सूरत में कपड़ा उद्योग की बुनाई, प्रसंस्करण और कढ़ाई में मंदी के कारण कम हुई नौकरियां

सूरत

बुनाई, कढ़ाई समेत पूरे कपड़ा उद्योग की हालत दयनीय है। पिछले 3-4 महीने से यही स्थिति है, कोई सुधार नहीं है। तैयार माल की डिस्पैचिंग बहुत कम है। हालांकि पूरा उद्योग इस समय औसतन 40 से 50 प्रतिशत क्षमता पर चल रहा है।

कामकाज में सुधार की उम्मीद में दिन बीत रहे हैं। पहले सभी को उम्मीद थी कि 15 जुलाई से सुधार होगा। लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। अब 30 तारीख के बाद काम में सुधार होगा, ऐसा इंडस्ट्रीज की ओर से बताया जा रहा है। 35-40 फीसदी की क्षमता से फलफूल रहा विविग उद्योग होली-धुलेती के लौटने से पहले घर गए कारीगरों के लौटने के बाद अब 60-70 फीसदी हो गया।

मौजूदा समय में सबसे खराब स्थिति कशीदाकारी इकाइयों और बाजार के व्यापारियों की है। बडी मुश्किल से 15-20 फीसदी कारोबार दोनों क्षेत्रों में होता है। चूंकि कोई विदेशी खरीद नहीं होती है, इसलिए व्यापारी नए कार्यक्रमों की पेशकश नहीं करते हैं। ट्रेडर्स और एम्ब्रॉयडरी जॉब वर्कर्स का केवल टाइम पास हो रहा है।

इसी तरह, प्रसंस्करण इकाइयों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। ये उद्योग वर्तमान में 40-50 प्रतिशत क्षमता पर चल रहे हैं। मिलों में रंग फीका पड़ गया है, लेकिन व्यापारियों की ओर से कोई नया कार्यक्रम नहीं आया है। नतीजतन कई मिलें अभी भी पूरी क्षमता से नहीं चल रही हैं।

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