धरती का भगवान भोला किसान, बहुत परेशान, षडयंत्रकारी मालामाल

अगर वर्तमान कृषि बिल बहुत खराब है, बहुत बुरा है तो विपक्ष ने संसद में हंगामा क्यों नहीं किया? इसे पास क्यों होने दिया? आज वह विपक्ष सड़कों पर किसानों को भड़काने में लगा है। दूसरी बात अगर सब कुछ ठीक था और यह खराब है तो आज तक किसानों की दुर्दशा क्यों है ? 1947 से 2014 तक किसान तो इतना संपन्न होना चाहिए था कि उसको इस बिल की आवश्यकता ही नहीं पड़ती। यह वर्तमान सरकार इस बिल को कभी लाती ही ना। आलोचना करने वाले तथाकथित लोग समझे कि यह किसानों के हित में है। हां दलालों के हित में नहीं है। इससे दलालों को नुकसान होने वाला है। किसान को भरपूर लाभ होने वाला है। इसलिए मिर्ची दलालों को लगी है। शराब के ठेकेदारों को लगी हैं। माफियाओं को लगी हैं। अनाज माफियाओं को लगी है। इसलिए यह परेशानी अनाज माफियाओं की है। मंडी के दलालों की है। इसलिए आंदोलन  उग्र रूप लेता जा रहा है। भोले किसानों को भड़का कर इस आंदोलन में हत्यार बनाया जा रहा है। यह उग्रता अभी बहुत नुकसान करने वाली है। बहुत सारे किसान इसकी भेंट चढ़ने वाले हैं। यह आशंका मेरी व्यर्थ नहीं है। एक बार बिना बिल को पढ़े आलोचना ना करें तो अच्छा होगा। जहां तक बात है अडानी अंबानी उनको कोई फर्क नहीं पड़ता। चाहे वह किसानों से खरीदेंं, चाहे वह मंडियों से खरीदें। चाहे वह मंडियों के भी बाद उनके भी एर्जेंट से खरीदें। वह अपनी  ₹10 की चीज को ₹100 में बेचने की कला जानते हैं। उनको सब मालूम है। उनको इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला कि वह किसानों से खरीदेंगे या दलालो से। दलाली खत्म हो रही है बीच की। किसानों को मंडी में समय व फसल की  बर्बादी जो होती थी वह खत्म हो रही है। इसलिए पीड़ा का विषय बना हुआ है और यह पीड़ा का विषय विपक्ष को ज्यादा है। दलालों को ज्यादा है। किसानों को तो कुछ और ही बताया जा रहा है। बहकाया जा रहा है। क्योंकि अब किसानों के खाते में सीधे पैसे जा रहे हैं। जो राजनीतिक दलाल में राजीव गांधी के समय में 85 पैसे बीच में गायब हो जाया करते थे। केवल 15 पैसे ही पहुंचते थे। कांग्रेस के राज में केवल 15 पैसे जनता तक पहुंचते थे। किसी भी समाज सेवा के या किसानों के नाम के वह सब 100 पैसे अब सीधे उनके खाते में पहुंचने लगे हैं। तो सबसे बड़ी पीड़ा उस 85 पैसे की है जो बीच में खाया जाता था। वह अब मिलना बंद हो गया क्योंकि किसानों के खाते में सरकार ने वर्तमान सरकार ने सीधे पैसा डालना शुरू कर दिया  किसी को भी दलाली उसमें नहीं मिल पा रही है। विपक्ष की पीड़ा है कि वह 85 पैसे जिससे विपक्ष के नेता मालामाल हुआ करते थे। आज वह पैसे मिलने समाप्त हो गए हैं। उनकी जेब में नहीं आ रहे हैं तो किसानों को भड़काना स्वाभाविक है। उनका धन्धा चोपट हो गया। किसान को अपने भोलेपन को भी समझना चाहिए। इन नकली दोस्तों के बहकावे में नहीं आना चाहिए।

भोला किसान बहुत परेशान।

श्री  गुरुजी भू (विश्व चिंतक)

( लेेखक विश्व किसान परिवार, विश्व मित्र परिवार के संस्थापक हैं। वरिष्ठ पत्रकार, तरंग गन्यूज़ चैनल के संपादक, फिल्म महोत्सव के संस्थापक हैं)

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