श्रावण मास में शिव पूजा अर्चना एवं ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का है विशेष महत्व

श्रावण मास में शिव पूजा अर्चना एवं ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का विशेष महत्व है। यह महीना भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। जिसमें भगवान शिव की पूजा-उपासना करने पर हर तरह की मनोकामनाएं जल्द ही पूरी होती हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में शिवलिंग की पूजा और मंदिरों में शिव शंकर भोलेनाथ के दर्शन करने पर महादेव की विशेष कृपा मिलती है। इसके अलावा सावन के महीने में देशभर में स्थित सभी 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजा-आराधना करने का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म में भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है।

भारत में 12 ज्योतिर्लिंग हैं जिनकी विशेष महिमा है और हिंदू धर्म में अत्यधिक मान्यता है। माना गया है कि इनके दर्शन करने से जीवन सफल हो जाता है और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

देश के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग में गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में मौजूद चंद्रमा के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा और दर्शन अत्यंत फलदायक होते हैं।

महाकालेश्वर को कालों का काल महाकाल नाम से जाना जाता है। यह ज्योतिर्लिंग मध्यप्रदेश के उज्जैन में क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित है।

भगवान भोलनाथ तीनों लोकों का भ्रमण करने के बाद हर रात को ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग पर विश्राम करने के लिए आते हैं।

केदारनाथ धाम भगवान शिव को बहुत ही प्रिय होता है। केदारनाथ का वर्णन स्कन्द पुराण एवं शिव पुराण में मिलता है। केदारनाथ ज्योतिर्लिंग को ऊर्जा का बड़ा केंद्र माना जाता है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग  यहाँ स्थापित शिवलिंग काफी बड़ा और मोटा है। जिसकी वजह से इस मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।

द्वादश ज्योतिर्लिंगों में काशी विश्वनाथ का स्थान काफी विशेष है। ऐसी मान्यता है कि काशी नगरी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी हुई है।

त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है। कालसर्प दोष के निवारण के लिए इस ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व होता है।

वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग झारखंड के देवघर में स्थित है। यहाँ  पर रावण ने भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न के लिए अपने 9 सिरों को काटकार शिव जी को अर्पित कर दिया। तब भगवान शिव ने प्रसन्न होकर रावण का वरदान दिया था।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका में स्थित है। शिवपुराण के अनुसार शिवजी का एक नाम नागेशं दारुकावने भी है। नागेश्वर का अर्थ होता है नागों का ईश्वर।

रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग का निर्माण स्वयं भगवान श्रीराम ने किया था। भगवान राम के द्वारा बनाए जाने के कारण इस ज्योतिर्लिंग का नाम रामेश्वरम पड़ा।

घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर ज्योतिलिंग महाराष्ट्र के औरंगाबाद में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग को घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है।

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