दलित षड्यंत्र : भारत को जगाओ षडयंत्रों से बचाओ – गुरुजी भू

*दलितों पर अत्याचार किसने किये ???*

पहले मैं एक सामान्य हिन्दू था।
मस्त रहता था। मन्दिर या कहि आने जाने,कुछ भी पढ़ने की कोई रोक टोक नही थी।

फिर मैं दलित, एससी, एसटी बना और मुझे पता चला मुझपर तो हजारों वर्षों से अत्याचार हो रहे हैं। मैं रावण को आदर्श मानने लगा। हिरणाक्ष, हिरण्यकश्यप, महिषासुर जैसे दैत्य मेरे आदर्श बन गए। राजा बलि दलितों के लिए बलिदान हो गए।

मुझे बार बार यह बताकर भड़काया गया कि यह सब ब्राह्मणों ने किया। फिर मुझे पता चला कि मुझे और अन्य दलितों को कभी वेद पढ़ने नही दिए गए। कभी भक्ति करने नही दी गई। कभी यज्ञ,हवन करने नही दिए गए। कभी मन्दिर जाने नही दिया गया।

मुझे बोहत गुस्सा आया और मैं ब्राह्मणवाद मिटाने निकल पड़ा।

*फिर एक दिन मैं किसी मंदिर में ब्राह्मण कथा कर रहा था घुस गया कि सुनु तो ब्राह्मण क्या क्या साजिशें रचते है हमारे खिलाफ।*

*तब पता चला हिरण्याक्ष और हिरणकश्यप ने तपस्या की थी ब्रह्मा जी की यानी वह लोग (दलित) तप भी करते थे और कोई रोक टोक नही थी।*
*दलित रावण खुद एक ब्राह्मण पुत्र था।*
*मेरी जिज्ञासा बढ़ी और अब हर रोज उनकी कथा सुनने जाने लगा और अलग अलग जगह से भी सच्चाई पता करने,हिन्दू गर्न्थो को पढ़ने लगा।*
*मेरी आँखें फ़टी रह गई। सारे छल समझ आने लगे। आंखों पर गिर नफरत का पर्दा हटने लगा। फिर क्या क्या पता चला जानिए। फिर पता चला कि महाराज बलि जो आज सबसे बड़े दलित राजा बताये जाते, पता चला उन्होंने 99 यज्ञ किये थे और 100वां पूर्ण कर इंद्र बनने वाले थे। और यह भी पता चला कि यह सब दलित लोग वेद भी जानते थे और भक्ति भी करते थे। फिर प्रह्लाद की कहानी जब सुनी तो सर चकरा गया और पता चला कि प्रह्लाद के पिता ही उसे भक्ति करने से रोकते थे। और उन्होंने अपने राज्य में आदेश दे रखा था कि कोई भगवान की पूजा नही करेगा। पूजा सिर्फ दलित सम्राटों की ही होगी। और यह सब हर रक्ष राजा ने किया फिर चाहे रावण हो या कंस या आजके दलितों के नेता। हमे जो यह सिखाया गया था कि ब्राह्मण दलित पर अत्याचार करते थे। वेद सुनने नही देते थे।यज्ञ और भक्ति करने नही देते थे वो सब झूठ था। उल्टा दलित राक्षस ही ना सिर्फ दलितों को पूजा पाठ से बल पूर्वक रोकते थे बल्कि मृत्य दंड तक देते थे,जिसके भय से आम दलित इन्हें पढ़ने से डरते थे।*

*भक्त प्रह्लाद के पिता और उसकी बुआ ने ही उसे मारने के हजारों यत्न किये। भक्ति,यज्ञ करने से रोका, वेद भी पढ़ने नही दिए। बल्कि अपने पुत्र पर अत्याचार करके प्रजा को यह दिखाया कि जब एक दलित राजा अपने पुत्र पर इतने अत्याचार कर सकता है तो आम दलितों (लोगों) पर किउ नही करेगा ???ब्राह्मणों,क्षत्रियों,देवताओ, ऋषियों,मुनियों पर हम दलित अत्याचार करते थे।उनकी स्त्रियां उठा ले जाना। हत्या,बलात्कार,लूट पाट यह सब करते थे।*

*ब्राह्मणों ने कभी नही रोका वेद पाठ से।*

*फिर पता चला कि ब्राह्मण के घर पानी से लेकर अन्न तक,धूप से लेकर दिप तक सब दलितों के घर से आता था।सारी दलित अर्थव्यवस्था ब्राह्मणों की वजह से चलती थी।ब्राह्मण कोई दुश्मन नही थे।*

