1984 सिख दंगों के दोषी और पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ने सोमवार को दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में सरेंडर कर दिया। हाल में दिल्ली हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को 84 के दंगे का दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई थी और 31 तारीख तक सरेंडर करने के आदेश दिए थे। सजा मिलने के बाद सज्जन कुमार ने सरेंडर करने के लिए एक महीने की मोहलत मांगी थी, जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया था।
वकील ने बताया कि उनके मुवक्किल को राहत मिलने की संभावनाएं काफी कम हैं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में 1 जनवरी को छुट्टियां खत्म हो रही हैं। इस वजह से उनकी अपील पर सुनवाई की उम्मीद नहीं है। सज्जन कुमार के वकील ने कहा, ‘हम हाईकोर्ट के फैसले पर अमल करेंगे।’
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश में सिख विरोधी दंगे फैले थे, जिसमें हज़ारों की संख्या में सिखों को मौत के घाट उतार दिया गया था। हिंसा के इसी खूनी खेल में 1 और 2 नवंबर को दिल्ली कैंट में पांच सिखों को एक भीड़ ने मार डाला था। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ने भीड़ को उकसाया था, जिसके बाद हिंसक होकर उन्होंने पांचों सिखों को मार डाला था। मरने वालों का नाम केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह था। सिख दंगे की भेंट चढ़े केहर सिंह की पत्नी जगदीश कौर ही इस मामले में मुख्य शिकायतकर्ता, जबकि गुरप्रीत सिंह उनके बेटे थे। इस घटना में मारे गए अन्य सिख दूसरे गवाह जगशेर सिंह के भाई थे।
30 अप्रैल 2013 को लोवर कोर्ट ने सज्जन कुमार को इस मामले में बाइज्जत बरी कर दिया था। दिल्ली हाईकोर्ट ने लोवर कोर्ट के फैसले को पलटते हुए सज्जन कुमार को दोषी करार दिया था, और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसी के साथ उन पर 5 लाख लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था।