फाइलेरिया उन्मूलन • स्वास्थ्य संस्थान ने समन्वय स्थापित कर संक्रमित मरीजों को दी दवाई

  • परबत्ता सीएचसी में मरीजों के बीच वितरण की गई दवाई
  • पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क से फाइलेरिया उन्मूलन को गति देने में मिलेगा सहयोग

खगड़िया, 23 नवंबर-

वेक्टर जनित गंभीर रोगों में शामिल फाइलेरिया संक्रमित मरीजों को नियमित रूप से आवश्यक उपचार की जरूरत होती है। इसके लिए उन्हें आवश्यक दवाइयों के साथ प्रभावित अंग का पूरा ध्यान रखना होता है। अच्छी तरह से ध्यान रखने पर फाइलेरिया संक्रमण को गंभीर होने से रोक जा सकता है। फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग काफी गंभीर है । लगातार विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इसी कड़ी में फाइलेरिया उन्मूलन के तहत परबत्ता सीएचसी के द्वारा मरीजों के साथ समन्वय स्थापित कर दवाई दी गयी । जिसमें मौजूद कुल 03 (02 पुरुष और 01 महिला) मरीजों को दवाई दी गई। साथ हीं प्रदत्त दवाई के सेवन समेत समेत फाइलेरिया से बचाव समेत इसके कारण, लक्षण एवं उपचार की विस्तृत जानकारी दी गई। वहीं लक्षण दिखते ही तुरंत जाँच कराने और जाँच के पश्चात चिकित्सा परामर्श का पालन करने समेत अन्य आवश्यक जानकारी दी गई। ताकि संबंधित मरीज शुरुआती दौर में ही जाँच करा सके जिससे ससमय इलाज शुरू हो सके। इस मौके पर सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ हरिनंदन शर्मा, भीबीडीएस मनीष कुमार आदि मौजूद थे।

  • दवाई के साथ मरीजों को आवश्यक चिकित्सा परामर्श भी दिया गया :
    परबत्ता सीएचसी के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ हरिनंदन शर्मा ने बताया, मौजूद सभी मरीजों को दवाई के साथ-साथ फाइलेरिया से बचाव से संबंधित आवश्यक और जरूरी जानकारी भी दी गई। जिसमें संक्रमित मरीजों को किन-किन बातों का ख्याल रखते हुए इलाज कराना है। फाइलेरिया से बचाव के लिए क्या-क्या सावधानी बरतनी है। इसके कारण और लक्षण समेत अन्य जरूरी जानकारी दी गई। इसके अलावा प्रदत्त दवाई के उचित सेवन की भी जानकारी दी गई। वहीं, उन्होंने बताया, फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है, जो क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। इसका कोई पर्याप्त इलाज संभव नहीं है। लेकिन, इसे शुरुआत में ही पहचान करते हुए रोका जा सकता है। इसके लिए संक्रमित व्यक्ति को फाइलेरिया ग्रसित अंगों को पूरी तरह स्वच्छ पानी से साफ करना चाहिए। साथ ही सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा का नियमित सेवन करना चाहिए। वहीं, उन्होंने कहा, फाइलेरिया मुख्यतः मनुष्य के शरीर के चार अंगों को प्रभावित करता है। जिसमें पैर, हाथ, हाइड्रोसील एवं महिलाओं का स्तन शामिल हैं । हाइड्रोसील के अलावा फाइलेरिया संक्रमित अन्य अंगों को ऑपरेशन द्वारा ठीक नहीं किया जा सकता है। संक्रमित व्यक्ति को सामान्य उपचार के लिए किट उपलब्ध कराई जाती है, जबकि हाइड्रोसील फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति को मुफ्त ऑपरेशन की सुविधा मुहैया कराई जाती ।
  • पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क से फाइलेरिया उन्मूलन को गति देने में मिलेगा सहयोग :
    भीबीडीएस मनीष कुमार ने बताया, फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर पेशेंट सपोर्ट नेटवर्क बनाया जा रहा है। जिसमें संक्रमित मरीजों को शामिल कर उन्हें इलाज समेत अन्य आवश्यक और जरूरी जानकारी देकर जागरूक किया जा रहा है। सामुदायिक स्तर पर भी लोगों को फाइलेरिया से बचाव के लिए जागरूक किया जा रहा है। इस नेटवर्क का जिले में शुरू होने वाले एमडीए अभियान में भी सहयोग लिया जाएगा।
  • फाइलेरिया से प्रभावित अंग की विशेष देखभाल और साफ-सफाई जरूरी :
    फाइलेरिया से प्रभावित अंग की विशेष देखभाल और साफ-सफाई का ख्याल रखना बेहद जरूरी है। फाइलेरिया संक्रमित होने पर व्यक्ति को हर महीने एक-एक सप्ताह तक तेज बुखार, पैरों में दर्द, जलन, के साथ बेचैनी होने लगती है। एक्यूट अटैक के समय मरीज को पैर को साधारण पानी में डुबाकर रखना चाहिए या भीगे हुए धोती या साड़ी को पैर में अच्छी तरह लपेटना चाहिए।
  • फाइलेरिया क्या है ?
  • फाइलेरिया मच्छर के काटने से होने वाला एक संक्रामक रोग है।
  • किसी भी उम्र के व्यक्ति फाइलेरिया से संक्रमित हो सकता है।
  • फाइलेरिया के लक्षण हाथ और पैर में सूजन (हाँथीपाँव) व हाईड्रोसील (अण्डकोष में सूजन) है।
  • किसी भी व्यक्ति को संक्रमण के पश्चात बीमारी होने में 05 से 15 वर्ष लग सकते हैं।
  • फाइलेरिया से बचाव के उपाय :
  • सोने के समय मच्छरदानी का निश्चित रूप से प्रयोग करें।
  • घर के आसपास गंदा पानी जमा नहीं होने दें।
  • अल्बेंडाजोल व डीईसी दवा का निश्चित रूप से सेवन करें।
  • साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें।
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