सबसे लंबी रेल टनल से चीन को बडी चुनौती मिल रही है इसीलिए चीन बौखलाहट में है। अब भारत सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के साथ-साथ रेल लाइनों को भी पहुंचाने में जुटा है। पूर्वोत्तर की तीन रेल लाइनों का सर्वेक्षण भी पूरा किया जा चुका है। भले ही इन्हें पूरा होने में अभी समय है, लेकिन यह प्रोजेक्ट ऐसा है जो 2024 में ही भारत को चीन के गले तक पहुंचा देगा। रेलवे का यह सबसे महंगा प्रोजेक्ट है। इसके तहत ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेल चलाई जानी है। यह रेल लाइन शुरू होने के बाद बाराहोती बॉर्डर पर चीन कोई हिमाकत नहीं कर सकेगा।
उत्तराखंड में चीन की सीमा 345 किमी लंबी है. तवांग, गलवान, डोकलाम की तरह ही बाराहोती बॉर्डर भी है, ये उतना चर्चित तो नहीं, लेकिन बेहद संवेदनशील है। रेलवे ने ट्रैक को जोशीमठ तक पहुंचाने की तैयारी कर ली है। ऐसा होने के बाद भारतीय सेना चीन के सिर तक पहुंच जाएगी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रोजेक्ट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट मंजूर हो चुकी है। ये रेलवे के इतिहास का सबसे बड़ा और महंगा प्रोजेक्ट है।जिसकी लागत तकरीबन 24 हजार करोड़ रुपये है। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक 125 किमी लंबे रेलवे ट्रैक का तकरीबन 90 प्रतिशत हिस्सा टनल से गुजरेगा. यानी की 105 किमी लंबी दूरी अंडरग्राउंड ही तय होगी। इतनी दूरी के बीच 12 स्टेशन बनाए गए हैं जो 16 टनल से होकर दूरी तय करेंगे। इस रूट पर ट्रेन चलने के बाद ऋषिकेश से बाराहोती की दूरी 5 से 6 घंटे में तय हो जाएगी, जबकि अभी इतनी दूरी तय करने में 12 से 16 घंटे लगते हैं।