कौन है ये दंगाई ?
शान्ति चाहना अपराध है तो हम भी अपराधी है।
किसी भी सभ्य समाज में दंगा शोभा नहीं देता। यह एक ऐसा विकार है जो लोगों के कामकाज पर, उनकी मानसिकता पर, बच्चों की पढ़ाई में और बच्चों की मानसिकता पर बहुत ही बुरा प्रभाव डालता है। फिर भी दंगे होते हैं। सच तो ये है कि दंगे होते नहीं कराए जाते हैं। कुछ लोग अपने निहित स्वार्थों की प्राप्ति के लिए दंगे कराते हैं। वह अलग तरह का जहर लोगों के दिलों दिमाग में घोलते हैं। जिसके कारण दंगे होते हैं। छोटा सा उदाहरण दिल्ली का। जो निरपराधी लोगों को मार दिया गया लगभग 35 लोग अब तक मारे जा चुके हैं। किसको क्या मिला? अपराधी तो पकड़े नहीं गए। निरपराधी लोग मारे गए।
अंकित शर्मा – IB अफसर की दिल्ली के दंगो में हत्या करके लाश नाले मे फेंक दी गयी। आम आदमी पार्टी के नेहरू विहार के निगम पार्षद ताहिर हुसैन के घर से लड़के निकले और अंकित शर्मा को घसीटकर मारते हुए ले गए। ताहिर हुसैन के घर से गोलिया, पेट्रोल बम लगातार चलाये गए।
इस “इस्लामिक प्रयोग” को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि 1946-47 में क्या हुआ होगा? केंद्र सरकार को इसे मात्र दंगे के रूप में नहीं देखना चाहिए।. ये भारत के खिलाफ एक बड़ी “कट्टर इस्लामिक साज़िश” है। जो ट्रम्प ने भी महसूस की है।
कुछ लोगो को “बुरा” लग सकता, पर “सत्य” है। दिल्ली वालो शुक्र करो कि “केंद्र” में बीजेपी की सरकार है, बच गए वरना कश्मीर की तरह हिन्दुओं का “राम नाम सत्य” हो जाता।
सोचने की बात है कि मदरसों को दिल्ली सरकार द्वारा जो सहायता दी जा रही है वो दिल्ली में मौलानाओं को लगभग 43 हजार रुपए महीना दंगों के लिए दिया जाता है?
पूरे देश में कोई बड़ा षड्यंत्र चल रहा है। षड्यंत्रकारी तो गिने चुने ही हैं, लेकिन उनका साथ देने वाले अबोध है, अधिक है। या उनके जाल में फंसने वाले लोग वह अधिक है जो अभी तक उस षड्यंत्र को समझ ही नहीं पा रहे हैं। ना ही कभी समझ पाएंगे। क्योंकि षड्यंत्र की जड़ें अत्यधिक गहरी हैं। दिल्ली की जनता को मूर्ख बनाकर सत्ता हथियाने वाले भी उन षडयंत्रों के शिकार हो चुके हैं। बस अंतर इतना है कि वह अबोध नहीं है। जनता अबोध है अनजान है। लेकिन दिल्ली की सत्ता के स्वादिष्ट फल चखने वाले सत्ताधारी वह सब जानते हैं।
उनको केवल सत्ता प्यारी।
जनता जाए भाड़ में सारी।
रास्ता खाली करवाने के लिए ही तो बोला था कपिल मिश्रा ने ताकि लोगों के आवाजाही में आसानी हो। इसमें क्या दिक्कत है किसी को। आप जिहाद और आतंक के नाम पर किसी सार्वजनिक संपत्ति को महीनों तक बंधक कैसे बना सकते हैं..?? वो तो हमने बोला था। कपिल मिश्रा अपराधी तो है…! तो हम सब भी अपराधी है। साथ में वो सब लोग भी अपराधी है, जो शांति बनाए रखने के लिए दूसरे रास्तों से गए। अपना नित्यय प्रतिदिन का रास्ता छोड़कर। दूसरे रास्तों से गए वहां घंटों तक जाम में फंसे। अर्थात अपनेेे जीवन के। बहुमूल्य समय को जाम में गुजार कर उन्होंने अपना समय बर्बाद किया। अपना काम छोड़ा लेकिन शांति बनाए रखी।
अगर बात कानून की करें तो कौन सी परमिशन थी उस सड़क को रोकने की? सड़क पर प्रोटेस्ट करने की। किसी के पास कोई परमिशन नहीं थी। किसी से कोई परमिशन नहीं ली गई? इसलिए यह विवाद जबरदस्ती का था। लोगों को उकसाने का था। इस विवाद को आज तक भी जारी रखना यह सरासर निर्लज्जता है।
कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी से लेकर छोटी-बड़ी सभी विपक्षी पार्टियों ने किसी ना किसी तरह के विवादित और दंगा भड़काने वाले बयान दिए हैं। आज भी वह सिलसिला जारी है। कई लोगों की वीडियो आई है। जिन्हें बड़े ही धमकाने वाले अंदाज में पेश किया गया है। क्योंकि मैं एक मीडिया कर्मी हूं। उन वीडियो में कोई छेड़छाड़ भी नहीं है। वह एकदम असली है।
भीड़ के बीच एक जिन्दा व्यक्ति होने का अपराधी है कपिल। गलत को गलत बताकर उसके खिलाफ अकेला खड़ा होने वाला अपराधी कपिल।
लेकिन कपिल मिश्रा अकेला नहीं है। दिल्ली में लाखों लोग कपिल मिश्रा के साथ खड़े है। हम कपिल मिश्रा के साथ खड़े है…!
सभी कपिल मिश्रा का साथ देने को तैयार है।…यदि वो इनके वामपंथी जिहादी मीडिया के नैरेटिव की भेंट चढ़ गया तो आने वाले समय मे कोई हमारे साथ खड़ा होने का हिम्मत नहीं करेगा…!
यह जो सब हो रहा है यह भारत के बिल्कुल हित में नहीं है। इसमें दंगाई कम और अबोध लोग अधिक मर रहे हैं। निरपराधी लोग मर रहे हैं इसलिए इसे तुरंत रोका जाए। इस तरह के दंगों पर आगे कोई राजनीति ना हो यह भी हमें समझना होगा। हमारे राजनेताओं को भी समझना होगा इसलिए इसे तुरंत रोकने के लिए प्रयास किए जाएं । आओ हम सब मिलकर शांति बनाए। दिल्ली में शांति बनाए और पूरे देश में शांति बनाने की प्रार्थना करें लोगों से।
श्री गुरुजी भू
(प्रकृति प्रेमी, वैश्विक प्रकृति फिल्म महोत्सव के संस्थापक, मुस्कान योग के प्रणेता)