वीएचएसएनडी को प्रभावी बनाने की कवायद, स्वास्थ्य परामर्श पर दिया जा रहा ज़ोर

  -मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को बेहतर करने में कारगर है वीएचएसएनडी
       -नियमित अनुश्रवण से निरंतरता लाने का हो रहा प्रयास 

लखीसराय –

सामुदायिक स्तर पर मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को बेहतर करने में ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस(वीएचएसएनडी) अहम भूमिका अदा कर रहा है। साथ ही गर्भावस्था पंजीकरण से लेकर प्रसव पूर्व जाँच, प्रतिरक्षण, पोषण एवं स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाएं सामुदायिक स्तर पर उपलब्ध कराने में सफ़ल हो रहा है। वीएचएसएनडी को और प्रभावी बनाने के लिए इसके उद्देश्यों में सन्निहित सम्पूर्ण स्वास्थ्य परामर्श पर विशेष बल दिया जा रहा है। इसके नियमित संचालन को सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तरीय पदाधिकारियों की देख-रेख में प्रखण्ड स्तरीय कर्मियों को नियमित रूप से वीएचएसएनडी सत्रों के अनुश्रवण की ज़िम्मेदारी दी गयी है।
स्वास्थ्य परामर्श एवं अनुश्रवण पर बल:
जिला के सिविल सर्जन डॉ . देवेन्द्र कुमार चौधरी ने बताया आशा, आंगनबाड़ी एवं एएनएम के सहयोग से प्रत्येक सप्ताह में बुधवार एवं शुक्रवार को आंगनबाड़ी केन्द्रों पर वीएचएसएनडी का आयोजन किया जा रहा है। इसके प्रभावी एवं नियमित संचालन के लिए प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों के चिकित्सा प्रभारी को वीएचएसएनडी सत्रों का दौरा कर बेहतर अनुश्रवण सुनिश्चित कराने की ज़िम्मेदारी दी गयी है। सभी एएनएम को वीएचएसएनडी सत्रों के आयोजन की रिपोर्टिंग संबंधित पीएचसी को करने की अनिवार्यता भी की गयी है। साथ ही इसे और प्रभावी बनाने के लिए प्रसव पूर्व जाँच एवं नियमित प्रतिरक्षण के अलावा मातृ, शिशु एवं किशोरी स्वास्थ्य ,पोषण, स्वच्छता एवं अन्य रोगों पर माताओं को जागरूक करने पर विशेष बल दिया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार द्वारा जारी वीएचएसएनडी गाइड के तहत आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं एएनएम को प्रशिक्षण प्रदान किया गया है।
सभी एएनएम को इन गतिविधियों को किया जा रहा शामिल: ग्रामीण स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस पर गर्भवती महिलाओं का पंजीकरण, पंजीकृत महिलाओं को प्रसव पूर्व जाँच की सुविधा उपलब्ध कराना, बच्चों का नियमित टीकाकरण, बच्चों का वज़न कर कुपोषण की पहचान करने के अलावा स्वास्थ्य परामर्श पर भी बल दिया जा रहा है।
 गर्भावस्था के दौरान गंभीरता के संकेत एवं बेहतर देखभाल की जरूरत। प्रसव पूर्व तैयारी एवं संस्थागत प्रसव की जरूरत
 प्रसव उपरांत देखभाल की जरूरत एवं नवजात शिशुओं की उचित देखभाल
 गर्भावस्था से लेकर शिशु जन्म के 2 वर्षों तक माता एवं बच्चे के बेहतर पोषण की आवश्यकता
 6 माह तक सिर्फ स्तनपान एवं इसके बाद अनुपूरक आहार की जरूरत
 बच्चों में सम्पूर्ण टीकाकरण की जानकारी
 परिवार नियोजन साधनों की उपलब्धता एवं इसके फ़ायदे
 स्वच्छता एवं साफ-सफाई से रोगों से बचाव
 संक्रामक एवं गैर-संक्रामक रोगों की जानकारी
दायित्वों का बंटवारा : वीएचएसएनडी सत्र को सफ़ल बनाने के लिए आशा, आंगनबाड़ी एवं एएनएम के दायित्वों का बंटवारा किया गया है। आशाओं को अपने क्षेत्र का दौरा कर गर्भवती महिलाओं की पहचान एवं प्रतिरक्षित किए जाने वाले एवं छूटे हुये बच्चों की पहचान कर सूची तैयार करना होता है। इसके अलावा उन्हें सत्र के दौरान चिह्नित माताओं एवं बच्चों की उपस्थिति भी सुनिश्चित करनी होती है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को इस दिवस पर आंगनबाड़ी केंद्र की साफ-सफ़ाई, पेय जल की उपलब्धता एवं महिलाओं के लिए प्राइवेसी सुनिश्चित करने की ज़िम्मेवारी होती है। साथ ही कुपोषित बच्चों की पहचान कर उन्हें स्वास्थ्य केन्द्रों पर रेफ़र करने एवं पोषण पर सलाह देने का भी कार्य करती हैं। एएनएम वीएचएसएनडी सत्र के नियमित आयोजन, आयोजन के बाद संबंधित पीएचसी को रिपोर्टिंग, बच्चों का टीकाकरण के अलावा स्वास्थ्य संबंधित परामर्श देने का कार्य करती हैं।

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