सतत मातृ स्वास्थ्य सेवाओं में लेबर रूम और ओटी प्रमाणन एक मील का पत्थर

पटना:

यह दिलचस्प है कि पिछले एक वर्ष में राज्य में 58 लेबर रूम तथा 22 मेटरनल ऑपरेशन थियेटर लक्ष्य सर्टिफाइड हुए हैं। इस प्रमाणीकरण ने निश्चित रूप से राज्य में संक्रमण व सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा दिया है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे 2018—20 रिपोर्ट के अनुसार मातृ मृत्यु दर 118 हो गया है।

एसडीजी 2030 मातृ मृत्यु अनुपात 70 प्रति लाख से नीचे लाने के लक्ष्य के लिए सरकार प्रयासरत है। बिहार सरकार मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को लेकर लगातार सुधारात्मक कदम उठा रही है। ‘लक्ष्य’ पहल के तहत स्वास्थ्य केन्द्रों के लेबर एवं ओटी रूम के प्रमाणन प्रक्रिया को सख्ती से लागू किया जा रहा है। इससे संस्थागत प्रसव को बढ़ावा मिल रहा है और मातृ एवं नवजात मृत्यु दर में कमी आ रही है।

सुरक्षित प्रसव के लिए लक्ष्य प्रमाणीकरण पर विशेष जोर:
मातृ स्वास्थ्य के राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. एन.के. सिन्हा ने बताया कि सरकार मातृ स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए डेटा-आधारित रणनीति पर काम कर रही है। राज्य के 170 स्वास्थ्य संस्थानों में सुविधाओं को उन्नत किया गया है, जिससे हर जिले में बेहतर प्रसव सेवाएं उपलब्ध हो सकें। सीतामढ़ी, बेगूसराय, मधेपुरा, खगड़िया, किशनगंज, समस्तीपुर, मोतिहारी, सुपौल और जेपीएनएच गया को लक्ष्य के तहत लेबर रूम एवं ओटी को राष्ट्रीय स्तर पर प्रमाणन प्राप्त हुआ है, जबकि लखीसराय, शेखपुरा, नालंदा, सीएचसी बरारी, इमामगंज, बाराचट्टी, बिरौल अनुमंडलीय अस्पताल और एसकेएचसीएच मुजफ्फरपुर को राज्य स्तर पर प्रमाणित किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि प्रसव कक्ष की गुणवत्ता एवं इसके प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए ताकि मातृ स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।

संक्रमण नियंत्रण, प्रशिक्षित संसाधन और चरणबद्ध प्रमाणन अनिवार्य :
आईएसओपीएआरबी पटना चैप्टर की अध्यक्ष डॉ. हेमाली हेदी सिन्हा ने कहा कि किसी भी प्रसव प्रक्रिया के दौरान संक्रमण मुक्त वातावरण बनाए रखने के लिए पीपीई किट, स्टेराइल दस्ताने, डिस्पोजेबल ड्रेप्स और स्वच्छता प्रबंधन पर विशेष ध्यान देना जरूरी है। साथ ही , बायोमेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निस्तारण और ऑटोक्लेव सुविधा की अनुपलब्धता के मामलों में हाइपोक्लोराइट सॉल्यूशन का उपयोग संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए किया जाना चाहिए।

एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर की स्त्री रोग विशेषज्ञ और विभागाध्यक्ष डॉ. प्रतिमा ने कहा कि ओटी और लेबर रूम के प्रमाणन पर सुझाव देते हुए कहा कि प्रत्येक जिले और ब्लॉक स्तर पर अधिक प्रमाणन मूल्यांकनकर्ताओं को नियुक्त किया जाए और सभी स्वास्थ्य कर्मियों को संक्रमण नियंत्रण, स्टेरिलाइज़ेशन और सुरक्षित प्रसव तकनीकों पर नियमित प्रशिक्षण दिया जाए।

पीओजीएस की सचिव डॉ. अमिता ने कहा कि राज्य में लेबर रूम और ओटी प्रमाणन को प्रभावी बनाने के लिए एक चरणबद्ध और लचीला दृष्टिकोण अपनाना होगा। पहले आवश्यक सुधारों को लागू करना चाहिए और धीरे-धीरे पूर्ण प्रमाणन की ओर बढ़ना चाहिए। इसके अलावा, प्रत्येक महीने गैप असेसमेंट किया जाना चाहिए ताकि कमजोर बिंदुओं की पहचान कर सुधार किया जा सके। उन्होंने कहा कि बजटीय आवंटन को समय पर जारी करने और आवश्यक दवाओं एवं उपकरणों की उपलब्धता बनाए रखने से प्रमाणन प्रक्रिया को गति मिलेगी।

डिजिटल मॉनिटरिंग और प्रशिक्षण से मातृ स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार:
बिहार सरकार लेबर रूम और ओटी प्रमाणन को सुचारू रूप से लागू करने के लिए डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम अपना रही है। इसके माध्यम से संक्रमण नियंत्रण, उपकरणों की उपलब्धता, मानव संसाधन की स्थिति और आपूर्ति श्रृंखला की दक्षता पर नजर रखी जा रही है। इस प्रक्रिया को और मजबूत करने के लिए 14,500 एएनएम और 4,000 जीएनएम को स्किल्ड बर्थ अटेंडेंट यानी एसबीए प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

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