अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहास में पहली बार महिला वाइस चांसलर बनने की उम्मीद

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इतिहास में पहली बार वाइस चांसलर के लिए महिला उम्मीदवार सामने आई है। ऐसे में अगर AMU के प्रस्ताव को राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू की मंजूरी मिल गई तो फिर ये फैसला ऐतिहासिक होगा। वैसे इस संभावित फैसले को लेकर अभी से मुस्लिम बुद्धिजीवियों का एक गुट विरोध भी करने लगा है।

बैठक में हुए फैसले से देश के मुस्लिम समाज में एक बड़ा संदेश जा सकता है, जहां आज भी इस तबके के बड़े नेता और रहनुमा हिजाब की वकालत करते हैं। ऐसे में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय जैसे शिक्षण संस्थान में महिला वाइस चांसलर की रेस में एक महिला का नाम आया है, जिसके बनने की संभावना भी दिख रही है।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर बनाने का नियम बाकी विश्वविद्यालयों से अलग है। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लोग ही अपना वीसी चुनते हैं जबकि राज्य सरकार के और अन्य दूसरे केंद्रीय विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर के लिए सर्च कमेटी तीन नाम तय करती है। राज्यस्तीर विश्वविद्यालय के लिए राज्य के राज्यपाल फिर एक नाम पर फैसला करते हैं जबकि सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए भी सर्च कमेटी तीन नाम का पैनल राष्ट्रपति को भेजती है, इनमें से किसी एक के वीसी बनने का मौक़ा मिलता है।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कोर्ट मेंबरों की मीटिंग 6 नवंबर को होगी। कोर्ट मेंबर का काम वीसी के लिए पांच नाम के पैनल में से तीन लोगों को सेलेक्ट करने का है। इसके बाद तीन नाम का पैनल राष्ट्रपति को भेजेगा। इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मूर्मू इनमें से एक नाम पर सहमति देंगी ऐसे में अगर प्रोफेसर नईमा गुलरेज के नाम पर राष्ट्रपति भवन की तरफ से मंजूरी मिलती तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक बड़ा सपना साकार हो जाएगा।

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