फिरोजाबाद।
21 जून 2023 को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर जिला कारागार एवं राजकीय बाल गृह सुहाग नगर तथा जनपद न्यायालय प्रांगण में योग शिविरों का आयोजन किया गया।
जिसमें प्राधिकरण के सचिव श्री यजुवेन्द्र विक्रम सिंह द्वारा योग के बारे में बताया कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून को मनाया जाता है भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिन्होंने योग दिवस मनाने का विचार प्रस्तावित किया था, ने सुझाव दिया कि यह 21 जून को मनाया जाना चाहिए। उनके द्वारा सुझाई गई इस तारीख का कारण सामान्य नहीं था। इस अवसर को मनाने के लिए प्रस्तावित कुछ कारण है।
21 जून उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन है और इसे ग्रीष्मकालीन अस्थिरता कहा जाता है। यह दक्षिणाइया का एक संक्रमण प्रतीक है जिसे माना जाता है कि यह एक ऐसी अवधि होती है जो आध्यात्मिक प्रथाओं का समर्थन करती है। इस प्रकार योग की आध्यात्मिक कला का अभ्यास करने के लिए एक अच्छी अवधि माना जाता है।
इस वर्ष योग दिवस 2023 की थीम”वसुधैव कुटुम्बकम के लिए योग”है जो “एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य” के लिए हमारी साझा आकांक्षा को खूबसूरती से दर्शाता है। योग व्यायाम का ऐसा प्रभावशाली प्रकार है, जिसके माध्याम से न केवल शरीर के अंगों बल्कि मन, मस्तिष्क और आत्मा में संतुलन बनाया जाता है। यही कारण है कि योग से शारीरिक व्याधियों के अलावा मानसिक समस्याओं से भी निजात पाई जा सकती है।
योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृति के युज से हुई है, जिसका मतलब होता है आत्मा का सार्वभौमिक चेतना से मिलन। योग लगभग दस हजार साल से भी अधिक समय से अपनाया जा रहा है। योग की महिमा और महत्व को जानकर इसे स्वस्थ्य जीवनशैली हेतु बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है, जिसका प्रमुख कारण है व्यस्त, तनावपूर्ण और अस्वस्थ दिनचर्या में इसके सकारात्मक प्रभाव।
व्यापक रूप से पतंजलि औपचारिक योग दर्शन के संस्थापक माने जाते हैं। पतंजलि के योग, बुद्धि नियंत्रण के लिए एक प्रणाली है, जिसे राजयोग के रूप में जाना जाता है। पतंजलि के अनुसार योग के 8 सूत्र बताए गए हैं, जो निम्न प्रकार से हैं –
- यम – इसके अंतर्गत सत्य बोलना, अहिंसा, लोभ न करना, विषयासक्ति न होना और स्वार्थी न होना शामिल है।
- नियम – इसके अंतर्गत पवित्रता, संतुष्टि, तपस्या, अध्ययन, और ईश्वर को आत्मसमर्पण शामिल हैं।
- आसन – इसमें बैठने का आसन महत्वपूर्ण है।
- प्राणायाम – सांस को लेना, छोड़ना और स्थगित रखना इसमें अहम है।
- प्रत्याहार – बाहरी वस्तुओं से, भावना अंगों से प्रत्याहार।
- धारणा – इसमें एकाग्रता अर्थात एक ही लक्ष्य पर ध्यान लगाना महत्वपूर्ण है।
- ध्यान – ध्यान की वस्तु की प्रकृति का गहन चिंतन इसमें शामिल है।
- समाधि – इसमें ध्यान की वस्तु को चैतन्य के साथ विलय करना शामिल है। इसके दो प्रकार हैं- सविकल्प और अविकल्प। अविकल्प में संसार में वापस आने का कोई मार्ग नहीं होता। अत: यह योग पद्धति की चरम अवस्था है।
इस अवसर पर माननीय श्री अवधेश पाण्डेय, अध्यक्ष/प्रभारी जनपद न्यायाधीश महोदय, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा योग के बारे में बताया कि योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिसमें शरीर और आत्मा ( ध्यान ) को एकरूप करना ही योग कहलाता है। मन को शब्दों से मुक्त करके अपने आपको शांति और रिक्तता से जोडने का एक तरीका है योग। योग समझने से ज्यादा करने की विधि है।
योग साधने से पहले योग के बारे में जानना बहुत जरुरी है। योग के कई सारे अंग और प्रकार होते हैं, जिनके जरिए हमें ध्यान, समाधि और मोक्ष तक पहुंचना होता हैै। ‘योग’ शब्द तथा इसकी प्रक्रिया और धारणा हिन्दू धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म में ध्यान प्रक्रिया से सम्बन्धित है। योग शब्द भारत से बौद्ध पन्थ के साथ चीन, जापान, तिब्बत, दक्षिण पूर्व एशिया और श्रीलंका में भी फैल गया है और इस समय सारे सभ्य जगत् में लोग इससे परिचित हैं। सिद्धि के बाद पहली बार 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने प्रत्येक वर्ष 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मान्यता दी है।
उक्त कार्यक्रम में समस्त सम्मानित न्यायिक अधिकारीगणों एवं न्यायिक कर्मचारीगणों द्वारा पंतजलि योग पीठ के अनुभवी प्रशिक्षक द्वारा उपस्थित समस्त गणमान्य को योग कराया गया।