*फिर यह भी ज्ञान मिला कि दलित ही ब्राह्मणों के दुश्मन थे। यही लोग किसी को भक्ति,यज्ञ, वेद पाठ,वैज्ञानिक खोज करने नही देते थे। दलित राक्षस ही इनकी यज्ञवेदी में हड्डिया डालना,खून डालना, ब्राह्मणों पर छिपकर आघात करना, उनकी हत्या करना, उनके घर उजाड़ना यह सब करते थे। सभी ब्राह्मणों ने कुछेक को छोड़कर वर्षों वर्ष कभी हथियार तक नही उठाये बल्कि उन्होंने उसी तरह हमारा बहिष्कार किया जिस तरह आज हम दलित वाद के नाम पर ब्राह्मणों का बहिष्कार कर रहे है। मतलब उन्होंने सामूहिक हिंसा कभी नही की। इसी वजह से आज हम बहुजन है नही तो हम आज अल्पसंख्यक होते। जब दलित उन लर इतने अत्याचार करते थे तो हमारा बहिष्कार करना उनका अधिकार था। उन्होंने कुछ गलत नही किया।*

*फिर सोच रहा हूँ दलितों का असली दुश्मन कौन ??? वो ब्राह्मण जिन्होंने भक्ति करने से कभी रोका नही या वो दलित जिन्होंने जबरन छल से, बल से, डरा कर, धमका कर, मृत्यु दंड देकर हर तरह से दलितों को शक्तिशाली होने से रोका।*

*ब्राह्मणों हिन्दू समाज की तो अर्थव्यवस्था ही ऐसी थी कि हर जाति का एक दूसरे के बिना गुजारा नही था।*

*सोचते सोचते अपने एक गैर दलित मित्र के पास पोहचा। हम दोनों बैठे। दिल मे भूचाल चल रहा था कि सच्चा कौन और झूठा कौन ??*

*मित्र ने पूछा भी के भाई बढ़े परेशान लग रहे हो क्या बात है ??? ना चाहते हुए भी उससे दिल की बात कह दी। फिर उसने बताया कि भाई यह सब तो सिर्फ दलितों को कमजोर करने,अपना गुलाम बनाये रखने की दलितों को वोट बैंक बनाये रखने को दलित नेताओ की साजिश है। नही तो सोचो यादव कुल के श्री कृष्ण थे। तब वो क्षत्रिय जाति के थे। तब यज्ञ,हवन,भक्ति,सब करते थे यह यादव। और आज संविधान में यह obc बन बैठे और आज कहते इन्हें भक्ति करने नही दी ब्राह्मणों ने। यज्ञ करने नही दिए। वेद पढ़ने नही दिए। मतलब कितना झूठ है इस ब्राह्मण विरोधी पॉलिटिक्स में।*
*उसकी बातें मुझे दिल को छू गई।तबसे मैंने खुद सच जानना शुरू किया।और धीरे धीरे पता चलता गया सवर्णो ने उतने भी अत्याचार नही किये जितने हमे बताये जाते हैं। उल्टा हम दलितों ने ही दूसरी जातियों पर इतने जुल्म किये की वो हथियार उठाने पर मजबूर हो गए। हम लोगों की अपनी गलतियों ने, अपने धर्म विरोधी व्यवहार ने ही हमे हिन्दुओ में घृणा का पात्र बनाया।नही तो ब्राह्मण,क्षत्रिय,वैश्य,दलित सब एक दूसरे के कार्य मे योगदान देते थे। आदर,सम्मान करते थे।*
*अब से मैं दलितवाद के झूठ में नही फ़ंसुगा। ब्राह्मणवाद कोई बुराई नही। बुराई दलितवाद के नाम पर ब्राह्मणों के खिलाफ फैलाया झूठ है। हम लोग तो उस जाति के है कि जिस भगवान की भक्ति से वर प्राप्त करते थे उसकी ही पत्नी पर गन्दी नजर डालते थे।दलितों के सबसे प्रिय भगवान पशुपतिनाथ शिव की पत्नी तक को नही छोड़ा फिर कोई हमे नीच ना कहता तो क्या कहता ??? अब हम नीच नही बनेंगे। अब हिन्दू भाइयों के साथ हम भाई चारा दिखाएंगे। गुमराह दलितों को भी सच बताएंगे।

भारतीय संस्कृति की जय।

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