पंचगव्य आयुर्वेद चिकित्सा

“पंचगव्य” – गाय से प्राप्त होने वाली पांच वस्तुएँ, उदाहरणार्थ- दूध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र पंचगव्य कहलाती हैआयुर्वेद शास्त्र ने सदियों पहले से ही पंचगव्य का उपयोग अधिकाधिक मात्रा में किया है।

आयुर्वेद का सबसे पहला प्रयोजन तो स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ की रक्षा करना ही है। इसलिए उत्तम अन्न की प्राप्ति में गोबर-गोमूत्र का सबसे अधिक महत्व है। पचगव्य का मुख्य आधार है गोवंष। जिस गोवंष से हम पंचगव्य की प्राप्ति करते है वह भी भारतीय एवं स्वस्थ होना परम आवश्यक है।

अगर गाय की तबियत ठीक नहीं होगी तब उसके बीमारी के जंतू उस गाय के गोबर-गोमूत्र द्वारा बाहर उत्सर्जित किए जाएँगे। अत: गोवंष का पूर्णतः स्वस्थ होना परमावश्यक है। गाय के दूध, दही, घी, गोबर एवं गोमूत्र का उपयोग कर हजारों औषधियाँ बनाई गई है। इनमें से कुछ ही औषधियाँ नित्य उपयोग में ली जाती है।

औषधि निर्माण में पचगव्य का उपयोग करते समय सावधानी बरतना परम आवश्यक है। औषधि की गुणवत्ता का पूरा ध्यान रखने की वजह से उचित औषधि का चयन वैद्य द्वारा बराबर किया तो रूग्ण को लाभ निश्चित ही तुरंत प्राप्त होने लगता है।

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