कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता की वजह से बार-बार बीमार होता है नवजात, करें उचित देखभाल

  • नवजात को जन्म के छह महीने तक कराएं सिर्फ स्तनपान तो विकसित होगी रोग-प्रतिरोधक क्षमता
  • मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता के लिए संपूर्ण टीकाकरण आवश्यक, संक्रामक बीमारी से भी होगा बचाव

मुंगेर-

नवजात शिशु के स्वस्थ शारीरिक विकास के लिए सही तरीके से देखभाल सबसे महत्वपूर्ण है। इसे सुनिश्चित करने में सबसे बड़ा योगदान नवजात की माँ का ही होता है। इसमें थोड़ी सी लापरवाही बड़ी परेशानी का कारण बन जाती और नवजात बार- बार किसी न किसी बीमारी से ग्रसित रहने लगता है। इसकी वजह से शिशु शारीरिक रूप से भी बेहद कमजोर होने लगता है। शिशु का बार- बार बीमार होना कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता का बड़ा संकेत है। इसलिए जन्म के बाद नवजात की रोग-प्रतिरोधक क्षमता सहित अन्य देखभाल को लेकर पूरी तरह से सजग रहना बेहद जरूरी है। इसके लिए नवजात की उचित देखभाल के साथ- साथ जन्म के बाद छह माह तक सिर्फ और सिर्फ माँ ही स्तनपान कराएं। इस दौरान पानी भी नहीं दें। इससे ना सिर्फ बच्चे स्वस्थ रहते हैं बल्कि, उसकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है।

  • माँ के दूध से बच्चों की विकसित होती है रोग-प्रतिरोधक क्षमता : पोषण एवम पुनर्वास केंद्र मुंगेर की फीडिंग डिमोंस्ट्रेटर रचना भारती ने बताया कि उचित पोषण से ही बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होता और वे स्वस्थ भी रहते हैं। इसलिए शिशु को जन्म के पश्चात छह महीने तक सिर्फ और सिर्फ माँ ही स्तनपान कराएं। इस दौरान बच्चों को किसी भी प्रकार का कोई ऊपरी आहार नहीं दें। यहाँ तक कि इस दौरान पानी भी नहीं दें। माँ का दूध बच्चों के लिए अमृत के समान होता है। यह स्वस्थ शरीर निर्माण के लिए भी महत्वपूर्ण है। माँ के दूध में मौजूद पोषक तत्व जैसे पानी, प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट मिनरल्स, वसा, कैलोरी शिशु को न सिर्फ बीमारियों से बचाते बल्कि उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाते हैं। इसके साथ ही स्तनपान से बच्चे की पाचन क्रिया भी मजबूत होती है। मां के दूध को शिशु का प्रथम टीका कहा गया है। यह छह माह तक के बच्चे के लिए बेहद जरूरी है। छह माह के बाद बच्चों के सतत विकास के लिए ऊपरी आहार की जरूरत पड़ती है। लेकिन, इस दौरान यह ध्यान रखना सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता कि उसे कैसा आहार दें।
  • मजबूत रोग- प्रतिरोधक क्षमता के लिए संपूर्ण टीकाकरण जरूरी :
    जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ राजेश कुमार रौशन ने बताया कि मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता के लिए बच्चों का संपूर्ण टीकाकरण बेहद जरूरी है। इससे ना सिर्फ बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती बल्कि संक्रामक बीमारी से भी बचाव होता है।
    नियमित टीकाकरण बीमारियों के प्रति रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा करता है। इसके साथ ही एंटीबॉडी बनाकर शरीर को भी सुरक्षित रखता है। टीकाकरण से बच्चों में जानलेवा बीमारियों का खतरा बहुत हद तक कम हो जाता है। शिशुओं के मौत की एक बड़ी वजह उनका सही तरीके से टीकाकरण नहीं होना है। टीकाकरण संक्रमण के बाद या बीमारी के खिलाफ व्यक्ति की रक्षा करता और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत बनाता है। नियमित टीकाकरण से बच्चों को चेचक, हेपेटाइटिस जैसी कई अन्य बीमारियों से बचाया जा सकता है।
  • मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता संक्रामक बीमारी से भी रखता है दूर :
    उन्होंने बताया कि मजबूत रोग-प्रतिरोधक क्षमता संक्रामक बीमारी से भी दूर रखता है। इसलिए बच्चों की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को लेकर शुरुआती दौर से ही सजग रहने की आवश्यकता है। यदि शुरुआती दौर से ही बच्चे की रोग-प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होगी तो नवजात के स्वस्थ शरीर का निर्माण होगा और वह आगे भी शारीरिक रूप से मजबूत रहेगा।
  • छह माह के बाद ही नवजात को दें ऊपरी आहार :
    फीडिंग डिमोंस्ट्रेटर रचना भारती ने बताया कि नवजात को छह महीने के बाद किसी प्रकार का बाहरी या ऊपरी आहार देना चाहिए। छह माह तक सिर्फ और सिर्फ माँ का ही स्तनपान कराना चाहिए और कम से कम दो वर्षों तक ऊपरी आहार के साथ माँ का स्तनपान भी जारी रखना चाहिए। इसके साथ ही नवजात के लालन- पालन के दौरान साफ- सफाई का भी विशेष ख्याल रखें। बच्चों को गोद लेने के पहले खुद अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें, बच्चों को हमेशा साफ कपड़ा पहनाएं, गीला व गंदा कपड़ा से बच्चे को हमेशा दूर रखें। इससे वह संक्रामक बीमारी से दूर रहेगा।
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