सुशील देव
दिल्ली की कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने और नागरिकों को बेहतर सुरक्षा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार की हालिया बैठक में लिए गए निर्णय स्वागत योग्य हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिल्ली पुलिस को घुसपैठ और गैंगस्टरों के खिलाफ कड़े कदम उठाने का निर्देश दिया गया है।
विशेष रूप से, उन थानों पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है, जिनका प्रदर्शन लगातार खराब रहा है। यह कदम दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
दिल्ली में अवैध घुसपैठ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर मुद्दा है। इसलिए बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने की आवश्यकता है। बैठक में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, गृह मंत्री आशीष सूद और दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने हेतु केंद्र सरकार के साथ मिलकर कार्य करने की प्रतिबद्धता जताई। यह समन्वय दिल्लीवासियों के लिए राहत भरी खबर है।
यह पहला अवसर नहीं है जब दिल्ली की सुरक्षा को लेकर प्रयास किए गए हों। पूर्ववर्ती सरकारों ने भी चिंता जताई थी, परंतु समन्वय की कमी के चलते अपेक्षित परिणाम नहीं मिल पाए। अब, जब दिल्ली में केंद्र और राज्य सरकार मिलकर काम कर रही हैं, तो सुरक्षा व्यवस्था में सुधार की संभावना प्रबल हो गई है। बेहतर समन्वय से न केवल कानून-व्यवस्था बल्कि यातायात व्यवस्था में भी सुधार की उम्मीद की जा सकती है।
हालांकि, दिल्ली पुलिस के समक्ष कई चुनौतियां हैं। बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध नहीं है, जिससे सुरक्षा तंत्र कमजोर पड़ जाता है। इसके अलावा, दिल्ली पुलिस को आधुनिक तकनीक और उन्नत हथियारों से लैस करने की भी आवश्यकता है, ताकि वे गंभीर अपराधियों और संगठित अपराध से प्रभावी ढंग से निपट सकें। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और उन्नत निगरानी तकनीकों को अपनाने से अपराध नियंत्रण में मदद मिलेगी।
अपराध केवल संगठित गिरोहों तक सीमित नहीं है। अवैध शराब, मादक पदार्थों की तस्करी, सट्टेबाजी और लॉटरी जैसे अपराध भी बढ़ रहे हैं। चोरी, डकैती, पॉकेटमारी और झपटमारी की घटनाएं आम हो गई हैं। इन अपराधों के पीछे पुलिस की लापरवाही को एक प्रमुख कारण माना जाता है।
कई बार पुलिस पर अपराधियों से मिलीभगत के आरोप भी लगते हैं। रेहड़ी-पटरी वालों से अवैध वसूली, निर्माणाधीन मकानों से पैसे लेना जैसी घटनाएं पुलिस की निष्पक्षता पर सवाल उठाती हैं। यदि पुलिस छोटे अपराधों पर सख्ती दिखाए तो अपराधियों को बढ़ने से रोका जा सकता है।
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी गंभीर प्रयासों की आवश्यकता है। छेड़छाड़, दुष्कर्म और हत्याओं की बढ़ती घटनाएं चिंता का विषय हैं। केंद्र सरकार नशे की लत को रोकने के लिए गंभीर कदम उठा रही है। स्कूल छोड़ने वाले बच्चों पर भी सरकार ध्यान दे रही है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे अपराध की दुनिया में न जाएं।
दिल्ली पुलिस और सरकार को अपराधियों और राजनेताओं के बीच के संबंधों की भी गहराई से जांच करनी चाहिए। यह कोई नया विषय नहीं है, लेकिन दुर्भाग्यवश यह सच्चाई है कि दिल्ली के कई इलाकों में कुछ पुलिसकर्मी अपराधियों का साथ देते हैं और उनके ठिकानों पर संरक्षण प्राप्त करते हैं। इस स्थिति से समाज में भय और अराजकता का माहौल उत्पन्न होता है।
दिल्ली को सुरक्षित और सुसंगठित बनाने के लिए पुलिस सुधार अनिवार्य हैं। पुलिस तंत्र को अत्याधुनिक तकनीक, पर्याप्त संसाधन और निष्पक्षता से कार्य करने की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। सरकार की सख्ती और बेहतर समन्वय से ही दिल्ली में कानून-व्यवस्था को प्रभावी बनाया जा सकता है। इसके अलावा, ट्रैफिक व्यवस्था को भी एक नए सिरे से सुधारने की आवश्यकता है। यातायात पुलिस को अधिक जिम्मेदार बनाना होगा ताकि दिल्ली की सड़कें सुरक्षित और सुव्यवस्थित हों। अवैध पार्किंग, सड़क पर अतिक्रमण और लाल बत्ती तोड़ने जैसे मामलों पर सख्त कार्रवाई जरूरी है।
दिल्ली की सुरक्षा का सीधा संबंध नागरिकों की जागरूकता और सतर्कता से भी जुड़ा है। पुलिस और प्रशासन के साथ-साथ आम जनता को भी कानून-व्यवस्था को मजबूत करने में योगदान देना होगा। स्थानीय समुदायों को अपराध नियंत्रण में सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। सुरक्षा तंत्र को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने से ही अपराधों पर प्रभावी रोक लगाई जा सकती है।
अंततः, दिल्ली की कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए सख्त पुलिसिंग, आधुनिक तकनीक, प्रभावी प्रशासन और नागरिकों की सहभागिता आवश्यक है। यदि सरकार और पुलिस इन सभी पहलुओं पर ध्यान दें, तो न केवल अपराधों में कमी आएगी, बल्कि दिल्ली को एक सुरक्षित और सुव्यवस्थित महानगर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं।