्रिज पर जाने दिया गया।
इस पुल का निर्माण वर्ष 1880 में पूरा हुआ था। इस पुल की लंबाई 765 फीट थी। आसान शब्दों में कहें तो यह पुल 1.25 मीटर चौड़ा और 230 मीटर लंबा था। यह भारत के सबसे पुराने पुलों में से एक था। इस पुल के निर्माण का सारा सामान ब्रिटेन से आया था। करीब 3.5 लाख रुपए की लागत में तैयार हुई पुल का उद्घाटन मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था।
पुल की मरम्मत की वजह से बीते छह महीनों से यह बंद था। दिवाली के दूसरे दिन 25 अक्टूबर से इसको जनता के लिए फिर से खोला गया। इसकी मरम्मत में करीब 2 करोड़ रुपए का खर्चा आया था। इस पुल की मेंटिनेंस की जिम्मेदारी वर्तमान में ओधवजी पटेल के स्वामित्व वाले ओरेवा ग्रुप के पास है। इस ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 यानी 15 साल के लिए मोरबी नगर पालिका के साथ एक समझौता किया था।