आगरा एयरपोर्ट प्रोजेक्ट सरकार की मुद्रीकरण नीति का हिस्सा नहीं, लेकिन वित्त पोषण की स्थिति स्प्ष्ट नहीं है
-जब सरकार को खुद ही बनाना था,तो पीएम गति शक्ति मिशन में क्यों किया गया शामिल?
आगरा:
आगरा एयरपोर्ट/ सिविल एन्क्लेव का नाम, नागरिक उड्डयन मंत्रालय के उन हवाई अड्डों की सूची में नहीं है,जिनका कि भारत सरकार के द्वारा लिजिंग किये जाने वाले एयरपोर्टों की सूची में नहीं है जनका कि राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइप लाइन (national Monetization pipeline) योजना के तहत पब्लिक प्राइवेट भागीदारी (पीपीपी) मॉड्यूल पर मुद्रीकरण (Monetization) किया जाना है।यह एक अच्छी जानकारी मानी जा सकती है,जो कि आधिकारिक रूप से सिविल सोसायटी ऑफ आगरा को उपलब्ध करवायी गयी है। हालांकि इसमें भी यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यह सूचना मौजूदा सिविल एयरपोर्ट /सिविल एन्क्लेव के लिये ही है अथवा धनौली-अभयपूरा, -बल्हेरा के उस प्रस्तावित एयरपोर्ट के लिये भी है,जिसे कि मौजूदा एयरपोर्ट को शिफ्ट करने के लिये बनाया जाना है। हालांकि एयरपोर्ट अथॉरिटी इसके प्रोजेक्ट की डीपीआर को नया प्रोजेक्ट कह कर ही कोर्ट और सरकारी विभागों में अन्नपत्तियों के लिये प्रस्तुत करती रही है। एयरपोर्ट अथॉरिटी के इस कार्य को सिविल सोसायटी ऑफ आगरा उपयुक्त नहीं मानती है साथ ही आगरा के नागरिकों के विरुद्ध भी।दरअसल आगरा एयरपोर्ट ताज ट्रिपेजियम जोन के तहत आता है, टीटीजैड के तहत शिफ्ट होने वाले प्रोजेक्टों को तमाम उदारतायें और छूट दी हुई हैं,जबकि नये प्रोजेक्ट को क्लीयरेंस के लिये पाबंदियों से बचने और अनुमतियों के लिये तमाम औपचारिकताओं को पूरा करना होता है।जिन पर लगने वाला समय और धन किसी भी स्थिति में औचित्यपूर्ण नहीं कहा जा सकता ।
राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइप लाइन
वित्त नीतियों के जानकारों, चार्टेड एकाऊंटेंटो और कॉर्पोरेट सेक्टर से जुड़े हुए लोगों को तो मालूम है कि राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइप लाइन है क्या लेकिन जनसामान्य को नहीं। दरअसल मुद्रीकरण शब्द का उपयोग सार्वजनिक क्षेत्र की उन परिसंपत्तियों व अवसंरचनाओं के लिये किया जाता है, जिन्हे अपने पास बनाए रखना या संचालित करते रहना लाभकारी नहीं मानती। इसके लिये नेशनल पाइप लाइन सूची के नाम से बेची जाने वाली परिसंपत्तियों की एक सूची भी बनायी हुई है। इस सूची के माध्यम से इनके भावी या संभावित खरीदारों या निवेशकों को दृष्यता प्रदान करना है।
भारत सरकार की मुद्रीकरण प्राप्त धन का उपयोग नवीन और वैकल्पिक वित्तपोषण जुटाने की घोषित नीति और वर्तमान में प्रभावी नीति है। सूची में शामिल परिसंपत्तियां और संरचनाओं संबधित दसताबेज को पुस्तक के रूप में नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार, नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत द्वारा जिन विभागों की संपत्तियों का मुद्रीकरण किया जाना है के सचिवों की सहभागिता से तैयार किया हुआ है।
खुशी है कि सरकार के द्वारा वित्त जुटाने को बेची जाने वाली परिसंपत्तियों और सेवाओं में ‘आगरा एयरपोर्ट ‘ का नाम नहीं है। जबकि इसका संचालन बेहद घाटे में हैं जिसे कि इसे शिफ्टिंग मात्र से उप्र में संचालित किसी भी सिविल एयरपोर्ट से कहीं अधिक लाभकारी एयरपोर्ट के रूप में संचालित किया जा सकता है।
आगरा के नागरिकों की जिज्ञासा
यह राहत कारी है कि आगरा के एयरपोर्ट का सरकार मुद्रीकरण नहीं करेगी और एयरपोर्ट अथॉरिटी आफ इंडिया अपने धन से बनवायेगी तो फिर इसे प्रधानमंत्री गति शक्ति मिशन में क्यों रखा गया है? सरकार को स्पष्ट करना चाहिये कि कि ‘आगरा सिविल एयरपोर्ट‘ प्रोजेक्ट पीएम गति शक्ति मिशन में अब भी है या बाहर किया जा चुका है। सिविल सोसायटी ऑफ आगरा को नागरिक उड्डयन मंत्रालय से मिली नवीनतम जानकारी के अनुसार आगरा का सिविल एयरपोर्ट पीपीपी मॉड्यूल पर फंडिड नहीं होगा, तो फिर इसे इस सूची में बनाये रखने का क्या औचित्य है।
फंडिंग के लिये दबाव बनाने का वक्त
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा की भारत सरकार से अपेक्षा है कि 2013 में ‘ आगरा सिविल एयरपोर्ट’ बनाये जाने की घोषित योजना का कम से कम 2024 में तो क्रियान्वयन करवा ही दिया जाये। कष्टकारी तथ्य यह है कि ‘आगरा सिविल एयरपोर्ट ‘ जबकि सरकारी धन से ही बनाया जाना है, के लिये फंड की कोई व्यवस्था नहीं है, पूर्व में जो धन आवंटित था उसका अन्य किसी कार्य में सरकार उपयोग कर चुकी है।
उपयुक्त होगा अगर सम्मानित जनप्रतिनिधि , उद्योगों से जुड़े संगठन, टूरिज्म इंडस्ट्री के असरदार प्रतिभा धनी सक्रिय हो आने वाले 2024 के इंटरिम बजट में ‘आगरा सिविल एयरपोर्ट प्रोजेक्ट’ के लिये प्रयास करें।
आज की सिविल सोसाइटी ऑफ आगरा की हरियाली वाटिका में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिरोमणि सिंह, अनिल शर्मा, राजीव सक्सेना असलम सलीमी ने संबोधित किया।