जहाँ त्रिशूल है, ज्योतिर्लिंग है, देव-प्रतिमाएं हैं, वहाँ मस्जिद कैसे हो सकती है?

जहाँ त्रिशूल है, ज्योतिर्लिंग है, देव-प्रतिमाएं हैं, वहाँ मस्जिद कैसे हो सकती है? यह ऐसा सवाल है जिसका उत्तर सभी जानते हैं और ऐसा उत्तर है जो सभी को सामने दिखाई देता है

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अगर हम ज्ञानवापी को मस्जिद कहेंगे तो फिर विवाद होगा। मुझे लगता है कि भगवान ने जिसको दृष्टि दी है, वो देखे कि त्रिशूल मस्जिद में क्या कर रहा है। हमने तो नहीं रखे हैं। ज्योतिर्लिंग है, देव-प्रतिमाएं हैं, पूरी दीवारें चिल्ला-चिल्लाकर क्या कह रही हैं कि यह मंदिर है लेकिन गन्दगी भरे दिमाग वाले नेताओं को सुनाई नहीं देता है और ना ही कुछ दिखाई देता है। ये प्रस्ताव मुस्लिम समाज से आना चाहिए कि ऐतिहासिक गलती हुई है, इसका समाधान होना चाहिए।

SHARE