-अनिता चौधरी
लोकसभा चुनाव 2019 का चुनावी बिगुल बज चुका है और इसकी तैयार्रियों में सभी राजनीतिक पार्टियां अब लग गई है. चुनावी रैलियों का दौर चल पड़ा है और नेतानगरी में बस अब लोकसभा चुनाव की ही चर्चा है. विभिन्न पार्टियों के नेता अब इस सोच मे्ं है कि उनका क्या हौगा. क्या वो एक बार फिर अपने पद पर बने रहेंगे या फिर इस बार उन्हें जनता भाव नहीं देगी. कोई नेता जोश में है तो किसी नेता के होश भी उड़े हुए है. चुनावी सर्वे का दौर चल पड़ा है और कई मीडिया चेैनल अब दिल्ली में किसकी सरकार इस बात का पता लगाने के लिए जनता के बीच उनकी नब्ज टटोलने पहुंच रही है. बात करते है ताजा परिवेश की जहां देश में चुनावी माहौल है और चाय के नुक्कड़ से लेकर पार्टी कार्यालय तक “अबकी बार किसकी सरकार” पर मंथन जारी है. कुछ महीने में देश की राजनीति में काफी कुछ देखने को मिला है, जैसे प्रियंका गांधी वाड्रा का सक्रिय राजनीति में आना और देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में धुर विरोधी सपा- बसपा का गठबंधन जिसने सबको चौकया. इसके अलावा पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का विपक्षी दलों के साथ लोकतंत्र बचाओ रैली करना जिसमें कई विपक्षी दलों के प्रमुख और यहां तक की भाजपा के कुछ बागी नेता भी मंच साझा करते नजर आए जिसने सभी का ध्यान अपनी और आकृष्ट किया. वर्तमान में पुलवाम हमले ने देश को हिलाकर रख दिया है और देश ने 44 जवानों को खो दिया है. इससे देश में गुस्सा है औऱ चारों और से बस एक ही आवाज आ रही है नापाक पाकिस्तान और आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद से बदला लेने की. इस घटना का ऐसे तो कोई राजनीतिक दृष्टिकोण नहीं निकाला जाना चाहिए लेकिन इतना जरूर है कि इस घटना ने देश में चारों और राष्ट्रवाद की भावना को एक बार फिर झकझोरने का काम किया है. लोग स्थायी और मजबूत सरकार चाहते है जो पाकिस्तान जैसे कभी न सधरने वाले देश को उसी की भाषा में जवाब दे सके. देश की सत्ता में काबिज भाजपा स्थायी और मजबूत सरकार देश को देने का वाद करती है तो वहीं कांग्रेस पार्टी भी देश में एक नई सरकार की बात को कह रही है. पीएम नरेंद्र मोदी भाजपा का सबसे बड़ा चेहर है जो कि 2014 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों की तरह ही इस बार फिर लगातार चुनावी रैलिया कर रहे है और “जगह – जगह पर एक बार फिर मोदी सरकार” के पोस्टरों ने जगह ले ली है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी लगातार अकसर यह बात पूछते दिखाइ देते है कि आखिर विपक्ष अपना पीएम उम्मीदवार क्यों नही घोषित करता है ? लेकिन विपक्ष अभी इस विषय पर अभी तक किसी भी प्रकार का जवाब देता नहीं दिख रहा है. बात करते है कांग्रेस पार्टी की. कांग्रेस पार्टी में मध्यप्रदेश , छत्तीसगढ़ औऱ राजस्थान विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने पर उत्साह है इस जीत ने कांग्रेस पार्टी को थोड़ा उर्जावान बनाने का काम किया है. वहीं प्रियंका गांधी को कांग्रेस का महासचिव बनाया जाना और उन्हें पूर्वी यूपी का कमान सोपा जाना कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए किसी उत्सव से कम नहीं है और कांग्रेस को विश्वास है कि प्रियंका के सहारे 2019 की नैया कांग्रेस पार पर लेगी. यूपी में सपा- बसपा गठबंधन यहां लोकसभा चुनाव लड़ने वाली सभी राजनीतिक पार्टियों को प्रभावित करेगा लेकिन हाल ही में किए गए कुछ सर्वे में इस बात को कहा जा