अप्रैल से सितंबर के बीच बेड ओक्यूपेंसी रेट में पूरे राज्य में पहले स्थान पर रहा एनआरसी मुंगेर

  • अप्रैल से सितंबर के दौरान एनआरसी में भर्ती कराए गए 190 अति कुपोषित बच्चे
  • केंद्र में अति कुपोषित बच्चों के समुचित पोषण और बेहतर इलाज के लिए उपलब्ध हैं 20 बेड

मुंगेर-

वित्तीय वर्ष अप्रैल – सितंबर 2022 के दौरान बेड ओक्यूपेंसी रेट ( बिस्तर अधिभोग दर) में पोषण एवं पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) मुंगेर ने 73% ओक्यूपेंसी रेट के साथ पूरे बिहार में पहला स्थान प्राप्त किया है। इसके साथ ही 67% इक्यूपेंसी रेट के साथ एनआरसी लखीसराय ने दूसरा और 65% ओक्यूपेंसी रेट के साथ कैमूर जिला ने पूरे बिहार में तीसरा स्थान प्राप्त किया है।
मालूम हो कि वित्तीय वर्ष अप्रैल – सितंबर 2022 के दौरान पोषण एवम पुनर्वास केंद्र मुंगेर में कुल 190 अति कुपोषित बच्चे भर्ती कराए गए। इनमें से अप्रैल के महीने में कुल 11, मई के महीने में 51, जून में 26, जुलाई में 30, अगस्त में 33 और सितंबर में 39 सहित कुल 190 अति कुपोषित बच्चे भर्ती कराए गए हैं।

क्या है बेड ओक्यूपेंसी रेट या बिस्तर अधिभोग दर :
मुंगेर एनआरसी के नोडल अधिकारी और जिला योजना समन्वयक (डीपीसी ) विकास कुमार ने बताया कि बेड ओक्यूपेंसी रेट का कैलकुलेशन किसी क्यूरेटिव केयर पर इफेक्टिव बेड की कुल संख्या को क्यूरेटिव केयर पर उपलब्ध बेड की कुल संख्या को 365 दिन से गुना करने के बाद प्राप्त रेशियो को 100 से गुना करने के बाद प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि बेड ऑक्यूपेंसी रेट से यह पता चलता है कि किसी निश्चित समय अंतराल में आम तौर पर एक साल में मरीजों के द्वारा उपभोग किए गए बेड का प्रतिशत कितना है। उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल मुंगेर स्थित पोषण और पुनर्वास केंद्र में अतिकुपोषित बच्चों के सही पोषण और बेहतर इलाज के लिए 20 बेड उपलब्ध हैं । सामुदायिक स्तर पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा अतिकुपोषित बच्चों को वजन, लंबाई और बाएं बांह की गोलाई का माप कर चिह्नित करते हुए पोषण एवम पुनर्वास केंद्र मुंगेर में भर्ती कराया जाता है। इस कार्य में सामुदायिक स्तर पर कार्यरत आशा कार्यकर्ता, एएनएम सहित आईसीडीएस कर्मियों के द्वारा अतिकुपोषित बच्चों को उनकी मां या अन्य केयर टेकर के साथ आवासीय उपचार (पोषण और चिकित्सा) के लिए कम से कम 3 सप्ताह के लिए भर्ती कराया जाता है। सदर अस्पताल मुंगेर में आने वाले सभी बच्चों को ओपीडी में चिकित्सकीय जांच पड़ताल के बाद गंभीर रूप से बीमार बच्चों को पीडियाट्रिक वार्ड में और शेष बचे कम गंभीर बच्चों को एनआरसी में भर्ती कराया जाता है। जहां बच्चों को सही पोषण के साथ-साथ समुचित चिकित्सकीय इलाज भी कराया जाता है।

पोषण एवम पुनर्वास केंद्र में कार्यरत फीडिंग डिमोंस्ट्रेटर रचना भारती ने बताया कि पोषण एवम पुनर्वास केंद्र में भर्ती अति कुपोषित बच्चों को डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही खानपान का विशेष ख्याल रखा जाता है। यहां रहने वाले बच्चे यदि 14 दिनों के अंदर कुपोषण से मुक्त नहीं हो पाते हैं तो वैसे बच्चों को अगले 14 दिनों तक विशेष रूप से ख्याल रखा जाता है। यहां मिलने वाली सभी सुविधाएं पूरी तरह से निःशुल्क हैं । बच्चों के वजन में न्यूनतम 15 प्रतिशत तक वृद्धि के बाद ही उन्हें डिस्चार्ज किया जाता है।

पोषण एवम पुनर्वास केंद्र में बच्चों को भर्ती करने के लिए तय किए गए हैं मानक :
उन्होंने बताया कि पोषण एवम पुनर्वास केंद्र में बच्चों को भर्ती करने के लिए कुछ मानक तय किए गए हैं। जैसे
छह महीने से लेकर 59 माह तक के वैसे बच्चे जिनकी बाई भुजा 11.5 सेंटी मीटर हो और उम्र के हिसाब से लंबाई और वजन नहीं बढ़ता हो तो वो कुपोषित बच्चे माने जाते हैं। वैसे बच्चों को ही यहां भर्ती कराया जाता है।

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