संशोधित चिकित्सीय गर्भसमापन अधिनियम 2021 – विशेष श्रेणी की महिलाएं 20 से 24 सप्ताह तक करा सकती हैं गर्भ का समापन 

-बाराहाट सीडीपीओ ऑफिस में 30 आंगनबाड़ी सेविकाओं को गर्भ समापन के बारे में कानूनी जानकारी दी गई -प्रशिक्षण का आयोजन सांझा प्रयास नेटवर्क ने किया, सुरक्षित गर्भ समापन रखा गया था कार्यक्रम का विषय
बांका, 9 फरवरी। सांझा प्रयास नेटवर्क ने सुरक्षित गर्भ समापन कार्यक्रम के तहत बाराहाट सीडीपीओ ऑफिस में गुरुवार को 30 आंगनबाड़ी सेविकाओं को प्रशिक्षण दिया। प्रशिक्षण के दौरान सेविका दीदियों को गर्भ समापन के बारे में कानूनी जानकारी दी गई। इस दौरान बताया गया कि विशेष श्रेणी की महिलाओं के गर्भ समापन की अवधि 20 से 24 सप्ताह तक बढ़ा दी गई है। कानून के बारे में सेवा भारती सेवापुरी संस्था के रिसर्च एंड ट्रेनिंग कोऑर्डिनेटर रितेश रंजन ने सेविका दीदियों को जानकारी प्रदान की।प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि 1971 से पूर्व किसी भी प्रकार का गर्भ समापन अवैध माना जाता था। गर्भ समापन के लिए बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। अनेक तरह के घरेलू उपायों से गर्भ समापन करने की  प्रक्रिया में महिलाओं की मृत्यु तक हो जाती थी। उसे रोकने के लिए 1971 में  एमटीपी एक्ट बना। इसके बाद से सुरक्षित गर्भ समापन की प्रक्रिया शुरू हुई। हालांकि अज्ञानता के कारण गर्भवती महिलाओं की मृत्यु दर में कुछ खास कमी नहीं हो रही थी। उन्होंने बताया संशोधित चिकित्सीय गर्भसमापन अधिनियम 2021 के तहत  विशेष श्रेणी की महिलाओं के लिए 24 सप्ताह तक के गर्भ को शर्तों के अनुसार समापन कराया जा सकता है।गर्भ निरोधक तरीके विफल होने पर अवविहाति महिलाएं भी करा सकती हैं गर्भ समापनः उन्होंने बताया कि पर्याप्त भ्रूण विकृति के मामलों में गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भ समापन को मान्य किया गया है। किसी भी महिला या उसके साथी के द्वारा प्रयोग किए गए गर्भ निरोधक तरीके की विफलता की स्थिति में अविवाहित महिलाओं को भी गर्भ समापन सेवाएं दी जा सकेंगी। उन्होंने बताया कि 20 सप्ताह तक एमटीपी के लिए एक आरएमपी और 20 से 24 सप्ताह के लिए दो आरएमपी की राय चाहिए। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा गर्भ समापन को लेकर गोपनीयता को कड़ाई से बनाए रखा जाना आवश्यक है। इस अवसर पर एलएस आशा कुमारी भी मौजूद थीं।

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