मौनी अमावस्या का महत्व   शोधार्थी – श्री गुरुजी भू

मौनी अमावस्या का महत्व
  शोधार्थी – श्री गुरुजी भू
          *सोमवती अमावस्या*
             *मौनी अमावस्या*
शास्त्रों के अनुसंधान से मौनी अमावस्या का विशेष महत्व है। 4 फरवरी 19 को इस दिन चंद्रमा मकर राशि में सूर्य, बुध, केतु के साथ हैं और वृहस्पति वृश्चिक राशि में हैं, जिससे अर्धकुंभ का प्रमुख शाही स्नान भी बन रहा है। इस दिन सुबह 7 बज कर 57 मिनट से पूरे दिन सूर्यास्त तक महोदय योग रहेगा। इस अवधि में स्नान-दान करना अति शुभ फल प्रदान करेगा। धर्मग्रंथों में अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित है। पितरों के निमित्त तर्पण और दान आदि किया जाता है। मुनि शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई है। इस व्रत को मौन धारण करके समापन करने वाले को मुनि पद की प्राप्ति होती है। इस दिन मौन रह कर यमुना, गंगा, मंदाकिनी आदि पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। मन ही मन अपने इष्टदेव गणेश, शिव, हरि का नाम लेते रहना चाहिए। अगर चुप रहना संभव नहीं है, तो कम से कम मुख से कटु शब्द न निकालें। जिनकी वृश्चिक राशि दुर्बल है, उन्हें सावधानी से स्नान करना चाहिए।*
महाभारत में कहा गया है कि माघ मास में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। पद्मपुराण में कहा गया है कि माघ माह में गंगा स्नान करने से विष्णु भगवान बड़े प्रसन्न होते हैं। श्री हरि को पाने का सुगम मार्ग है माघ मास में सूर्योदय से पूर्व किया गया स्नान। इसमें भी मौनी अमावस्या को किया गया गंगा स्नान अद्भुत पुण्य प्रदान करता है। सोमवती अमावस्या होने के कारण कोई भी अपना बिगड़ा भाग्य भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान विष्णु-तुलसी माता आदि की पूजा आदि करके सुधार सकता है।
साधक को ब्रह्मचर्य का पालन कर शिव जी को प्रिय रुद्राभिषेक करना चाहिए, विष्णुसहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। शनि की प्रसन्नता के लिये पिप्पलाद कथा आदि का श्रवण करना चाहिए। संभव हो तो प्रयागराज में षोडषोपचार पूजन करके त्रिवेणी में स्नान करते हुए अथवा किसी भी पवित्र नदी में यह मंत्र पढें‘ओम त्रिवेणी पापजातं मे हर मुक्तिप्रदा भव।’ स्नान के बाद संभव हो तो ऊं नम: शिवाय’ मंत्र का जाप त्रिवेणी घाट पर करना चाहिए। गोदावरी आदि पवित्र नदियों में स्नान अवश्य करना चाहिए। न कर सकें तो गंगा जल मिला कर घर में ही स्नान करें।
4 फरवरी  मौनी अमावस्या : जानें स्नान-दान और मौन रखने का महत्व, पढ़ें ये मंत्र
पवित्र स्नान :-
शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि दिन नर्मदा, गंगा, सिंधु, कावेरी सहित अन्य पवित्र नदियों में स्नान, दान, जप, अनुष्ठान करने से कई दोषों का निवारण होता है। इस दिन ब्रह्मदेव और गायत्री का भी पूजन विशेष फलदायी होता है।
इस दिन मौन व्रत धारण करने और बताए गए मंत्रों के जप से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
  मंत्र जाप :-
अमावस्या के दिन इस मंत्र के जप से जातकगणों को विशेष उपलब्धि प्राप्त होगी। साथ ही स्नान दान का पूर्ण पुण्य मिलेगा।
।।गंगे च यमुनेश्चैव गोदावरी, सरस्वती, नर्मदा, सिंधु, कावेरी जलेस्मिनेसंनिधि कुरू।।
 ।।अयोध्या, मथुरा, माया, काशी कांचीर् अवन्तिका, पुरी, द्वारावतीश्चैव: सप्तैता मोक्षदायिका।।
 मौन व्रत रखें :-
मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत धारण करने का भी प्रचलन सनातन से चला आ रहा है। यह काल, एक दिन, एक मास, एक वर्ष या आजीवन भी हो सकता है। ज्योतिषियों के अनुसार इस दिन मौन धारण करने से विशेष ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
दान करें :-
