चाय से लेकर पान की दुकान तक UPI से किया जाने वाला पेमेंट देश की इकोनॉमी को बदल रहा है

चाय से लेकर पान की दुकान तक UPI से किया जाने वाला पेमेंट देश की इकोनॉमी को बदल रहा है। भारत को ‘न्यू इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ बनाने का ये सबसे इंपोर्टेंट टूल है। लेकिन आपने कभी गौर नहीं किया होगा कि आपका चाय वाले से लेकर पान की दुकान तक पर सिर्फ 5 रुपये का पेमेंट भी भारत को 7 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने में योगदान कर रहा है।

यूपीआई से किया जाने वाला पेमेंट देश की इकोनॉमी को बदल रहा है। ‘न्यू इंडिया’ में पेमेंट करने का ये तरीका ना सिर्फ देश की इकोनॉमी को नई रफ्तार और दिशा देने का टूल है, बल्कि भारत की ग्रोथ करती इकोनॉमी का साइज भी बढ़ा रहा है।

न्यू इंडिया’ में असल में सबकुछ ‘डिजिटल इंडिया’ होना था. सरकारी सेवाओं और योजनाओं तक आम लोगों की पहुंच सुनिश्चित और आसान करने के लिए ‘सार्वजनिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर’ की जरूरत महसूस हुई और इस तरह ‘इंडिया स्टैक’ ने जन्म लिया।

‘इंडिया स्टैक’ असल में कई सारी सरकारी मोबाइल एप्स का एक कलेक्शन है। इसमें आधार, डिजिलॉकर, को-विन और यूपीआई जैसे प्लेटफॉर्म शामिल हैं। आंकड़े दिखाते हैं कि साल 2022 में भारत में 74 अरब से ज्यादा डिजिटल ट्रांजेक्शन हुए। ये अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी और फ्रांस में कुल मिलाकर हुए डिजिटल ट्रांजेक्शन से कहीं ज्यादा है। इन डिजिटल ट्रांजेक्शन में 1.6 ट्रिलियन डॉलर के बराबर की राशि का लेनदेन हुआ।

भारत के ‘न्यू इंडिया’ के ये पिलर्स देश की जीडीपी में अभी लगभग 15 प्रतिशत का योगदान देते हैं। अगले 10 साल में ये बढ़कर 30 प्रतिशत हो जाएगा। इस तरह जब आने वाले समय में भारत की इकोनॉमी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगी और 7 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को छुएगी, तब उसमें इन्हीं यूपीआई पेमेंट, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और स्टार्टअप का योगदान होगा। हालांकि न्यू इंडिया के इन पिलर्स में आईटी सर्विसेस और हैंडसेट इत्यादि का एक्सपोर्ट भी शामिल है।

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