छः माह की उम्र पार कर चुके बच्चों के लिए स्तनपान के साथ पूरक आहार भी जरूरी

– शिशु को जन्म के पश्चात छ: माह तक सिर्फ माँ के दूध से ही मिलती संपूर्ण ऊर्जा
– स्तनपान से ही बढ़ेगी शिशु की रोग-प्रतिरोधक क्षमता

खगड़िया, 12 अगस्त | शिशु के स्वस्थ शरीर निर्माण के लिए छः माह की उम्र पूरा होने पर स्तनपान के साथ पूरक आहार जरूरी है। इससे पूर्व यानी जन्म के बाद छः माह तक शिशु को सिर्फ और सिर्फ माँ का ही दूध पिलाना चाहिए। इससे ना सिर्फ शिशु का सर्वांगीण शारीरिक व मानसिक होगा बल्कि, रोग-प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होगी | जो संक्रामक बीमारी से बचाव करेगा। इसके अलावा शिशु-मृत्यु दर में भी कमी आएगी और कुपोषण मुक्त समाज निर्माण को बढ़ावा मिलेगा। इसको लेकर सरकार द्वारा तमाम कार्यक्रमों का आयोजन कर लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है एवं सरकर के निर्देशानुसार स्वास्थ्य विभाग एवं आईसीडीएस भी इसको लेकर प्रयासरत है।
– बच्चों को छह माह के होने के बाद ऊपरी आहार जरूरी :
जिला सिविल सर्जन डॉ अजय कुमार सिंह ने बताया, बच्चों को छह माह होने के बाद से ऊपरी आहार की शुरुआत करें। प्रारम्भ में बच्चे को नरम खिचड़ी व मसला हुआ आहार 2-3 चम्मच रोज 2 से 3 बार दें। फिर 9 माह तक के बच्चों को मसला हुआ आहार, दिन में 4-5 चम्मच से लेकर आधी कटोरी व दिन में एक बार नाश्ता, 9-12 महीने के बच्चों को अच्छी तरह से कतरा व मसला हुआ आहार जिसे कि बच्चा अपनी अंगुलियों से उठा कर खा सके। इस उम्र के बच्चों को दिन में 1-2 बार नाश्ता तथा 3-4 बार भोजन देना चाहिए। 12 से 24 माह तक के बच्चों अच्छी तरह से कतरा, काटा व मसला हुआ ऐसा खाना जो कि परिवार के अन्य सदस्यों के लिए बनता हो देना चाहिए। इस आयु में बच्चे को कम से कम एक कटोरी नाश्ता दिन में 1 से 2 बार व भोजन 3-4 बार दें।

– संक्रमण से लड़ने के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत :
पहले दो साल में जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, वह खांसी, जुखाम, दस्त जैसी बीमारियों से बार-बार बीमार पड़ते हैं। बच्चे को इन सभी संक्रमणों से बचने और लड़ने के लिए पौष्टिक आहार की जरूरत होती है। यदि बच्चा सही से ऊपरी आहार नहीं ले रहा है तो वह कुपोषित हो सकता है और कुपोषित बच्चों में संक्रमण आसानी से हो सकता है। बच्चे को ताजा व घर का बना हुआ भोजन ही खिलाना चाहिए।
– स्वच्छता का ख्याल रखना बेहद जरूरी :
भोजन बनाने व बच्चे को भोजन कराने से पहले साबुन से हाथ धो लेना चाहिए। बच्चे का भोजन बनाने व उसे खिलाने में सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अच्छे से पानी से धोने के बाद ही फल व सब्जियों को उपयोग करना चाहिए। जिस बर्तन में बच्चे को खाना खिलाएं, वह अच्छी तरह साफ होना चाहिये।

– धैर्य के साथ खिलायें खाना :
बच्चे को प्रतिदिन अनाज, दालें, सब्जियों व फलों को मिलाकर संतुलित आहार खिलायें। बच्चों को विभिन्न स्वाद एवं विभिन्न प्रकार का खाना खाने को दें। क्योंकि एक ही प्रकार का खाना खाने से बच्चे ऊब जाते हैं। खाना कटोरी चम्मच से खिलाएँ। बच्चे को खाना बहुत धैर्य के साथ खिलाना चाहिए, उससे बातें करनी चाहिए। जबर्दस्ती बच्चे को खाना नहीं खिलाना चाहिए। खाना खिलाते समय पूरा ध्यान बच्चे की ओर होना चाहिए। खिलाते समय टीवी, रेडियो आदि न चलाएँ।

– इन मानकों का करें पालन और कोविड-19 संक्रमण से रहें दूर :
– मास्क का उपयोग और शारीरिक दूरी का पालन जारी रखें।
– बारी आने पर निश्चित रूप से वैक्सीनेशन कराएं और दूसरों को भी प्रेरित करें।
– साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखें और सैनिटाइजर का उपयोग करें।
– नियमित तौर पर लगातार साबुन या अल्कोहल युक्त पदार्थों से अच्छी तरह हाथ धोएं।
– विटामिन-सी युक्त पदार्थों का अधिक सेवन।

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