– 10 फरवरी से जिला भर के सभी प्रखंडों में आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के द्वारा घर
– घर जाकर लोगों को खिलाई जा रही है फाइलेरिया की दवा
– एमडीए राउंड के दौरान लोगों के बीच ड्रग डिस्ट्रीब्यूशन की जगह ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन पर फोकस करें स्वास्थ्य कर्मी
मुंगेर, 16 फरवरी
हाथीपांव जैसी दिव्यांगता से खुद को सुरक्षित रखना है तो एमडीए राउंड के दौरान स्वास्थ्य कर्मियों के सामने ही खाएं फाइलेरिया की दवा । उक्त बात गुरुवार को जिलावासियों से स्वास्थ्य कर्मियों के सामने ही फाइलेरिया की दवा के रूप में अल्बेंडाजोल और डीईसी की टेबलेट्स खाने की अपील करते हुए जिला के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ अरविंद कुमार सिंह ने कही।
उन्होंने बताया कि मानसिक रोग के बाद दुनिया भर में फाइलेरिया दिव्यांगता का सबसे बड़ा कारण है। विश्व भर के फाइलेरिया प्रभावित रोगियों के लगभग 40% रोगी भारत में हैं। मुंगेर में लिम्फेटिक फैलेरियसिस (हाथी पांव) के कुल 5120 केस हैं।
उन्होंने बताया कि विगत 10 फरवरी से लगातार घर घर जाकर आशा कार्यकर्ता और आंगनबाड़ी सेविका – सहायिका द्वारा लोगों को फाइलेरिया की दवा के रूप में एक टेबलेट्स अल्बेंडाजोल और उम्र के अनुसार जैसे 2 से 6 वर्ष के बच्चे को डीईसी एक टैबलेट, 6 से 14 साल के बच्चे को डीईसी की दो टेबलेट्स और 14 से अधिक उम्र के सभी लोगों को डीईसी की तीन टेबलेट्स खिलाई जा रही है।
इस दौरान 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं, एक सप्ताह के अंदर मां बनने वाली माताओं और गंभीर रूप से बीमार लोगों को फाइलेरिया की दवा नहीं खानी है। इस दौरान यह विशेष रूप से ध्यान देने की आवश्यकता है कि कोई भी खाली पेट दवा का सेवन नहीं करें। कुछ खाने के बाद ही फाइलेरिया की दवा खाएं ।
एमडीए राउंड के दौरान लोगों के बीच ड्रग डिस्ट्रीब्यूशन की जगह ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन पर फोकस करें स्वास्थ्य कर्मी : एमडीए राउंड को सफल बनाने में जुटे स्वास्थ्य कर्मियों से अपील करते हुए उन्होंने बताया कि हमलोगों का कार्यक्रम मास ड्रग डिस्ट्रीब्यूशन (एमडीडी) नहीं हैं बल्कि मास ड्रग एडमिस्ट्रेशन (एमडीए) है। इसलिए आप लोग घरों में फाइलेरिया की दवा छोड़कर नहीं आएं बल्कि अपने सामने लोगों को फाइलेरिया की दवा खिलवाएं। क्योंकि कई लोग दवा तो जरूर लेते हैं लेकिन बाद में उसे खाते नहीं। इसकी वजह से ऐसे लोगों के फाइलेरिया बीमारी से संक्रमित होने की संभावना ज्यादा रहती है।
एमडीए अभियान के दौरान लगातार पांच वर्षों तक फाइलेरिया की दवा का सेवन करने से उस व्यक्ति को फाइलेरिया से संक्रमित होने की संभावना नहीं रहती है। इस बीमारी में ऐसा देखा गया है कि मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने के बाद फाइलेरिया के लक्षण दिखने में 5 से 15 साल तक भी समय लग जाता है। इसलिए सभी लोग स्वास्थ्य कर्मियों के सामने ही फाइलेरिया की दवा खाकर 10 फरवरी से 14 दिनों तक चलने वाले एमडीए अभियान को सफल बनाएं और स्वास्थ्य विभाग, केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा देश को फाइलेरिया मुक्त बनाने के अभियान में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें ।