अमेरिका और यूरोप के एफआईआई ने भारत के शेयर बाजार में 75 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया

अमेरिका और यूरोप के एफआईआई भारत के शेयर बाजार में 75 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश कर चुके हैं। जिसकी वजह से शेयर बाजार 65300 अंकों के साथ लाइफ टाइम हाई पर खड़ा हो गया है। अगर केवल जून बात की करें तो यह आंकड़ा करीब 48 हजार करोड़ रुपये का है। इन्हीं विदेशी निवेशकों को साधने और बाजार की नब्ज को हाथ में रखने के लिए बांबे को हाथ में रखना काफी जरूरी है।

भारत का शेयर बाजार इसलिए भी सत्ता के लिए जरूरी है क्योंकि विदेशी निवेशकों का यह हॉट स्पॉट हो चला है। साल 2023 में विदेशी निवेशकों ने देश के बाजार में 75 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश कर दिया है।

अमेरिका और यूरोप के अधिकतर फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स भारत को लेकर काफी पॉजिटिव हो गए हैं। इसके अलावा संसदीय चुनावों में मोदी की जीत को लेकर काफी हद तक आश्वस्त भी हैं। ऐसे में भारतीय शेयर बाजार और राजनीति को एक साथ मथा जाए तो सामने कई लाख करोड़ रुपया दिखाई देगा और देश की इकोनॉमी मजबूत करता हुई दिखाई देगी। जिसके बाद पूरी दुनिया भारत को चीन और दूसरी तमाम बड़ी इकोनॉमी को पीछे छोड़ते हुए देखेगी।

दुनिया की नामी ब्रोकरेज फर्म जेफरीज़ जो दुनिया के बाजारों में निवेश करती है के क्रिस वुड जैसे मार्केट एक्सपर्ट ने भी नरेंद्र मोदी के दोबारा सत्ता में आने पर मुहर लगा दी है। उनका मानना है कि मोदी के नेतृत्व वाली मौजूदा भाजपा सरकार 2024 के लोकसभा चुनावों में फिर से चुनी जाएगी।

यूबीएस की भी अपने तौर एक रिपोर्ट आई है उसने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इस साल उभरते बाजारों में 4.6 फीसदी से कम रिटर्न देने के बावजूद भारत अभी भी 12 महीने के फॉरवर्ड प्राइस-टू-अर्निंग (पीई) बेस पर लगभग 62 फीसदी के प्रीमियम पर कारोबार कर रहा है। यूबीएस ने यह भी कहा कि 50 से अधिक एफआईआई यानी फॉरेन इंस्टीट्यूशल इंवेस्टर का आउटलुक भारत को लेकर पॉजिटिव है।

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