कर्म और शौर्य का अद्भुत संगम है सिक्स सिग्मा। इसके वीर फौलादी इरादों से लिखते हैं नई गाथा। मुस्काराते हुए पार करते हैं हर कठिन चुनौती। दुर्गम रास्ते भी इन्हें करते हैं सलाम। ऐसी ही जोश, जुनून और साहस की पराकाष्ठा से पेश की गुलमर्ग स्थित भारतीय स्कीइंग और पर्वतारोहण संस्थान में नई मिसाल। आईआईएसएम में हिमस्खलन (ऐवलैन्च) में बचाव और रेस्क्यू प्रशिक्षण के दौरान बनाया सीजन का सबसे पहला इग्लू (बर्फ का घर)। केन्द्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी इग्लू की तारीफ़ की और सिक्स सिग्मा टीम को शुभकामनाएँ दी । सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डाॅ. प्रदीप भारद्वाज के नेतृत्व में सिक्स सिग्मा हाई ऐल्टिट्यूड मेडिकल सर्विस की 25 सदस्यीय टीम ने बर्फ से ढकी चोटियों के मध्य स्थित भारतीय स्कीइंग और पर्वतारोहण संस्थान में माइनस 20 डिग्री तापमान में सात दिवसीय ट्रेनिंग सत्र के दौरान जमकर पसीना बहाया और ऐवलैन्च से बचाव और रेस्क्यू की बारीकियों के साथ-साथ त्वरित सहायता प्रदान कराने की विधियों को सीखा। इसके अलावा पूर्व में ली गई ट्रेनिंग के दौरान सीखे गए गुरों को वहां पर करके भी दिखाया, जो इग्लू के रूप में दिखा। भारतीय स्कीइंग और पर्वतारोहण संस्थान (आईआईएसएम) में सिक्स सिग्मा हाई ऐल्टिट्यूड मेडिकल सर्विस के प्रशिक्षण सत्र के समापन पर पधारे जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के मुख्य सलाहकार श्री राजीव राय भटनागर ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए और मेडिकल टीम द्वारा बनाए गए इग्लू को देखा और डाॅ. प्रदीप भारद्वाज से निर्माण के बारे में जानकारी ली। उन्होंनेे कहा, हम मौत को भी सिरहाने रख कर सोते हैं। आज हम तोड़ रहे हैं बर्फीले बवंडर का चक्रव्यूह। हमारी हाई ऐल्टिटूड मेडिकल सेवाओं का युगों-युगों से इतिहास साक्षी रहेगा। डाॅ. भारद्वाज ने मुख्य सलाहकार भटनागर जी को बताया कि भारतीय स्कीइंग और पर्वतारोहण संस्थान के इतिहास में ले पहला अवसर है कि किसी टीम ने ट्रेनिंग के दौरान इग्लू बनाया। इग्लू के निर्माण की खास बात होती है कि इसकेे बनाने में बर्फ के सिवाय कोई सामग्री प्रयोग में नहीं लाई जाती है। यह घर रहने वाले को बाहर के मौसम व ठंड से राहत देता है। कनाडा के मध्य आर्कटिक और ग्रीनलैंड के क्षेत्रों के लोग इसका इस्तेमाल काफी समय से कर रहे हैं। ऊँचे बर्फीले पहाड़ों में सिक्स सिग्मा के लिए बचाव का सबसे कारगर हथियार इग्लू होता है। इसके अंदर सिक्स सिग्मा का डॉक्टर एक मोमबत्ती के सहारे कई दिन गुजार सकता है। एक इग्लू में 3-4 लोग रह सकते हैं। क्यों बनाए जाते हैं इग्लू :- ठंड वाले घर को इग्लू कहते हैं। इग्लू का मतलब होता है बर्फ का घर। चूंकि ठंड के दिनों में वहां का तापमान -50 डिग्री सेल्सियस से भी नीचे चला जाता है। इसलिए ठंड से बचने के लिए एस्किमो इग्लू का निर्माण करते हैं। इग्लू बनाने के लिए वे ठोस बर्फ के टुकड़ों को आपस में जोड़ देते हैं। इग्लू के अंदर किसी व्यक्ति का दम न घुटे, इसलिए इग्लू की छत पर एक छेद भी किया जाता है। कई बार इग्लू को बाहर से कंबलों से भी ढक दिया जाता है, ताकि अंदर भी गर्मी बरकरार रहे। इग्लू तूफान आने पर टूटे नहीं, इसलिए उसे गुंबद का आकार दिया जाता है। इग्लू को बनाने में कम से 6 घंटे का वक्त लगता है। इग्लू कैसे रहता है अंदर से गरम-जिस तरह रजाई या स्वेटर हमारे शरीर की गर्मी को अंदर रोककर हमें गरम रखते हैं। उसी तरह बर्फ के घर भी अंदर रह रहे लोगों के शरीर से उत्पन्न गर्मी को बाहर नहीं जाने देता है।