विशेष श्रेणी की महिलाएं 20 से 24 सप्ताह तक करा सकती हैं गर्भ समापन

-बाराहाट सीडीपीओ ऑफिस में 29 सेविका दीदियों को सुरक्षित गर्भपात के बारे में दी गयी जानकारी
-एमटीपी एक्ट में हाल के दिनों में किए गए संशोधनों के बारे में सेविका दीदियों को कराया अवगत

बांका, 12 जनवरी –

बाराहाट सीडीपीओ ऑफिस में गुरुवार को सांझा प्रयास नेटवर्क द्वारा सुरक्षित गर्भ समापन कार्यक्रम के तहत 29 सेविका दीदियों को सुरक्षित गर्भपात के बारे में जानकारी दी गयी। सेविका दीदियों को बताया गया कि विशेष श्रेणी की महिलाओं के गर्भ समापन की अवधि 20 से 24 सप्ताह तक बढ़ाई गई है। इस कानून के बारे में सेवा भारती सेवापुरी संस्था के रिसर्च एंड ट्रेनिंग कोऑर्डिनेटर रितेश रंजन ने विशेष बैठक के दौरान सेविका दीदियों को जानकारी प्रदान की।
घरेलू उपायों से गर्भ समापन कराने में मौत तक हो जाती थीः इस बैठक में जानकारी दी गई कि 1971 से पूर्व किसी भी प्रकार का गर्भ समापन अवैध माना जाता था। गर्भ समापन के लिए बड़ी कठिनाइयों का सामना करना होता था। अनेक तरह के घरेलू उपायों से गर्भ समापन करने की प्रक्रिया में महिलाओं की मौत तक हो जाती थी। उसे रोकने के लिए 1971 में एमटीपी एक्ट बना। इसके बाद से सुरक्षित गर्भ समापन की प्रक्रिया शुरू हुई। अज्ञानता के कारण गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर में कुछ खास कमी नहीं हो रही थी। उन्होंने बताया कि 1971 के प्रावधानों के अनुसार गर्भ समापन कई शर्तों के साथ वैध माना गया और एमटीपी एक्ट में 2021 में संशोधन किया गया। इससे विशेष श्रेणी की महिलाओं के लिए 24 सप्ताह तक के गर्भ को शर्तों के अनुसार समापन कराया जा सकता है।
गोपनीयता का पालन कड़ाई से करना जरूरीः रितेश रंजन ने बताया कि पर्याप्त भ्रूण विकृति के मामलों में गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भ समापन को मान्य किया गया है। किसी भी महिला या उसके साथी के द्वारा प्रयोग किए गए गर्भ निरोधक तरीके की विफलता की स्थिति में अविवाहित महिलाओं को भी गर्भ समापन सेवाएं दी जा सकेंगी। उन्होंने बताया कि 20 सप्ताह तक एमटीपी के लिए एक आरएमपी और 20 से 24 सप्ताह के लिए दो आरएमपी की राय चाहिए। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि गोपनीयता को कड़ाई से बनाए रखा जाना आवश्यक है। इस मौके पर लेडीज सुपरवाइजर आशा कुमारी, हीरा देवी और ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर विकास कुमार उपस्थित थे।

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