(युवाओं की आत्महत्या रोकने में योग: कोचिंग छात्रों के लिए जीवन रक्षक)
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योग कोचिंग एवं सभी शैक्षणिक संस्थानों में नियमित प्रातः काल प्रवेश के दौरान ही अनिवार्य रूप से शामिल करने से छात्रों में आत्मानुशासन , आत्म-जागरूकता, आत्मविश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण में सहयोगी होगा
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आज के युवा छात्रों के लिए जीवन अनेक चुनौतियों से भरा हुआ है। कोटा शिक्षा नगरी के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के अंतराष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञानं संस्थान आइआइपीएएस मुंबई विश्वविद्यालय के एलुमनाई, इंटरनेशनल सर्टिफाइड प्रशिक्षित लाइफ कोच,एनएलपी प्रेक्टिशनर एवं युथ एक्टिविस्ट डॉ नयन प्रकाश गाँधी का मानना है की परीक्षा का दबाव, भविष्य की चिंता, सामाजिक अपेक्षाएं, और व्यक्तिगत समस्याएं उन्हें तनाव, अवसाद और आत्महत्या के विचारों की ओर धकेल सकती हैं.विशेष रूप से कोचिंग में पढ़ने वाले छात्र, अत्यधिक दबाव और तनाव में रहते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी, परिवार और समाज की अपेक्षाएं, और भविष्य की अनिश्चितता उन्हें अक्सर निराश और हताश कर सकती है। दुर्भाग्य से, कुछ छात्र इन नकारात्मक भावनाओं से निपटने के लिए गलत रास्ते चुन लेते हैं, जैसे कि आत्महत्या।यह महत्वपूर्ण है कि युवा छात्र योग को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाएं और नियमित रूप से अभ्यास करें। योग शिक्षकों और प्रशिक्षकों की मदद से छात्र अपनी आवश्यकताओं और क्षमताओं के अनुसार योग कार्यक्रमों का चयन कर सकते हैं.योग एक प्राचीन भारतीय दर्शन और जीवन पद्धति है, जो न केवल शारीरिक व्यायाम का एक रूप है, बल्कि यह हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को संतुलित करने का एक समग्र विज्ञान भी है। योग का अभ्यास हमें अपने शरीर, मन और आत्मा को एकजुट करने में मदद करता है, जिससे हमें शांति, संतुलन और कल्याण की भावना मिलती है।आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में, जहां तनाव, चिंता और बीमारियां आम हो गई हैं, वहां योग एक वरदान के समान है। नियमित योगाभ्यास न केवल हमें शारीरिक रूप से स्वस्थ रखता है बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक जागृति भी प्रदान करता है। योग एक प्राचीन भारतीय परंपरा है जो सिर्फ शारीरिक व्यायाम से कहीं अधिक है। यह हमारे शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है। नियमित योगाभ्यास से शक्ति, लचीलापन और संतुलन बढ़ाने से लेकर तनाव कम करने और आंतरिक शांति प्राप्त करने तक अनगिनत लाभ मिलते हैं। योगासन मांसपेशियों को मजबूत बनाते हैं और उनकी लचीलापन बढ़ाते हैं, जिससे रोजमर्रा की गतिविधियों को आसानी से करने में मदद मिलती है। विभिन्न योगासन संतुलन बनाए रखने की क्षमता को बढ़ाते हैं, जिससे गिरने का खतरा कम होता है, खासकर वृद्ध लोगों के लिए। योगासन पाचन अंगों को उत्तेजित करते हैं, जिससे पाचन प्रक्रिया में सुधार होता है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। नियमित योग अभ्यास शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर बीमारियों से लड़ने में मदद करता है।योगासन कैलोरी बर्न करने में मदद करते हैं और चयापचय को बढ़ाते हैं, जिससे वजन प्रबंधन में सहायता मिलती है। योगासन और प्राणायाम तनाव कम करने और मन को शांत करने में अत्यधिक प्रभावी होते हैं। योग का अभ्यास चिंता के लक्षणों को कम करने और मानसिक स्पष्टता बढ़ाने में मदद करता है।अध्ययनों से पता चलता है कि योग अवसाद के लक्षणों को कम करने में दवाओं जितना ही प्रभावी हो सकता है। योग का अभ्यास एकाग्रता और स्मृति को बढ़ाकर सीखने और याद रखने की क्षमता को मजबूत करता है। योग तनाव कम करने और मन को शांत करने में मदद करता है, जिससे नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है। योग का अभ्यास आंतरिक शांति और संतुलन प्राप्त करने में सहायक होता है, जिससे जीवन में तनावपूर्ण स्थितियों का सामना करना आसान हो जाता है। योग का अभ्यास हमें अपने विचारों, भावनाओं और शरीर के बारे में अधिक जागरूक बनाता है। योग का गहन अभ्यास जीवन में अर्थ और उद्देश्य की भावना को जगा सकता है।योग के लाभ अनगिनत हैं। यदि आप एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन की तलाश में हैं, तो योग आपके लिए उपयुक्त हो सकता है। तो देर किस बात की, आज ही योग की यात्रा शुरू करें और इसके अद्भुत लाभों का अनुभव करें!योग एक प्राचीन भारतीय अभ्यास है जो युवा छात्रों को मानसिक रूप से मजबूत बनाने और आत्महत्या रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। योगासन, प्राणायाम और ध्यान का नियमित अभ्यास तनाव, अवसाद और नकारात्मक विचारों को कम करने में मदद करता है और सकारात्मक सोच, आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास को बढ़ावा देता है।स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में योग शिक्षा को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए .योग युवा कोचिंग छात्रों के लिए एक शक्तिशाली उपकरण है जो उन्हें तनाव, चिंता और अवसाद से निपटने में मदद कर सकता है। योग अभ्यास से आत्म-जागरूकता, आत्मविश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण बढ़ता है, जो छात्रों को जीवन में सफल होने और आत्महत्या को रोकने में मदद करता है।