अथ: श्री नेता चरित्रम्

 

अथ: श्री नेता चरित्रम्

 

जरा सोचिए और नेताओं का चरित्र पहचानिए

शत्रुघ्न सिन्हा बरसों तक BJP में रहा कांग्रेस को कोसते रहा और जब उसे कोई बड़ा पद नही मिला तो बीजेपी की बुराई करने लगा पर फिर भी bjp नही छोड़ी और जब टिकट कटा तो सारे दलों के चक्कर काटने के बाद कांग्रेस ने शरण दी। अब वही कांग्रेस विद्वानों की पार्टी लगने लगी। पर शायद उसे अपनी पत्नी विद्वान नही लगी इसी लिए उन्हें सपा से टिकट दिलवाया और सम्भव है कल को बेटी को बसपा का टिकट दिला दे।

इन्हे सत्तासुख के आगे कुछ नही देखना है।

जरा सोचिए इनकी मानसिकता कैसी है

सिद्धू कल तक bjp के फायर ब्रांड नेता था और उन्हें मोदी महापुरुष नजर आते थे वो कांग्रेस को खूब गालियां देते थे। फिर जब उन्हें कोई बड़ा पद नही मिला तो बीजेपी छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया अब बीजेपी सबसे खराब पार्टी और सोनिया माँ समान हो गयी, और वो कहता है कि मुसलमानों एक हो जाओ

जरा सोचिए इतने गद्दार ये लोग कैसे हैं? 

सत्ता की भूख गुरु गोविन्द सिंह के मासूम बच्चोंं की कुर्बानी को भी भुला सकती है, पगडी बांध कर उनका घोर अपमान कर सकती है?

  1. कुछ साल पहले अरविंद केजरीवाल के पास 300 पेज के सबूत थे उसकी नजर में दुनिया की सबसे भ्रष्ट पार्टी कांग्रेस थी। कमाल की बात देखिये उसमें मोदी व अमित शाह का नाम नही था। उसने अपने बच्चों की कसम खायी थी कि कांग्रेस से कभी गठबंधन नही करूंगा और आज उसी से गठबंधन के लिए हाथ पैर पटक रहा है।

जरा सोचिए क्या चरित्र है इनका

ये अपने बच्चों की कसम भी झूठी खा सकते तो कोर्ट में गीता, कुरान की तो बात ही क्या?

मायावती जिसे गुंडा कहती थी जिन लोगों ने मायावती की जान लेनी चाही जिसके विरोध में मायावती की राजनीति शुरू हुई आज उसी के साथ गठबंधन कर लिया

जरा सोचिए ये किसका भला करना चाहती है

जरा सोचिए देश के टुकड़े टुकड़े करने की बात करने वाला कन्हैया लेफ्ट पार्टी का नेता बन जाता है और चुनाव लड़ता है।

जरा सोचिए ये लोग अपने सत्तासुख के लिए क्या कुछ नही कर सकते है।

जरा सोचिए 84 में सिख दंगा हो, कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार हो, या हजारों संतों का गोलियों से भून देना हो सब कुछ न्याय संगत था संविधान भी सुरक्षित था सारी संस्थाएं भी स्वतंत्र थीं जैसे ही एक पार्टी सत्ता से बाहर हुई तो अब होगा न्याय याद आया, एक जमात खड़ी हो गयी जिसे भारत मे डर लगने लगा, संविधान खतरे में आ गया, सारी संस्थाओं की स्वतंत्रता खतरे में लगने लगी

जरा सोचिए इस देश का बटवारा धर्म के आधार पर हुआ फिर भी इस देश के संसाधनों में पहला हक मुसलमानों का है देश का प्रधानमंत्री कहता है (मनमोहन सिंह) , मंदिरों से लाउडस्पीकर उतरवाए जाते है, लेकिन मस्जिदों के लाउडस्पीकर पर कोई कार्यवाही नही , दुर्गा पूजा, राम नवमी के जुलूस पर प्रतिबंध,

जरा सोचिए और पहचानिए नेताओं को , इन पार्टियों को।

एसे सैकडो उदाहरण है। इन्हे देश या मानवता से कोई लेना देना नही है, ये सत्ता के भूखे भेडिये है।

सोचिए अचानक 2004 के बाद आईएएस की परीक्षा को उर्दू में करते ही और मुस्लिमोंं के द्वारा ही उनकी कॉपी जाचने से मुस्लिम प्रतियोगी बड़ी तादाद में कलेक्टर क्यों बनने लगे है।
क्यों एक पक्ष को देश के शीर्ष संस्थानों में बैठाया जा रहा है?
और भारत के पतन की कहानी लिखी जा रही है
यही हमारे विरोध की असली वजह है?

जरा सोचिए जब हिंदू मुस्लिम आपस मे भाई भाई है तो फिर दोनों को एक समान क्यों नही देखा जाता दोनों को एक समान अधिकार क्यों नही, दोनो के लिए समान कानून क्यों नही?

जरा सोचिए कौन समाज को बाट रहा है धर्म की राजनीति किसने शुरु की और कौन कर रहा है और ये लोग किसका विकास करेंगे?

भीष्म की तरह चुप मत रहिये
गांधारी की तरह आँखों मे पट्टी मत बांधिए
सोचिए
अपने बच्चो के भविष्य के बारे में
और
देश हित को सर्वोपरि रखते हुए
फैसला करिये
आपका एक वोट देश को सुरक्षित रखेगा

क्योंकि ये देश सवांंरने का 5 वर्ष में एक अवसर आपके हाथ में है।
जय हिन्द – जय भारत
🙏

श्री गुरुजी भू

प्रकृति प्रेमी,

विश्व मानवता चिंतक

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