सरदार होना तो गर्व की बात है

 

कोई_इतना_मूर्ख_कैसे_हो_सकता_है ,

नमाज़ और स्वर्ण_मंदिर_गुरुद्वारे में ?
इस मैं यही कह सकता हूँ! कि शाहीन बाग में जिस बिन्द्रा सरदार का नाम आया है वो सरदार हो ही नही सकता। क्योंकि कोई भी सच्चा सरदार एसी हरकत नही सकता।

हर सरदार को पता है कि

जिन्होंने गुरु अर्जुनदेव जी को गर्म तवे पर बिठा कर उनकी हत्या कर दी थी।
भरी सभा मेंं उनकेे हजारों अनुुयायियों के सामने श्री गुुुरु तेग बहादुर जी का सिर काट दिया था।

गुरु गोबिंद सिंह जी की हत्या की,
मासूम साहिबजादों को जिंदा ही दीवार में चुनवा दिया,
भाई मतिदास, भाई सतिदास, भाई दयाला जी, बाबा बंदा बहादुर जैसे असंख्य सिख वीरों की आरे से चिरवाकर, रुई में लपेटकर जलाने जैसे क्रूर तरीकों से हत्या की,
उसी सोच को मानने वाले लोगोंं को देश का विरोध करने पर कोई सरदार कैैसे अपना घर लुटा सकता है।

वो ही गुरु अर्जुनदेव जी के बनवाये स्वर्ण मंदिर पर नमाज पढ़ कर उन्हें अपमानित कर रहे हैं !

किसी इंसान को तलवार के एक वार से मारा जा सकता है लेकिन जो सोच इंसानों को मारने के ऐसे क्रूरतम तरीके इस्तेमाल करती हो उसे यदि कोई इस आशा से अपने धर्मस्थल में नमाज पढ़ने की अनुमति देता है कि इससे उनका मन बदल जायेगा तो मैं सिर्फ यही कह सकता हूँ कि कोई इतना मूर्ख कैसे हो सकता है!

यदि आप कहेंगे कि ये सब तो तीन-चार सौ साल पुरानी बातें हैं, अब समय बदल गया है तो जरा अपने पड़ोस के पाकिस्तान-अफगानिस्तान-बांग्लादेश से आती खबरों को सुन लीजिए!

ये सच है कि इतिहास को बदला नहीं जा सकता…
लेकिन ये भी सच है कि इतिहास से सीखा जा सकता है….
और जो लोग इतिहास से नहीं सीखते उन्हें इतिहास में भी जगह नहीं मिलती !

हर सरदार को उपरोक्त सभी बातें मालूम है और जिन्हें श्री गुरु तेग बहादुरजी, गुरु अर्जुन देवजी,  गुरु गोविंद सिंह के बारे में नहीं मालूम वह सरदार होने का अधिकारी नहीं है। यह धार्मिक महत्व वही से चला है हिंदुओं के सरदार ही सच्चे सरदार हैं। हर घर से एक हिन्दु मांगा गया था। उसको सरदार बनाया गया था हिंदू और सरदार अलग नही है।

कभी यह सरदार हिंदुओं की रक्षा के लिए ही बने थे , लेकिन आज इस सरदारजी को अर्थात बिन्द्रा जी को क्या हो गया जो अपने ही कौम के शत्रुओं के साथ मिलकर आज शाहिनबाग जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। देशद्रोहियों के साथ खड़े हैं। अपने देश की बिल्कुल भी परवाह नहीं है ऐसा क्यों? यह सोचने समझने और जानने की अत्यंत आवश्यकता है। इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।

सरदार होना तो बड़े ही गर्व की बात है। पूरे देश के लिए लड़े थे। तब श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने पूरी सेना बनाई और अपने दुश्मनों से पूरा लोहा लिया था। उन्हीं दुश्मनों के सामने आज यह सरदार घुटने क्यों टेक रहा है? यह बात समझ में नहीं आ रही है और यह समझना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए सरदार होना बड़े गर्व की बात है लेकिन यह बिन्द्रा सरदार हो ही नहीं सकता।

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