मौनी अमावस्या के दिन तेल, तिल, सूखी लकड़ी, कंबल, गरम वस्त्र, काले कपड़े, जूते दान करने का विशेष फल मिलता है। वहीं जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा नीच का है, उन्हें दूध, चावल, खीर, मिश्री, बताशा दान करने में विशेष फल की प्राप्ति होगी।
 सोमवती अमावस्या के उपाय ( 4 फरवरी 2019 को है सोमवती अमावस्या )
*जब सोमवार को अमावस्या होती है तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। ऐसी अमावस्या का शास्त्रों में काफी अधिक महत्व बताया गया है। इस दिन किये जाने वाले उपायों का शीघ्र फल प्राप्त होता हैं। यहां हम आपको सोमवती अमावस्या के दिन किए जाने वाले कुछ उपाय बताने जा रहे हैं। इन्हें करने से गरीबी और दरिद्रता दूर होती है साथ ही सुख व समृद्धि का आगमन होता है। ये हैं आसान उपाय…
1. सोमवती अमावस्या के दिन सूर्य नारायण को विशेष अर्घ्य देना अतिउत्तम बताया गया है। ऐसा करने से गरीबी और दरिद्रता दूर होती है।
2. यदि चंद्र कमजोर स्थिति में है तो गाय को दही और चावल खिलाएं, पशुओं की चिकित्सा कराये इससे मानसिक शांति प्राप्त होने के साथ ही एकाग्रता भी बढ़ेगी। बिगडे काम बनेंगे।
3. इस दिन किसी अपने या अनजान की सहायता, दान का अतिमहत्व है। दान करने या किसी भूखे को भोजन कराने, रोगी को औषधि दिलाने से विष्णुदेव प्रसन्न होकर आशीष प्रदान करते हैं। लक्ष्मीजी धनधान्य से पूर्ण करती है।
4. इस दिन जो व्यक्ति किसी को भोजन कराकर, किसी रोगी को उपचार व औषधि दिलाकर अपनी सामर्थ्य अनुसार दान करता है उसके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
5. इस दिन पवित्र नदी, तटों पर मौन स्नान करना चाहिए। इससे ब्रम्हमुहूर्त का फल प्राप्त हाेता है अाैर सूर्यदेव के साथ ही भगवान विष्णु अाैर शिव की विशेष कृपा प्राप्त हाेती है।
6. इस दिन भगवान विष्णु के साथ ही शिव पूजन का भी विशेष महत्व है। विधि-विधान से हरि और हर का पूजन करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है।
7. अपने पितरों को प्रसन्न करने के लिए कंडे में गुड़, घी का धूप देकर पितरों को प्रसन्न किया जा सकता है। यह पूजन किसी तीर्थस्थल पर जाकर विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में भी की जा सकती है।
*8. पितृदोष निवारण करना है तो सोमवती अमावस्या का दिन उर्पयुक्त है। सूर्य को अर्ध देते समय पितृ तर्पण के लिए “पितृभ्य नमः” मंत्र का जप करना चाहिए। इससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता और कोर्ट कचहरी से संबंधित विवादों का निपटारा होता है। घरेलू झगड़ों क्लेश का भी समाधान आसानी से हाेता है।*
9. सोमवती अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त दान पुण्य करने से, ब्राह्मण को भोजन कराने, लाचार रोगी का उपचार से पितर प्रसन्न होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है।
*10. सोमवती अमावस्या के दिन स्वास्थ्य, शिक्षा, कानूनी विवाद, आर्थिक परेशानियां और पति-पत्नी सम्बन्धी विवाद के समाधान हेतु किये गए उपाय विशेष फल देते हैं।*
11. यदि व्यवसाय में परेशानियां हो रही हो तो सोमवती अमावस्या के दिन पीपल वृक्ष के नीचे तिल के तेल का दिया जलाकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करे। कुछ अनजान रोगियोंं की सेवा करें। ऐसा करने से उनके व्यापार की बाधाएं दूर होने लगेगी।
*12. आर्थिक संकट से छुटकारा पाने के लिए सोमवती अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी के पौधे की श्री हरि-श्री हरि अथवा ॐ नमो नारयण का जाप करते हुए परिक्रमा करनी चाहिये। तुलसी के अभिमंत्रित बीज नदी या बहते जल में प्रवाहित करने से भी आर्थिक संकट से छुटकारा मिलता है।
8010002077
लेखक : प्रकृति प्रेमी, प्रकृति शोधार्थी, मुस्कान योग के प्रणेता, समाज सेवी पूर्व टीवी चैनल के संपादक व संचालक, वैश्विक प्रकृति फिल्म महोत्सव के संस्थापक हैंं।
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