दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ठंड के साथ गिरफ्तारी के डर से भी कांपने लगे हैं। अभी तक शराब घोटाले में उन्हें तीन बार समन जारी किया गया लेकिन उन्होंने तीनों बार नोटिस को अनदेखा किया है। जबकि अब शराब घोटाले के साथ साथ आम आदमी मोहल्ला क्लिनिक पर भी जाँच होने वाली है क्योंकि इसमें भी बडे घोटाले की बात कही जा रही है। यदि ये जाँच भी शुरू हो जाती है तो उनका कांपना तो बनता ही है।
कड़ाके की ठंड में जैसे ही केजरीवाल के पास ईडी का तीसरा नोटिस पहुंचा, तो राजनीतिक तापमान इतनी तेजी से चढ़ा कि बयानों से लेकर एक्शन तक में गर्मी दिखाई देने लगी। बुधवार रात से केजरीवाल की पूरी पार्टी एक्टिव हो गई। सीएम केजरीवाल जब प्रेस कॉन्फ्रेंस करने आए तो गिरफ्तारी वाली बात दोहराई, जबकि बीजेपी इन दलीलों को बचने का हथकंडा बता रही है।
ईडी के मुताबिक जांच में सामने आया है कि शराफ माफिया से आम आदमी पार्टी को 338 करोड़ रुपए मिले हैं। पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल हैं इसलिए उनसे पूछताछ जरूरी है। नई एक्साइज पॉलिसी को लेकर केजरीवाल के घर पर बैठक हुई थी और केजरीवाल की मंजूरी से मुनाफे का मार्जिन 6 फीसदी से 12 फीसदी हुआ। नई एक्साइज पॉलिसी को लेकर सीएम ने कैबिनेट बैठक बुलाई थी इसलिए भी सीएम केजरीवाल से पूछताछ करना आवश्यक है जबकि केजरीवाल ईडी के नोटिस को ही गैरकानूनी बता रहे हैं। ये तो वही बात है कि ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’।
कानून के जानकारों के मुताबिक सीएम केजरीवाल के बार-बार पेश नहीं होने पर ईडी उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी कर सकती है। अगर सीएम केजरीवाल आगे पेश नहीं होते हैं तो जांच अधिकारी आवास पर जाकर पूछताछ कर सकते हैं। ठोस सबूत होने पर या सवालों के संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उन्हें गिरफ्तार कर सकते हैं, अर्थात ईडी को उन्हें गिरफ्तार करने का अधिकार है।