रहा है कि भाजपा को पिछली लोकसभा चुनाव की तरहा इस बार भी भाजपा के पाले में लोकसभा की 80 सींटो में से अधितकर सींटों पर भाजपा अपना झंड़ा गाड़ेगी. कांग्रेस यूपी में सपा- बसपा गठबंधन में शामिल तो नही है लेकिन कांग्रेस का प्रयास यह है कि 80 सींटो में से अधिक से अधिक सींटे पर जीत दर्ज की जाए जिसके लिए प्रियंका गांधी को पूर्वी यूपी और मध्यप्रदेश के गुना से सांसद ज्यतिरादित्य सिंधिया को पश्चिमी यूपी का कमान सोंपी गई है. किसको यूपी में लोकसभा चुनाव में कितनी सींटों पर जीत मिलती है ये तो आने वाले समय में ही पता चल पाएगा. अगर बात भाजपा की करे तो
वर्तामान में भाजपा की देश की अधिकतर राज्यों में जो उसकी मजबूत स्थिती को दर्शानें के लिए काफी है लेकिन महागठनबंधन और क्षेत्रिय दल भाजपा को परेशान कर सकते है. वर्तामान में देश में सभी राजनीतिक दल भाजपा के विरूद्ध एक मंच पर हाथ से हाथ मिलाकर नजर तो आ रहे है लेकिन देश की जनता में एक ही सवाल की चर्चा है कि इनमें पीएम पद का उम्मीदवार कौन है. देश में 29 राज्य है और 7 केंद्र शासित पदेश है जहां लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर विभिन्न चुनावी सर्वे अपना –अपना तर्क सामने रख रहे है और इस बात का दावा किया जा रहा है कि उनका लोकसभा चुनाव 2019 को लेकर किया गया सर्वो सबसे सटीक और स्पषट है. हवा बदली है और इस हवा ने चुनावी चर्चाओं को हवा दिया है. चुनावी सर्वे कही भाजपा को स्पषट बहुमत मिलता हुआ दिखा रहे है तो कही भाजपा को 2014 के जैसा प्रचण्ड बहुमत न मिल पाने के दावे भी किए जा रहै है. वहीं भाजपा 2014 के तरह ही इस बार भी आगामी लोकसभा चनावों में प्रचण्ड जीत दर्ज करने की बात को कह रही है. गुजरात, यूपी, महराष्ट्र, हरियाणा, हिमाचल, ऊत्तराखण्ड. और सभी भाजपा शासित राज्यों में भाजपा की स्थिती मजबूत है जिसका फायदा भाजपा को आगामी लोकसभा चुनावों में मिलेगा. इसके अलावा केंद्र की मोदी सरकार ने हाल में कुछ ऐसे फैसले लिए है जिनते द्वार समाज के कुछ वर्गों को साधने की कोशिश भी की गई है .वही अगर बात करें पिछले महीने के सर्वे की तो ज्यादातर सर्वे में एऩडीए को बहुमत से थोड़ा दूर 252 सीटों के मिलने का अनुमान लगाया गया था, UPA को 138 एवं अन्य को 153. जबकि उस वक्त न तो सवर्ण आरक्षण का फैसला लिया गया था और न ही बजट पेश किया गया था.अब जबकि सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण दे दिया गया है. किसानो को 6000 रु साल में देने के आदेश भी जारी कर दिए गये हैं इसके साथ मध्यम वर्गों को ध्यान में रख कर 5 लाख तक की सालाना आय वालों को भी टैक्स फ्री कर दिया गया है जिसके परिणाम स्वरुप मोदी सरकार के प्रति जो सवर्णो की नाराज़गी थी जिसके कारण राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में बीजेपी हार गई थी. लेकिन इस फैसले से सवर्णो नाराज़गी दूर हो गई है. वहीँ अगर बात किसानों के नाराज़गी की तो बजट में किसानों को खुश करने के लिए 6000 रु सालाना 3 किस्तों में देने की बात कही गई है, जिससे किसान भी खुश नज़र आ रहे है. मध्यमवर्गीय लोगों के लिए इनकम टैक्स की दरों को दोगुना कर दिया गया है जो उनके लिए सोने पर सुहागा जैसा साबित हो रहा है. वर्तमान माहौल में जिस प्रकार पुलवामा मामले के बाद सरकार ने त्वरित एक्शन लिया जिसका परिणाम यह हुआ है कि पाकिस्तान आज चारों तरफ से घिर गया है. इसे देख जनता मोदी सरकार प्रति दोबारा से 2014 की ही तरह उम्मीद की नई किरण दिख रही है