सनातन धर्म में अहोई अष्टमी व्रत बेहद खास महत्व रखता है। यह एक निर्जला व्रत है, जिसे माताएं अपनी संतानों की सुरक्षा और उनके सफल जीवन की कामना के लिए रखती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत के पुण्य प्रभाव से संतान को अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है और उन्हें लंबी आयु का वरदान मिलता है। यही नहीं निसंतान को भी अहोई माता की कृपा से संतान सुख प्राप्त हौता है।
अहोई अष्टमी का व्रत माताओं द्वारा संतान की लंबी आयु और उनके खुशहाल जीवन के लिए रखा जाता है। ये व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है जो कि इस साल 5 नवंबर को पड़ी है। संतान की चाह रखने वाली महिलाओं के लिए भी अहोई अष्टमी का व्रत बेहद शुभ फल देने वाला माना जाता है। व्रत का पूर्ण फल पाने के लिए इनके नियमों का पालन करना बेहद जरूरी है। अहोई अष्टमी व्रत में दिनभर का उपवास रख अहोई माता की विधि अनुसार पूजन के दौरान कथा और आरती जरुर करनी चाहिए। बिना आरती के कोई भी पूजा पूरी नहीं मानी जाती है।