यज्ञ_द्वारा_प्रदूषण_मुक्त कार्यप्रणाली_
वायु_प्रदूषण_का
समस्त विश्व के प्रदूषण का समाधान
इस समय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सहित समस्त विश्व में प्रदूषण की ईकाई गुणवत्ता के लिहाज से बेहद खराब स्थिति है| #एयर_क्वालिटी_इंडेक्स 500 के आंकड़े को छू रहा है| सरकार संस्थाओं, विशेषज्ञों को सूझ नहीं रहा है ऐसी स्थिति में क्या किया जाए..?
समाधान सभी के सामने है हमारे ऋषि मुनियों अर्थात महावैज्ञानिको ने वेदों में प्रदूषण के खात्मे के लिए जो ज्ञान हमारे पूर्वजों व सारी सृष्टि के मनुष्यों के लिए दिया था वह केवल और केवल यज्ञ है।
जी हां यज्ञ #तथाकथित धर्मनिरपेक्ष_सरकार व संस्थाओं को यह वैश्विक प्राकृतिक समाधान दिखाई नहीं दे रहा| या यू कहेंं कि पश्चिम के षडयंत्रकारी तथाकथित मानवता के ठेकेदारो ने अपने वैज्ञानिको को सर्वोच्च बताने की होड लगी है। विश्वभर में भारत की सम्पूर्ण वैज्ञानिक संस्कृति को धता बताकर उसी से चुराकर अपने नाम करने की कुटिल नीति जोरो पर है।
यज्ञ से प्रदूषण के नाश को समझने से पहले प्रदूषण को समझना होगा वायु में 2 माइक्रोमीटर से लेकर 10 #माइक्रोमीटर के तत्व तैरते रहते हैं जिसे #एयरोसोल बोला जाता है जिसमें धूल के कण, फुके हुए पेट्रोल डीजल के कन अर्थात हाइड्रोकार्बन ,बैक्टीरिया ,वायरस आदि शामिल होते हैं| माइक्रोमीटर को भी समझना जरूरी है माइक्रोमीटर मीटर का 10 लाख वा हिस्सा होता है| इसे ऐसे समझ सकते हैं हमारे सिर के बाल की मोटाई 50 माइक्रोमीटर होती है अब सोचिए इतने सूक्ष्म 2.5 से लेकर 10 माइक्रोमीटर के प्रदूषक कणों को कैसे नियंत्रण में लाया जाए इसके लिए यज्ञ की कार्यप्रणाली तीन स्तर पर कार्य करती है….. #भौतिक_विज्ञान का सीधा सा नियम है जो पदार्थ जितना सूक्ष्म व हल्का होता है वह उतनी ही देरी तक वायुमंडल में टिका रहता है परमात्मा ने एक व्यवस्था विकसित की है वायुमंडल में सूक्ष्म कण मिलकर स्थूल कण का निर्माण करते रहते हैं तथा एक निश्चित मात्रा में मोटे होने पर गुरुत्व के प्रभाव से जमीन की ओर गति करते हैं अंत में धरती की सतह से चिपक जाते हैं इस प्रक्रिया को भी #डिपोजिशन_प्रक्रिया बोला जाता है यज्ञ करने से डीपोजीशन #velocity में वृद्धि होती है सूक्ष्म प्रदूषक कण वातावरण में ठहर नहीं पाते स्थूल होकर जमीन पर गिर जाते हैं क्योंकि यज्ञ से निर्मित सूक्ष्म घी के कण इन कणों को चिपका कर विशाल आकार में परिवर्तित कर देते हैं 100 #माइक्रोमीटर तक अब वह वायुमंडल में अधिक देर तक रुक नहीं पाते क्योंकि यज्ञ से निर्मित सूक्ष्म कण इन प्रदूषण कणों से 10 गुना अधिक आकार में छोटे होते हैं |
जहां यज होता है #यज्ञवेदी के चारों ओर वायुमंडलीय दाब कम हो जाता है इससे वायु उच्च दाब से निम्न दाब की ओर बहने लगती है वायुमंडल मैं सक्रियता उत्पन्न हो जाती है वायुमंडल की प्राकृतिक सक्रियता ही प्रदूषण को नियंत्रित करती है जो अब कम हो गई है यज्ञ से यह सक्रियता #पुनर्जीवित हो जाती है | इतना ही नहीं यज्ञ से पेड़ों के कार्बन डाइऑक्साइड सोखने की क्षमता में वृद्धि होती है फलस्वरूप अधिक #कार्बन_डाइऑक्साइड वातावरण में #उच्च_अनुपात में मौजूद नहीं रह पाती| ऐसी अनेक यज्ञ की कार्यप्रणाली है जिनका वर्णन नहीं किया जा सकता क्योंकि #यज्ञ सर्वोच्च परमपिता परमात्मा की वेदोक्त आज्ञा है इससे श्रेष्ठ कोई कर्म नहीं है सरकार के चक्कर में मत पड़िए सरकार के चक्कर में रहोगे तो अपनी जान से हाथ धो बैठोगे पर्यावरण प्रदूषण से होने वाली सांस रोग ,कैंसर जैसी बीमारियों के कारण |आज से ही अपने घर में सुबह -शाम यज्ञ करना तथा सामूहिक बड़े-बड़े यज्ञ कार्यक्रम कराना शुरू कर दीजिए यह प्रदूषण आपका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा क्योंकि यज्ञ से रोग नाशक जड़ी बूटियों के प्रभाव से हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है हानिकारक #बैक्टीरिया वायरस का नाश भी होता है।
मंत्रो से मन प्राण की शक्ति बढती है। पर्यावरण प्रदूषण से यह अलग विषय है।
श्री गुरुजी भू
प्रकृति अध्येता