-मेले में परिवार नियोजन को लेकर दंपति को किया गया जागरूक-परिवार नियोजन के अस्थाई संसाधनों का भी किया गया वितरण
भागलपुर, 21 फरवरी-
हर महीने की 21 तारीख को अब परिवार नियोजन दिवस मनाया जा रहा है। सोमवार को भी जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में परिवार नियोजन दिवस मनाया गया। इसे लेकर मेले का भी आयोजन किया गया। सदर अस्पताल समेत जिले के सभी अस्पतालों में परिवार नियोजन मेला लगाया गया। मेले में विभिन्न तरह के काउंटर लगाए गए थे। काउंटर पर परिवार नियोजन से संबंधित अस्थाई सामग्री का वितरण किया जा रहा था। लोगों को परिवार नियोजन के प्रति जानकारी देकर जागरूक किया जा रहा था । इससे होने वाले फायदे के बारे में बताया जा रहा था। मौके पर आशा के जिला समन्वयक जफरूल इस्लाम और केयर इंडिया के परिवार नियोजन के जिला समन्वयक आलोक कुमार और जितेंद्र कुमार सिंह भी मौजूद थे। एसीएमओ डॉ. अंजना ने बताया कि अब हर महीने की 21 तारीख को परिवार नियोजन दिवस का आयोजन किया जा रहा है। इससे परिवार नियोजन के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ेगी। परिवार नियोजन दिवस के मौके पर कई तरह के आयोजन किए जा रहे हैं, जिससे लोगों में परिवार नियोजन के प्रति दिलचस्पी बढ़ रही है। मेले में किसी काउंटर पर परिवार नियोजन से संबंधित सामग्री का वितरण किया गया तो कहीं लोगों की काउंसिलिंग की गई। लोगों को परिवार नियोजन से होने वाले फायदे के बारे में भी बताया गया। उन्होंने बताया कि सबसे महत्वपूर्ण है लोगों को परिवार नियोजन के प्रति अस्थाई संसाधनों पर ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित करना। लोगों में इसके प्रति थोड़ा भ्रम रहता है। उसे दूर करने की जरूरत है। लोगों में यह सोच विकसित करनी पड़ेगी कि कंडोम, अंतरा जैसे अस्थायी संसाधनों के इस्तेमाल से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है।दो बच्चों के बीच 3 साल का अंतराल जरूरीः डॉ. अंजना ने बताया कि दो बच्चों के बीच तीन साल का अंतराल जरूरी है। इसे लोगों को समझाना बहुत आवश्यक है। अगर दो बच्चों के बीच तीन साल का अंतराल रहता है तो जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ रहता है। इससे बच्चे में रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित रहने से बच्चा भविष्य में होने वाली किसी भी तरह की बीमारी से सुरक्षित रहता है। इन सब बातों को लोगों को समझाने की जरूरत है।काउंसिलिंग पर जोरः डॉ. अंजना ने बताया कि परिवार नियोजन दिवस पर योग्य दंपतियों की काउंसिलिंग पर फोकस किया जा रहा है। एक बच्चे वाले दंपति को दूसरा बच्चा के लिए तीन साल का गैप रखना, 20 साल के बाद ही पहला बच्चा और अगर दो बच्चे हो गए हैं तो दंपति को बंध्याकरण के लिए मार्गदर्शन करने पर फोकस किया जा रहा है। ऐसा करने से होने वाले फायदे के बारे में भी दंपति को समझाया गया। काउंसिलिंग वाले काउंटर पर एएनएम ने कई योग्य दंपतियों की काउंसिलिंग की। जरूरत पड़ने पर वहां पर डॉक्टर भी जाकर दंपति को समझाने का काम करते दिखे। सबसे महत्वपूर्ण यह कि काउंसिलिंग के दौरान जो लोग जिस चीज के लिए तैयार हो गए, उनका रजिस्ट्रेशन कर तत्काल सामग्री का वितरण किया गया।