हिंदू धर्म को मानने वाले किसी को खत्म करने की बात नहीं करेंगे, गीता की बात करेंगे

संघ अध्यक्ष मोहन भागवत ने कहा कि वीर सावरकर ने हिंदू समाज की एकता और उसके एकीकरण की बात की थी, लेकिन वह भगवद गीता का जिक्र कर रहे थे। किसी को नष्ट करने या नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं।

भारत के हिंदू राष्ट्र बनने की कगार पर होने के सवाल पर मोहन भागवत ने कहा कि वह हिंदू राष्ट्र की बात नहीं कर रहे हैं। कोई माने या न माने, भारत एक हिन्दू राष्ट्र है। हमारे संविधान की प्रकृति हिंदुत्व है। यह देश की एकता और अखंडता की भावना का स्वभाव है। राष्ट्रीय अखंडता के लिए सामाजिक समानता जरूरी नहीं, समर्पण जरूरी है। अलगाव का मतलब असमानता नहीं है। संघ का विश्वास लोगों को बांटने में नहीं बल्कि उनके मतभेदों को दूर करने में है। इससे बनी एकता मजबूत होगी।

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